14 सितम्बर, 2012, नई दिल्ली
आज हिंदी दिवस के अवसर पर महामहिम भारत के राष्ट्रपति श्री प्रणब मुखर्जी ने कृषि अनुसंधान एवं शिक्षा विभाग (डेयर) को इंदिरा गांधी राजभाषा शील्ड के अंतर्गत प्रथम पुरस्कार (2010-11) से सम्मानित किया। डॉ. एस. अय्यप्पन, सचिव, डेयर एवं महानिदेशक, भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद ने डेयर की ओर से यह प्रतिष्ठित पुरस्कार ग्रहण किया। इस अवसर पर अपने सम्बोधन में श्री प्रणब मुखर्जी ने बताया कि विश्व के लगभग 150 विश्वविद्यालयों में हिंदी के अध्ययन, अध्यापन और शोध का कार्य हो रहा है। देश के विकास के लिए लागू कार्यक्रमों में हिंदी और प्रांतीय भाषाएं महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहीं हैं। उन्होंने आशा व्यक्त की कि इसी माह जोहांस्बर्ग में आयोजित होने वाले नौंवें विश्व हिंदी सम्मेलन में हिंदी को अंतर्राष्ट्रीय भाषा के रूप में पहचान मिलने की सम्भावना और अधिक मजबूत होगी।
डेयर भारत सरकार के कृषि मंत्रालय के अंतर्गत कार्य करते हुए देश में कृषि अनुसंधान, शिक्षा और प्रसार के कार्यक्रमों को भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद के माध्यम से लागू करती है। डेयर को यह सम्मान अपने कार्यक्रमों और कामकाज में राजभाषा हिंदी के व्यापक और प्रभावी उपयोग के लिए प्रदान किया गया। इस प्रकार डेयर कृषि सम्बन्धी अनुसंधानों और विकास के लाभ हिंदी भाषी किसानों के विशाल समुदाय तक पहुंचाने में सफल रही।
महामहिम राष्ट्रपति ने हिंदी में मौलिक पुस्तक लेखन के लिए इंदिरा गांधी राजभाषा पुरस्कार की श्रेणी में भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद के भुवनेश्वर स्थित जल प्रबंधन निदेशालय के डॉ. पी. एस. ब्रह्मानन्द, डॉ. सौविक घोष, डॉ. अश्वनी कुमार एवं श्री बी. एस. पर्सवाल को उनके द्वारा रचित पुस्तक “वैश्वीकरण और भारतीय खाद्य सुरक्षा” के लिए प्रथम पुरस्कार प्रदान किया।
‘ग’ क्षेत्र में स्थित केन्द्रीय समुद्री मात्स्यिकी अनुसंधान संस्थान, कोचीन को राजभाषा कार्यान्वयन के लिए तृतीय पुरस्कार से सम्मानित किया गया। यह पुरस्कार संस्थान के निदेशक डॉ. जी. सायदा राव ने ग्रहण किया।
राजभाषा पुरस्कार प्रतिवर्ष भारत सरकार के गृह मंत्रालय द्वारा हिंदी दिवस (14 सितम्बर) के अवसर पर प्रदान किए जाते हैं।
(स्रोत: एनएआईपी मास मीडिया प्रोजेक्ट, डीकेएमए)
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