एनडीआरआई में राष्ट्रीय डेयरी मेले का उद्घाटन

एनडीआरआई में राष्ट्रीय डेयरी मेले का उद्घाटन

25 फरवरी 2013, करनाल

डॉ. आर.एस. परोदा, अध्यक्ष, हरियाणा किसान आयोग तथा पूर्व सचिव, डेयर एवं महानिदेशक, आईसीएआर ने राष्ट्रीय डेयरी अनुसंधान संस्थान (एनडीआरआई), करनाल में राष्ट्रीय डेयरी मेले का उद्घाटन किया।

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ndrinews-01-26-02-2013_0.jpg मुख्य अतिथि के रूप में अपने भाषण में डॉ. परोदा ने पशु जैव प्रौद्योगिकी और डेयरी तकनीक के क्षेत्र में एनडीआरआई के कार्यों की सराहना की। उन्होंने कहा कि अधिक कुशलताओं के साथ दुग्ध उत्पादन और उसके प्रसंस्करण बढ़ाने के लिए नवीन कदम उठाए जाने की आवश्यकता है। उन्होंने घरेलू और वैश्विक बाजार में बढ़ती मांग वाले मोजरेला चीज़ (पनीर) के वाणिज्यिक उत्पादन पर भी विशेष जोर दिया। डॉ. परोदा ने किसानों के लाभ में वृद्धि के लिए स्वयंसेवा समूह और सहकारी समितियां बनाए जाने की आवश्यकता पर भी बल दिया। वायु प्रदूषण को कम करने तथा पारम्परिक ईंधन स्रोतों को बचाने के लिए, श्री परोदा ने घरेलू स्तर पर बायो गैस और नवीनीकृत ऊर्जा के उत्पादन की नयी तकनीकों को विकसित करने पर भी चर्चा की। उन्होंने किसानों से सरकार की नवीन योजनाओं का लाभ लेने का आह्वान किया तथा वैज्ञानिकों को किसानों के लाभ के लिए ग्राम आधारित कम लागत की प्रसंस्करण तकनीकों का विकास करने की सलाह दी।

ndrinews-02-26-02-2013_0.jpg अपने अध्यक्षीय भाषण में डॉ. ए.के. श्रीवास्तव, निदेशक, एनडीआरआई ने आशा जताई कि डेयरी मेले से किसानों को काफी कुछ सीखने को मिलेगा तथा उन्होंने पशुओं की बीमारियों से बचाव के लिए आसान सुझाव भी दिए। डॉ. श्रीवास्तव ने कहा कि क्षेत्र में पशुओं के रोग एफएमडी का अभी तक पूर्ण उन्मूलन नहीं हुआ है इसलिए पशुओं का नियमित तौर पर टीकाकरण कराया जाना चाहिए। उन्होंने ने आशा व्यक्त की कि वैज्ञानिकों और किसानों के प्रयासों से हम 2020 में 191 मिलियन टन दूध के उत्पादन के लक्ष्य को पूरा कर लेंगे।

इस अवसर पर डॉ. बी.के. जोशी, निदेशक, एनबीएजीआर; डॉ. रामेश्वर सिंह, परियोजना निदेशक, डीकेएमए; डॉ. आर.एस. दलाल, सचिव, हरियाणा किसान आयोग तथा एनडीआरआई के वरिष्ठ अधिकारी भी उपस्थित थे। राष्ट्रीय डेयरी मेले के अवसर पर गणमान्यों ने अनेक प्रकाशनों का भी विमोचन किया।

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इससे पूर्व, डॉ. डी.के. गोसांई, आयोजन सचिव ने गणमान्यों का स्वागत किया तथा कार्यक्रम के बारे में संक्षिप्त जानकारी दी। इस तीन दिन (25-27 फरवरी 2013) के मेले में किसान, प्रदर्शक तथा छात्र भाग ले रहें हैं तथा इसमें लगभग 500 पशुओं को प्रदर्शित किया जाएगा। मेले के दौरान वैज्ञानिकों के साथ गोष्ठी तथा पशुओं की विभिन्न प्रतियोगिताओं का भी आयोजन किया जाएगा।

(स्रोतः एनएआईपी मास मीडिया परियोजना, डीकेएमए आईसीएआर)

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