नई दिल्ली, 6 सितम्बर 2010
कृषि की समस्याएं जटिल होती जा रही हैं। इन्हें सुलझाने के लिए इसे और अधिक समग्र रूप से एकीकृत करने की आवश्यकता है। इसके लिए आवश्यक है कि प्रतिभाओं को संगठित किया जाए और साथ ही वित्तीय संसाधनों का कुशलतापूर्वक उपयोग किया जाए। वर्ष 2050 तक खाद्य प्रणाली उत्पादकता को दोगुना करने के लिए सतत् निवेश आवश्यक है। यह बात विश्व खाद्य पुरस्कार-2009 के विजेता और परड्यू विश्वविद्यालय, संयुक्त राज्य अमेरिका के प्लांट ब्रीडिंग एंड जेंटिक्स के प्रोफेसर डॉ. गेबिजा इजेटा ने वैश्विक खाद्य सुरक्षा में उभरती चुनौतियां विषय पर आयोजित व्याख्यान में बोलते हुए कही। यह व्याख्यान बरवाले फाउंडेशन के वार्षिक स्थापना दिवस के अवसर पर पूसा परिसर के राष्ट्रीय पादप जैव प्रौद्योगिकी अनुसंधान केंद्र में आयोजित की गई थी।
डॉ. इजेटा को ज्वार संकर उत्पादन में उनके स्मरणीय योगदान के लिए जाना जाता हैं। यह सूखे और विनाशकारी खरपतवार से होने वाले संकट से निजात दिलाता है। इससे उप-सहारा अफ्रीका में महत्वपूर्ण रूप से उत्पादन में वृद्धि हुई है जिससे खाद्य आपूर्ति को बढ़ावा मिला है। डॉ. इजेटा 2010 तक यूएसएआईडी प्रशासक के विशेष सलाहकार और अमेरिकी सरकार राष्ट्रपति विज्ञान प्रतिनिधि हैं।
डॉ. इजेटा ने विकसित और विकासशील देशों के समक्ष होने वाले जलवायु परिवर्तन की चुनौतियों से निपटने के लिए निर्माण क्षमता विकसित करने हेतु नीति निर्माताओं से सार्वजनिक-सार्वजनिक और सार्वजनिक-निजी भागीदारी को बढ़ावा देने का आग्रह किया। उन्होंने कहा कि दुनिया की आबादी इस समय 6 अरब है और वर्ष 2050 तक इसके लगभग दोगुना होने की उम्मीद है। इससे हमारे सामने खाद्य सुरक्षा का संकट मंडरा रहा है अतः खाद्य उत्पादन के वृद्धि पर अधिक जोर दिए जाने की आवश्यकता है। इसके लिए उपज को कुशलतापूर्वक बढ़ाने और रसायनों के विवेकपूर्वक उपयोग की आवश्यकता है।
डॉ. इजेटा ने बताया कि वैश्विक खाद्य सुरक्षा के लिए कृषि अनुसंधान को पुनः सशक्त होने की आवश्यकता है। उन्होंने वैश्विक हस्तक्षेप के साथ उच्च शैक्षणिक संस्थानों को प्रेरित करने के लिए वैश्विक दृष्टिकोण अपनाने का भी आग्रह करते हुए कहा कि इसके लिए अमेरिका और आर्थिक रूप से सशक्त होते भारत, चीन और ब्राजील आदि देशों को आपसी साझेदारी के माध्यम से जटिल वैज्ञानिक चुनौतियों का प्रभावशाली ढंग से सामना करना होगा और साथ ही सरकारी तथा निजी क्षेत्रों को वित्तीय सहायता देनी होगी।
(स्रोत- एनएआईपी सब-प्रोजेक्ट मास-मीडिया मोबिलाइजेशन, दीपा)
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