गुणवत्ताtयुक्तi पौद के उत्पाnदन से बढ़ी प्रतिष्ठा और खुशहाली

गुणवत्ताtयुक्तi पौद के उत्पाnदन से बढ़ी प्रतिष्ठा और खुशहाली

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सब्‍जी फसलों की अच्‍छी बढ़वार और प्रदर्शन के लिए गुणवत्‍तायुक्‍त पौद का होना अनिवार्य है। अत: पौद उत्‍पादन का व्‍यवसाय एक पेशे और व्‍यावसायिक गतिविधि के तौर पर उभर रहा है। अतीत में, अधिकांश सब्‍जी किस्‍में खुली परागित थीं और किसानों द्वारा अपनी स्‍वयं की नर्सरी क्‍यारियां तैयार करके अपेक्षाकृत कम लागत पर पौद उत्‍पादन किया जाता था। हालांकि, संकर किस्‍मों के बीजों जिनकी लागत खुली परागित किस्‍मों की तुलना में अधिक होती है, के लिए मांग में हुई वृद्धि के कारण अनेक प्रगतिशील किसानों और कृषि उद्यमियों ने एक व्‍यावसायिक गतिविधि के तौर पर पौद ट्रे का उपयोग करके गुणवत्‍तायुक्‍त पौद का उत्‍पादन करना प्रारंभ किया है।

ऐसे ही एक उद्यमी किसान श्री प्रकाश द्वारा अपनी 2.5 एकड़ की पैतृक जमीन पर रागी, धान, गेंदा और सब्जियों की खेती की जा रही थी। इनकी फसलें रोगों से ग्रस्‍त थीं और उनमें कम उपज प्राप्‍त होती थी। तब, इन्‍होंने अपनी इस समस्‍या का समाधान तलाशने और अपने परिवार को गरीबी के दलदल से निकालने के प्रयोजन से भाकृअनुप – भारतीय बागवानी अनुसंधान संस्‍थान, बंगलुरू से सम्‍पर्क साधा।

श्री प्रकाश ने भाकृअनुप – भारतीय बागवानी अनुसंधान संस्‍थान, बंगलुरू  के वैज्ञानिकों की सलाह से छायादार नेट का उपयोग करते हुए कम लागत वाली संरक्षित संरचना लगाई और बढ़वार मीडिया के रूप में निजर्मीकृत कोकोपीट का उपयोग करके पोरट्रे में सब्‍जी फसलों का पौद उत्‍पादन करना प्रारंभ किया । उस समय इनका अपना घर केवल  9’ X 30’ क्षेत्रफल में था और इनके बैंक खाते में भी केवल 180/- रूपये जमा थे। श्री प्रकाश को संक्षेप में यह बताया गया था कि छायादार नेट से वायरस के कारण कीटों को प्रवेश करने से रोका जा सकेगा,पोरट्रे का उपयोग करने से पौद में होने वाले जड़ नुकसान में कमी आएगी; जड़ों में अधिकता में पानी बने रहने में कमी आएगी और मीडिया जो कि हल्‍के भार वाली होती है, द्वारा उत्‍कृष्‍ट अंकुरण और वृद्धि को बढ़ावा मिलेगा। जैसा कि अनुमान था, श्री प्रकाश ने गुणवत्‍तायुक्‍त पौद हासिल कीं जिनकी कि अत्‍यधिक मांग थी। उन्‍होंने धीरे धीरे अपनी पैतृक जमीन पर पौद को उगाना प्रारंभ किया और आज यह अपनी पूरी  2 ½एकड़ जमीन पर गुणवत्‍तायुक्‍त सब्‍जी पौद उत्‍पादन कर रहे हैं।

 

अपने कार्य को और अधिक बढ़ाने की जरूरत को महसूस करते हुए, इन्‍होंने भाकृअनुप – भारतीय बागवानी अनुसंधान संस्‍थान, बंगलुरू द्वारा विकसित एवं संस्‍तुत मशीनरी जैसे कि मीडिया सीवर और हाथ चालित पोरट्रे डिबलर का उपयोग करना प्रारंभ किया। हाथ से चलाने वाले पोरट्रे डिबलर का उपयोग करके श्री प्रकाश पौद उत्‍पादन के कार्य में बीजों का रोपण कहीं तेज गति से कर सके।

हासिल किए गए अनुभव के आधार पर, श्री प्रकाश द्वारा अपना स्‍वयं का गमला मिश्रण संयोजन भी विकसित किया गया जिसमें कोकोपीट, नीम केक तथा ट्राइकोरिच  प्रमुख संघटक के रूप में शामिल थे। इनका विचार है कि मिश्रण संयोजन द्वारा पौद उत्‍पादन की प्रक्रिया के दौरान बीजों के बेहतर अंकुरण में मदद की जाती है। वर्तमान में, श्री प्रकाश द्वारा भाकृअनुप – भारतीय बागवानी अनुसंधान संस्‍थान, बंगलुरू के वैज्ञानिकों द्वारा हालिया विकसित सूक्ष्‍मजीव कंसोर्शियम  का उपयोग किया जा रहा है।

श्री प्रकाश द्वारा नेटहाउस में वर्षाकाल के दौरान पौद को बचाने की एक नवोन्‍मेषी विधि विकसित की है जो कि उपयोग करने में अत्‍यंत सरल, सस्‍ती और सुगम है। साथ ही इन्‍होंने परिवहन के दौरान होने वाले नुकसान से बचने और आसानी के लिए एक आयरन संरचना भी तैयार की है।

श्री प्रकाश द्वारा टमाटर, बंदगोभी, फूलगोभी, बैंगन, शिमला मिर्च, मिर्च, गांठ गोभी, तोरई, खीरा और अन्‍य सब्‍जी फसलों की पौद तैयार की जाती है। इन्‍होंने अपनी नर्सरी की क्षमता को बढ़ा लिया है और वर्तमान में इसमें प्रति वर्ष 40 लाख पौद तैयार की जाती हैं। इस उद्यम से श्री प्रकाश को प्रति माह एक लाख रूपये से भी अधिक का लाभ मिलता है।

श्री प्रकाश न केवल एक व्‍यावसायिक पौद उत्‍पादक के रूप में उभर कर सामने आए हैं वरन् यह अन्‍य पारम्‍परिक किसानों के लिए एक रोल मॉडल भी हैं। श्री प्रकाश एक प्रभावी तकनीकी एजेन्‍ट बन गए हैं और न केवल गुणवत्‍ता पौद की आपूर्ति करते हैं वरन् ये भाकृअनुप – भारतीय बागवानी अनुसंधान संस्‍थान, बंगलुरू के वैज्ञानिकों की मदद से अपनी तकनीकी ज्ञान को भी समय समय पर अद्यतन बनाये रखते हैं।

 

(स्रोत : भाकृअनुप – भारतीय बागवानी अनुसंधान संस्‍थान, बंगलुरू से मिले इनपुट के आधार पर मास मीडिया मोबिलाइजेशन, डीकेएमए पर एनएआईपी उप-परियोजना)

 

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