26 मार्च, 2024, गोवा
भाकृअनुप-केन्द्रीय तटीय कृषि अनुसंधान संस्थान, ओल्ड गोवा, कृषि विज्ञान केन्द्र ने भारत सरकार द्वारा अनुसूचित जनजाति योजना के हिस्से के रूप में 'डेयरी उत्पादन के वैज्ञानिक प्रबंधन-सह-इनपुट वितरण कार्यक्रम' पर 1 दिवसीय प्रशिक्षण सत्र का आयोजन किया।
भाकृअनुप-सीसीएआरआई गोवा के निदेशक, डॉ. परवीन कुमार ने ग्रामीण अर्थव्यवस्था और कृषक समुदाय में डेयरी के महत्व पर जोर दिया और बताया कि यह टिकाऊ आहार में कैसे योगदान देता है। कार्यक्रम के दौरान उन्होंने सभी लाभार्थियों को डेयरी फार्मिंग इनपुट वितरित किया।
वरिष्ठ वैज्ञानिक और प्रमुख, डॉ. एन. बोम्मयासामी ने हाइब्रिड नेपियर चारा उत्पादन, चारा प्रबंधन के महत्व के बारे में जानकारी दी और पशु स्वास्थ्य और प्रजनन दक्षता पर इसके प्रभाव को स्पष्ट किया।
डॉ. उधारवार संजयकुमार विट्ठलराव, एसएमएस (पशु विज्ञान) ने डेयरी पशुओं के वैज्ञानिक आवास, भोजन, प्रजनन तथा रोग प्रबंधन पर व्याख्यान दिया। उन्होंने एजोला की खेती की तकनीक और साइलेज उत्पादन की प्रक्रिया का प्रदर्शन किया, डेयरी पशुओं के आहार में खनिज मिश्रण के उपयोग के बारे में जागरूकता बढ़ाई।
कार्यक्रम में अनुसूचित जनजाति के 20 लाभार्थी शामिल थे, जिनमें 11 किसान और नौ कृषक महिलाएं शामिल थीं।
(स्रोत: भाकृअनुप-केन्द्रीय तटीय कृषि अनुसंधान संस्थान, पुराना गोवा)
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