22 मई, 2023, पुरुलिया
भाकृअनुप-कृषि प्रौद्योगिकी अनुप्रयोग अनुसंधान संस्थान (अटारी), कोलकाता ने आज यहां कल्याण केवीके, पुरुलिया में 'पूर्वी भारत के छोटा नागपुर पठार क्षेत्र के लिए लागू करने योग्य प्रौद्योगिकियों' पर एक कार्यशाला का आयोजन किया।
मुख्य अतिथि, डॉ हिमांशु पाठक, सचिव (डेयर) एवं महानिदेशक (भाकृअनुप) ने अपने उद्घाटन संबोधन में कहा कि छोटानागपुर क्षेत्र को खेती/ उत्पादन प्रणालियों की आवश्यकता है, जो ढलान वाले इलाके में विभिन्न प्रकार के क्षेत्रों के लिए उपयुक्त हों। उन्होंने राज्य विभागों, भाकृअनुप संस्थानों, एसएयू, केवीके, वित्तीय संस्थानों, गैर सरकारी संगठनों एवं एफपीओ सहित छोटानागपुर क्षेत्र के विकास के लिए विभिन्न एजेंसियों के अभिसरण तथा समन्वय का आह्वान किया। डॉ. पाठक ने जोर देकर कहा कि छोटानागपुर पठारी क्षेत्र में कृषि को नीतियों द्वारा तथा संस्थानों और बाजारों में सुधार के माध्यम से बदलने की जरूरत है। उन्होंने कम पानी और कार्बन फुटप्रिंट के साथ कृषि आय में सुधार के लिए फसल, बागवानी, पशु, मत्स्य पालन और कृषि-उद्यम के साथ एकीकृत कृषि प्रणाली को अपनाने का आग्रह किया।
डॉ. प्रदीप डे, निदेशक, भाकृअनुप-अटारी, कोलकाता और कार्यशाला के संयोजक ने उल्लेख किया कि छोटानागपुर पठारी क्षेत्र एक भू-ऐतिहासिक रूप से अद्वितीय क्षेत्र है जहां पर विविध कृषि गतिविधियों के साथ-साथ एक आदिवासी आबादी का प्रभुत्व है। उन्होंने जोर देकर कहा कि इस कार्यशाला के आयोजन के उपरान्त मिट्टी की उर्वरता, पानी के कुशल उपयोग और आनुवंशिक विविधता के संरक्षण के लिए उपयुक्त प्रौद्योगिकियों की पहचान और संयोजन में मदद मिलेगी, जो कृषि उत्पादन में और सुधार करेगी तथा समग्र रूप से कृषक समुदाय की आजीविका में भी वृद्धि करेगी।

स्वामी वास्करानंद, सचिव, कल्याण, पुरुलिया और स्वामी भावेशानंद, सचिव, दिव्यायन कृषि विज्ञान केन्द्र ने खुद को जमीनी स्तर पर जुड़े रहने के बारे में बात की।
डॉ. स्वरूप कुमार चक्रवर्ती, कुलपति, उत्तर बंग कृषि विश्वविद्यालय ने इस तरह की एक व्यापक कार्यशाला के आयोजन के प्रयास की सराहना की और आशा व्यक्त की कि यह मेगा परियोजना एक अच्छे परिणाम के साथ कृषक समुदाय की सेवा के लिए एक लंबा रास्ता तय करेगा।
डॉ. टी.के. मंडल, कुलपति, डब्ल्यूबीयूएएफएस, कोलकाता ने कहा कि पशुधन के जानकारी प्राप्त करने की तकनीक और मत्स्य पालन क्षेत्र का व्यापक विकास, इस क्षेत्र में कृषि आय को बढ़ाने में मदद करेगा।
डॉ. दीपक कुमार कार, कुलपति, सिधो-कान्हो-बिरसा विश्वविद्यालय, पुरुलिया ने कहा कि सामाजिक विज्ञान क्षेत्र के माध्यम से,विशेष रूप से, क्षेत्र के कृषक समुदाय के उत्थान के लिए, विश्वविद्यालय की भागीदारी को सुनिश्चित किया।
विचार-विमर्श में पूर्वी भारत के छोटा नागपुर पठार क्षेत्र का एक सिंहावलोकन और क्षमता, बागवानी विकास के लिए गुणवत्तापूर्ण रोपण सामग्री की आपूर्ति का एक रोडमैप, सिट्रस तथा अंगूर उगाने के तरीके, खाद्य सुरक्षा के लिए चावल की नई किस्मों का उपयोग, पशु एवं मत्स्य पालन घटक के माध्यम से कृषि लाभप्रदता में सुधार करना, छोटे किसानों को एफपीओ के माध्यम से लाख उद्योग को बीज के बिक्री के माध्यम से इस क्षेत्र को पुनर्जीवित करना, एकीकृत कृषि प्रणाली के माध्यम से बाधाओं को तोड़ना एवं उन्हें सशक्त बनाना शामिल था।
क्षेत्र के समग्र विकास के लिए विभिन्न लाइन विभागों, संस्थानों, एसएयू तथा केवीके से तालमेल और संसाधनों का उपयोग करने के साथ-साथ उपयोग की जा सकने वाली तकनीकों पर ध्यान केंद्रित करने के लिए एक पैनल चर्चा भी आयोजित की गई थी।
इस आयोजन के दौरान एक नव विकसित गर्मी प्रतिरोधी और अत्यधिक इम्यूनोजेनिक टीका जारी किया गया। लाइव अटैंयूएटेड थर्मोस्टेबल लेंटोजेनिक स्ट्रेन एनडी वैक्सीन को कोल्ड चेन सुविधाओं के कड़े रखरखाव की आवश्यकता नहीं पड़ती है, ताकि आसानी से बैकयार्ड पोल्ट्री पक्षियों के टीकाकरण के लिए दूरदराज के ग्रामीण इलाकों में ले जाया जा सके। किसानों के लाभ के लिए स्थानीय भाषाओं में कई प्रकाशन भी जारी किए गए।
कार्यशाला में भाकृअनुप संस्थानों के निदेशकों एवं वैज्ञानिकों, एसएयू, केवीके, लाइन विभागों के अधिकारियों और प्रगतिशील किसानों सहित झारखंड, ओडिशा एवं पश्चिम बंगाल के लगभग 130 प्रतिभागियों ने शिरकत की।
(स्रोत: भाकृअनुप-कृषि प्रौद्योगिकी अनुप्रयोग अनुसंधान संस्थान, कोलकाता)
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