लखनऊ, 13 अगस्त, 2012
डॉ. एस. अय्यप्पन, सचिव, डेयर एवं महानिदेशक, आईसीएआर ने लखनऊ स्थित भारतीय गन्ना अनुसंधान संस्थान (आईआईएसआर) के वैज्ञानिकों को संबोधित करते हुए कहा कि देश के ऊर्जा, चीनी और गन्ना क्षेत्र से संबंधित समस्याओं को समग्र रूप से दूर करने के लिए गन्ने पर शोध और विकास की आवश्यकता है। डॉ. अय्यप्पन ने गन्ने के 68 टन/हैक्टर के स्थिर उत्पादन से अधिक उत्पादन करने पर जोर देते हुए गन्ना वैज्ञानिकों से कहा कि बीज गन्ना के उत्पादन का तंत्र और गन्ने की पुरानी किस्मों के स्थान पर नई किस्मों के वितरण का विकास किया जाए।
डॉ. अय्यप्पन ने उन्नत गन्ना किस्म सीओएलके 94184 (जल्दी तैयार होने वाली किस्म), गन्ना नोड तकनीक (बीजों की संख्या में कमी तथा पौधों की संख्या में वृद्धि करने की तकनीक), मृदा स्वास्थ्य और सतत उपज के लिए जैविक खेती की विधि, जल संचयन गन्ना विधि, गहन जैव कीट और रोग प्रबंधन आदि तकनीकों के विकास के लिए वैज्ञानिकों की सराहना की। उन्होंने कहा कि बढ़ती बिजली और चीनी की मांग को देखते हुए गन्ने का प्रसंस्करण करने वाली मिलों को चीनी, एथेनॉल, बिजली, जानवरों का चारा, खाद आदि बनाने वाली मिश्रित मिलों में परिवर्तित करना एक उभरती हुई चुनौती है। डॉ. अय्यप्पन ने अधिक से अधिक किसानों तक लाभ पहुंचाने के लिए सूचना प्रौद्योगिकी द्वारा शोध और विकास कार्यक्रमों के पर ध्यान देने, जल संचयन के लिए सिंचाई की नई तकनीकों जैसे ड्रिप सिंचाई, कुंड विधि आदि को लोकप्रिय बनाने पर भी जोर दिया।
इस अवसर पर डॉ. एस. सोलोमन, निदेशक, आईआईएसआर ने संस्थान द्वारा गन्ने की नई तकनीकों के विकास की उपलब्धियों पर भी प्रकाश डाला।
(स्त्रोत: आईआईएसआर, लखनऊ)
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