एग्री-ड्रोन: आलू की खेती में क्रांति लाने में सक्षम

एग्री-ड्रोन: आलू की खेती में क्रांति लाने में सक्षम

6 जनवरी, 2024, मेरठ

भाकृअनुप-केन्द्रीय आलू अनुसंधान संस्थान (आरएस), मोदीपुरम ने आज सीपीआरआई, मोदीपुरम, मेरठ में 'राष्ट्रीय कृषि-ड्रोन कार्यशाला-सह-क्षेत्र दिवस' का आयोजन किया। कार्यक्रम का उद्देश्य विभिन्न कृषि-आधारित समुदायों के बीच कृषि-ड्रोन प्रौद्योगिकियों के बारे में जागरूकता बढ़ाना और ज्ञान का प्रसार करना है।

Agri-drone: Revolutionizing Potato Farming  Agri-drone: Revolutionizing Potato Farming

भारत सरकार ने अपनी 'डिजिटल स्काई वेबसाइट' के माध्यम से नागरिक उड्डयन महानिदेशालय (डीजीसीए) द्वारा प्रबंधित कृषि-ड्रोन के उपयोग के लिए व्यापक दिशा निर्देश और नियम जारी किए हैं। आलू आधारित फसल प्रणालियों में कृषि-ड्रोन प्रौद्योगिकी की भविष्य की संभावनाएं असाधारण रूप से आशाजनक हैं।

कृषि-ड्रोन एक ऐसा समाधान प्रदान करते हैं जो कृषि श्रमिकों के लिए कृषि-रसायनों के साथ सीधे संपर्क को काफी कम कर देता है, जिससे संभावित स्वास्थ्य खतरों को कम किया जा सकता है। यह छोटे (400 वर्ग मीटर) और बड़े खेतों में कुशलतापूर्वक काम करते हैं, विभिन्न इलाकों, पौधों की छतरियों और भारी वर्षा या अत्यधिक तापमान जैसी प्रतिकूल मौसम स्थितियों में नेविगेट करते हैं। इसके द्वारा फील्ड क्षेत्रों के सटीक जीपीएस माप के माध्यम से, कृषि-रसायनों को सटीक रूप से नापा जाता है और इस आधार पर लागू किया जाता है, जिससे उपयोग हेने वाले रसायनों के दुरुपयोग पर अंकुश लगता है साथ ही कृषि-रसायन, पानी तथा समय जैसे संसाधनों की बचत होती है। इसके अलावा, यह तकनीक भविष्य के अनुप्रयोगों जैसे सटीक बीज बोने और खेत की स्थितियों के अनुसार पोषक तत्वों के अनुप्रयोग, खेती में श्रम की कमी को प्रभावी ढंग से संबोधित करने एवं ग्रामीण क्षेत्रों में रोजगार के अवसर पैदा करने का वादा करती है।

Agri-drone: Revolutionizing Potato Farming  Agri-drone: Revolutionizing Potato Farming

बैटरी से चलने वाले और पर्यावरण के अनुकूल होने के कारण, कृषि-ड्रोन पेट्रोलियम उत्पादों पर निर्भर हुए बिना लागत प्रभावी संचालन प्रदान करते हैं। भारत सरकार ने अपनी 'डिजिटल स्काई वेबसाइट' के माध्यम से नागरिक उड्डयन महानिदेशालय (डीजीसीए) द्वारा प्रबंधित कृषि-ड्रोन के उपयोग के लिए व्यापक दिशा निर्देश और नियम जारी किए हैं।

कार्यशाला में विभिन्न हितधारक समूहों के लगभग 300 लाभार्थियों ने सक्रिय रूप से भाग लिया।

(स्रोत: भाकृअनुप-केन्द्रीय आलू अनुसंधान संस्थान, मेरठ)

×