एमपीयूएटी के वैज्ञानिकों द्वारा शरीफा प्रसंस्करण की मशीन विकसित

एमपीयूएटी के वैज्ञानिकों द्वारा शरीफा प्रसंस्करण की मशीन विकसित

imgशरीफा की खेती राजस्थान, आंध्र प्रदेश और कर्नाटक में बड़े स्तर पर की जाती है। यहां के किसानों के सामाजिक-आर्थिक उत्थान में इसका काफी योगदान है। लेकिन शरीफा के प्रसंस्करण के लिए इसका गूदा निकालना एक बड़ी बाध्यता है। गूदा निकालने के एक घंटे के अंदर इसमें एंजाइमी भूरापन आ जाने, 65 डिग्री सेल्सियस से ऊपर गर्म करने पर कड़वापन, अरुचिकर व रूखा स्वाद आने और महीन दानेदार कोशिकाओं के कारण शरीफा के प्रसंस्करण में समस्याएं आती हैं। महाराणा प्रताप कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय (एमपीयूएटी), उदयपुर के वैज्ञानिकों ने शरीफा से गूदा निकालने की ऐसी तकनीक और मशीन विकसित की है जिससे इसमें भूरापन नहीं आएगा।

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दरअसल, गूदा निकालने के बाद एंजाइमी ऑक्सीकरण के कारण इसका रंग भूरा हो जाता है। इससे गूदा खाने योग्य नहीं रह जाता है और बाजार में इसका उचित मूल्य भी नहीं मिलता। शरीफे का गूदा आईसक्रीम, रबड़ी और पेय पदार्थ बनाने में इस्तेमाल किया जाता है। इस प्रौद्योगिकी और मशीन का विकास राष्ट्रीय कृषि नवोन्मेषी परियोजना (एनएआईपी) के तहत राजस्थान कृषि महाविद्यालय, एमपीयूएटी, उदयपुर के बागवानी विभाग के अध्यक्ष प्रो. डॉ. आर.ए. कौशिक और असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ. सुनील पारीक ने किया है। मशीन का डिजाइन और विकास केन्द्रीय कटाई उपरांत अभियांत्रिकी एवं प्रौद्योगिकी संस्थान (सीफेट), अबोहर द्वारा किया गया है। इस मशीन के दो भाग हैं। पहला भाग शरीफा से बीज सहित गूदे को बाहर निकालता है फिर दूसरा भाग गूदे से बीज को अलग करता है। इस गूदे को एक साल तक सुरक्षित रखा जा सकता है।

प्रो. ओ.पी गिल, कुलपति, एमपीयूएटी, उदयपुर ने बताया कि इस तकनीक से प्रदेश के आदिवासियों को आजीविका सुरक्षा मिलेगी। वहीं, शरीफा उत्पादक किसानों की आमदनी बढ़ने से उनका जीवन स्तर भी सुधरेगा। डॉ. कौशिक ने बताया कि गूदा निकालने का पारंपरिक तरीका अस्वास्थ्यकर है। यह गूदा जल्द ही खराब हो जाता है और इसकी गुणवत्ता निम्न स्तर की होती है। हाथ से गूदा निकालने का काम काफी खर्चीला भी है। इस नई तकनीक से गूदा निकालने पर खर्च तो घटेगा ही, गूदे की गुणवत्ता भी बढ़ेगी। शरीफा उत्पादक आदिवासी, ट्रान्सपोर्टर्स, खाद्य प्रसंस्करण उद्यमी, डेयरी उद्यमी, पेय पदार्थ बनाने वाले उद्यमी, हलवाई आदि इस नई तकनीक से अपनी आय बढ़ा सकते हैं। एमपीयूएटी ने व्यवसाय नियोजन एवं विकास एकक के तहत गुजरात की दो कंपनियों संतराम आईसक्रीम एंड स्नैक्स, आनंद और दीप फ्रेश फ्रोजन प्रोडक्ट्स, नवसारी को इस तकनीक का व्यवसायिक इस्तेमाल करने का लाइसेंस दिया है। इससे दूर-दराज के किसानों को भी इस तकनीक का लाभ मिल सकेगा।

(स्रोतः एनएआईपी मास मीडिया परियोजना, डीकेएमए, साथ में बागवानी विभाग, एमपीयूएटी, उदयपुर और डीएमएपीआर, आनंद से इनपुट)
हिन्दी प्रस्तुति: एनएआईपी मास मीडिया परियोजना, डीकेएमए, आईसीएआर

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