पुणे स्थित अश्व प्रजनक, श्री रंजीत खेर ने भारत की पहली निजी अश्व के वीर्य प्रयोगशाला की स्थापना की तथा देश भर में नर प्रजनक अश्व के जमे हुए वीर्य के एक विश्वसनीय आपूर्तिकर्ता बन गए।
उन्होंने वर्ष 2021 में भाकृअनुप-राष्ट्रीय अश्व अनुसंधान केन्द्र (एनआरसीई), बीकानेर द्वारा विकसित दो तकनीकों "स्वदेशी अश्व के नश्ल के वीर्य संग्रह तथा क्रायोप्रिजर्वेशन" एवं "नर प्रजनक अश्व से वीर्य संग्रह के लिए अनुकूलित एवी" को अश्व उत्पादन परिसर, भाकृअनुप-एनआरसीई से खरीदा। यह प्रौद्योगिकी डॉ. टीआर टल्लूरी, डॉ. यशपाल और डॉ. आरए लेघा द्वारा विकसित किया गया था।
श्री खेर और उनकी टीम के सदस्यों ने भाकृअनुप-एनआरसीई में वैज्ञानिकों की विशेषज्ञ टीम से नर प्रजनक अश्व के वीर्य संग्रह के साथ-साथ क्रायोप्रिजर्वेशन विधियों का प्रशिक्षण प्राप्त किया।
भाकृअनुप-एनआरसीई से वैज्ञानिक और तकनीकी इनपुट के साथ, उन्होंने पुणे, महाराष्ट्र में प्रजनक अश्व के वीर्य संग्रह और क्रायोप्रिजर्वेशन के लिए एक अत्याधुनिक प्रयोगशाला स्थापित की। श्री खेर की टीम ने देश भर के विभिन्न अश्व प्रजनकों से नर प्रजनक अश्व के वीर्य को भी एकत्र किया और जमे हुए वीर्य के साथ-साथ गर्भाधान के योग्य अश्व के साथ-साथ सर्वोत्तम संभव वंशावली से घोड़े के वीर्य के 1000 से अधिक स्ट्रॉ को सफलतापूर्वक संरक्षित किया। स्वदेशी अश्व नस्ल का संग्रह, क्रायोप्रिजर्वेशन तथा कृत्रिम गर्भाधान पिछले साल शुरू हुआ था। इस तकनीक के द्वारा जमे हुए वीर्य का उपयोग द्वारा बछड़े का उत्पादन, इस क्षेत्र में एक सफल उपलब्धि माना गया।
बहुत कम समय में, श्री खेर ने इक्वाइन फ्रोजन सीमन डोज बेचने में एक सफल उद्यमी के रूप में खुद को स्थापित किया है। उनकी सफलता युवा उद्यमियों के लिए प्रेरणा का स्रोत है, और वे अपने सभी प्रयासों में उत्कृष्टता के लिए प्रयासरत हैं।
(स्रोत: भाकृअनुप-राष्ट्रीय अश्व अनुसंधान केन्द्र, बीकानेर)
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