पांचवे अखिल भारतीय कृषि विज्ञान केंद्र सम्मेलन का उदघाटन
उदयपुर, 22 दिसंबर, 2010
राष्ट्रपति प्रतिभा पाटिल ने आज यहां मोहनलाल सुखाड़िया विश्वविद्यालय के सभागार में कृषि विज्ञान केंद्र के पांचवे अखिल भारतीय सम्मेलन का उदघाटन किया। राष्ट्रपति ने इस मौके पर केवीके को ज्ञान और संसाधन का जिला स्तर पर महत्वपूर्ण केंद्र बताते हुए कृषि तकनीकों को किसानों तक पहुंचाने में इनकी भूमिका की सराहना की। उन्होंने आह्वान किया कि केवीके दूसरी हरित क्रांति के लिए अग्रदूत की भूमिका निभाएं। इसके लिए केवीके को अपने-अपने क्षेत्रों में और अधिक सक्रियता के साथ कार्य करने के लिए प्रोत्साहित करना होगा। राष्ट्रपति का कहना था कि केवीके की भूमिका को और अधिक प्रभावी बनाने के लिए उन्हें हर जरूरी संसाधन उपलब्ध कराने चाहिए।
तीन दिवसीय सम्मेलन का उदघाटन पंजाब और राजस्थान के राज्यपाल श्री शिवराज पाटिल, राज्यस्थान के मुख्यमंत्री श्री अशोक गहलौत, केंद्रीय कृषि, उपभोक्ता मामले और सार्वजनिक वितरण मंत्री श्री शरद पवार, केंद्रीय ग्रामीण विकास मंत्री श्री सी.पी. जोशी और केंद्रीय कृषि, उपभोक्ता मामले और सार्वजनिक वितरण राज्य मंत्री प्रो. के.वी. थॉमस की गरिमामयी उपस्थिति में संपन्न हुआ।
इस अवसर पर राष्ट्रपति ने सर्वश्रेष्ठ केवीके का पुरस्कार करुर केवीके, कांचीपुरम केवीके और कडलूर केवीके को परिष्कृत खेती और बागवानी के प्रसार में महत्वपूर्ण योगदान के लिए दिया। खेती के लिए नवीन प्रयोग करने वाले उत्तर प्रदेश, पंजाब और महाराष्ट्र के किसानों को भी इस मौके पर राष्ट्रपति ने सम्मानित किया। कार्यक्रम में कई महत्वपूर्ण प्रकाशनों का विमोचन भी हुआ, जिसमें देशभर के 60,000 प्रगतिशील किसानों का डाटाबेस, ‘एग्रीटेक इंटरवेन्शन्सःहार्बिन्जर आफ प्रोसपेरिटी 2010’ शामिल है।
कार्यक्रम में शामिल प्रमुख वक्ताओं ने ग्रामीण और कृषि विकास के लिए ज्ञान को साझा करने पर जोर दिया। उनका कहना था कि इसके लिए ग्रामीण विकास से जुड़े विभिन्न विभागों और अन्य संगठनों की मदद लेने से इस प्रक्रिया को और प्रभावी तथा तेज बनाया जा सकता है। देश की अर्थव्यवस्था में कृषि का महत्वपूर्ण योगदान है, इसे नई तकनीक अपनाकर और अधिक बढ़ाया जा सकता है। वक्ताओं का मानना था कि देशभर में फैले केवीके के नेटवर्क की मदद से नई तकनीक पहुंचाकर कृषि क्षेत्र में चार फीसदी की वृद्धिदर को प्राप्त करना संभव हुआ।
भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद और महाराणा प्रताप कृषि विश्वविद्यालय, उदयपुर द्वारा संयुक्त रूप से आयोजित इस सम्मेलन का विषय ‘किसानों के बीच उद्यमशीलता’ का विकास है। इस सम्मेलन में सात तकनीकी सत्रों के साथ एक प्रदर्शनी का भी आयोजन किया गया है जिसमें कृषि में उद्यमिता विषय पर खेती संबंधी नई तकनीक का प्रदर्शन किया गया है। सम्मेलन में देशभर के 589 कृषि विज्ञान केंद्रों के कार्यक्रम समन्वयक, राज्य के कृषि विश्वविद्यालयों के कुलपति, भा.कृ.अनु.प. और योजना आयोग के अधिकारी, कृषि वैज्ञानिक और प्रगतिशील किसान भाग ले रहे हैं।
(स्त्रोतः एनएआईपी सब-प्रोजेक्ट मास मीडिया मोबिलाइजेशन, दीपा)
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