बारास, करनाल गांव के किसान श्री सुरजीत सिंह को उनके जमीनी नवोन्मेषों और गुणवत्तायुक्त बीजों को तैयार करने के लिए जाना जाता है। वे वर्ष 2013 के दौरान मृदा क्षारीयता पर सलाह लेने आईसीएआर-केंद्रीय मृदा लवणता अनुसंधान संस्थान, करनाल के संपर्क में आए और उन्होंने अन्य किसानों के साथ मिलकर सहभागिता मोड में केआरएल-210 के गुणवत्तायुक्त बीजों का उत्पादन किया और अपने स्वयं का बीज नेटवर्क (किसान से मंडी तक) विकसित करके अपनी आजीविका में वृद्धि की। वे वर्ष 2013 से ही हल्की क्षारीय भूमि (पीएच का रेंज 8.45 ± 0.15) पर उल्लेखनीय उपज (64.55 से 70.75 क्यू / हेक्टेयर) के साथ सीएसएसआरआई द्वारा विकसित गेहूं की लवण-सहिष्णु किस्म केआरएल-210 की खेती कर रहे हैं। वे नवंबर के पहले से दूसरे सप्ताह के बीच शून्य या बहुत कम जुताई के साथ लवणता-प्रभावित मिट्टी में बीज-सह-उर्वरक ड्रिल का उपयोग करके केआरएल-210 के बीज बोते हैं। केआरल-210 (बीज के लिए) के ठोस दाने प्राप्त करने के लिए टिलर्स की बढ़ी हुई संख्या के साथ, उन्होंने 55 किलो/हे0 की निम्न बीज दर के साथ 18 सेमी की पंक्ति दूरी पर (22 सेमी पंक्ति की दूरी पर 100 किलो/हे0 की अनुशंसित बीज दर) के मुकाबले गेहूं की केआरएल-210 किस्म को बोने के लिए अपने बीज ड्रिल में बदलाव (कैलिब्रेट) किया। श्री सिंह ने नाइट्रोजन को 10% (135-140 किलो एन/हे0) तक कम कर दिया, लेकिन पोटाश (पी) को 15% उच्च (58-60 किलो P2O5) को देना जारी रखा। हालांकि, वे पिछले 15 वर्षों से गेहूं की किसी भी किस्म में सामान्यत: 1-2 सिंचाई कर रहे थे, उदाहरण के लिए वर्ष 2016-17 के दौरान उन्होंने .2मौसम पैटर्न की जानकारी प्राप्त करने के पश्चात बुवाई के 30 दिनों के बाद केआरएल-210 में केवल एक बार सिंचाई की। इसके बाद उन्होंने कोई सिंचाई नहीं की क्योंकि जनवरी और मार्च 2017 के दौरान 6 बारिश (कुल 96.3 मिमी वर्षा) होने से इस बीच नमी की आवश्यकता पूरी हो गई। 4 अप्रैल, 2017 को फसल की कटाई की गई और उपज संबंधी आंकड़ों को दर्ज किया गया। 3.63% की विविधता के साथ, पिछले पांच वर्षों (2013-2017) में केआरएल-210 की औसत उपज 67.47 क्विं/हे0 के साथ वर्ष 2016-17 में 70.75 क्विं/हे0 की अधिकतम उपज प्राप्त की गई। इस प्रगतिशील/सृजनात्मक किसान की उपयुक्त प्रबंधन व्यवस्था के कारण ही यह संभव हो सका, और केआरएल-210 (452-476/वर्ग मीटर) में अपेक्षाकृत अधिक प्रभावी दौजियों (टिलर्स) की संख्या ) और 2016-17 के दौरान दानों का अधिक वजन (46.2-48.1 ग्राम/1000 दाने) प्राप्त हुआ। सुरजीत सिंह द्वारा गेहूं की केआरएल-210 किस्म को अपनाने के परिणामस्वरूप जहां एक ओर प्राकृतिक संसाधनों का संरक्षण एवं पर्यावरणीय स्थायित्व में वृद्धि हुई वहीं गेहूं के एमएसपी के साथ बेहतर आर्थिक् लाभ (बी:सी) सहित लगभग 25-30.0% संसाधनों की भी बचत हुई। एमएसपी पर नियमित बिक्री के अलावा, वे प्रति वर्ष औसतन 70-90 क्विंटल तक गेहूं की केआरएल-210 किस्म के बीज को प्रति क्विंटल रू0 3000 की दर से बेच रहे हैं और किसानों के नेटवर्क के माध्यम से केआरएल-210 के बीजों की बिक्री से उन्होंने रू0 195,000/हे0 अर्जित किए
अन्य किसानों द्वारा अपनाई गई प्रक्रियाओं की में श्री सुरजीत सिंह द्वारा अपनाई गई अनुकूलन प्रक्रियाएं
अनुकूलन घटक |
श्री सुरजीत सिंह द्वारा अपनाई गई प्रक्रियाएं |
अन्य किसानों द्वारा अपनाई गई प्रक्रियाएं |
किस्म |
केआरएल 210 |
एचडी 2 9 67 |
बीज दर (किग्रा/हे0) |
55 |
100 |
बुवाई का तरीका |
शून्य जुताई |
रोटावेटर/शून्य जुताई |
दूरी (सेमी) |
18 |
20-22 |
उर्वरक देना |
|
|
नाइट्रोजन (किग्रा N/ हे0) |
135-140 |
165-195 |
फॉस्फोरस (किग्रा P2O5/ हे0) |
58-60 किग्रा |
50 |
सिंचाई (संख्या) |
1-2 |
3-4 |
उपज (क्विं0/हे0) |
70.75 |
60 |
खेती की लागत (रु0/हे0) * |
12986 |
18,855-19,238 |
सकल प्राप्ति @ 1625 / क्विं0 |
114,970 |
97,500 |
लाभ: लागत अनुपात 1 |
8.85 |
5.07-5.46 |
* दोनों विधियों के तहत खेती की लागत की गणना करते समय अन्य निवेश (इनपुट) लागतों को समान माना जा रहा है।
1 इसमें केआरएल-210 की बीज की बिक्री से प्राप्त आय को शामिल नहीं किया गया है जिसके लिए श्री सुरजीत सिंह ने इस किस्म को अपनाया था
यहां यह उल्लेख करना प्रासंगिक है कि वर्ष 2013 से केआरएल-210 को बोने के अलावा श्री सुरजीत सिंह, जलवायु परिवर्तन का सामना करने के लिए पिछले डेढ़ दशकों से कम बीज और सिंचाई के साथ अनौपचारिक कृषि संबंधी प्रयोगों को भी साथ-साथ जारी रखे हुए हैं। क्षारीयता का आकलन, लवण-सहिष्णु गेहूं की किस्म केआरएल-210 को उपलब्ध कराने तथा किसानों के नेटवर्क सहायता हेतु सीएसएसआरआई के सहयोग (2013-2017) से उनके द्वारा किए गए इस तरह के अनौपचारिक सस्य वैज्ञानिक परीक्षण, अजैविक दबावों के अनुकूलन हेतु अंगीकृत ज्ञान के सह-प्रस्तुतीकरण का एक उदाहरण प्रस्तुत करते हैं।
(स्रोत: आईसीएआर-केंद्रीय मृदा लवणता अनुसंधान संस्थान, करनाल)
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