23 जून, 2023, नई दिल्ली
भाकृअनुप-केन्दीय कटाई उपरान्त अभियांत्रिकी एवं प्रौद्योगिकी संस्थान (सिफेट), लुधियाना ने साबुत दालों के भंडारण पर परियोजना के लिए भारत सरकार के उपभोक्ता मामले विभाग (डीओसीए) के साथ एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए।
यह अध्ययन विभिन्न राज्यों में स्थित गोदामों को कवर करने वाले 10 सहयोगी केन्द्रों के माध्यम से किया जाएगा और इसमें पांच प्रमुख दालों नामत: हरा चना (मूंग), काला चना (उर्द), चना (चना), अरहर (अरहर), और मसूर (मसूर) को शामिल किया जाएगा। यह परियोजना 8.58 करोड़ रुपये के बजट के साथ 3 वर्षों तक संचालित होगी।
समझौता ज्ञापन पर आज भाकृअनुप-सिफेट के निदेशक, डॉ. नचिकेत कोतवालीवाले और डीओसीए के आर्थिक सलाहकार, डॉ. के. गुइटे ने भाकृअनुप के उप महानिदेशक (कृषि इंजीनियरिंग), डॉ. एस.एन. झा की उपस्थिति में हस्ताक्षर किए गए।
डॉ. झा ने पूरे देश में विभिन्न केंद्रों के माध्यम से संचालित की जा रही महत्वाकांक्षी परियोजना को तैयार करने में सिफेट द्वारा उठाए गए नेतृत्व की सराहना की और ठोस वैज्ञानिक समर्थन के साथ प्रोटोकॉल के विकास को प्रोत्साहित करने के लिए उपभोक्ता मामले विभाग (डीओसीए) की सराहना की। उन्होंने अध्ययन में शामिल वैज्ञानिकों को निर्दिष्ट उद्देश्यों से आगे बढ़ने और अकादमिक ज्ञान सृजन के लिए कुछ प्रयोग करने के लिए भी प्रोत्साहित किया।
डॉ. कोतवालीवाले ने बताया कि सरकार पूरे देश में दालों की कीमत में स्थिरता तथा इसकी उपलब्धता सुनिश्चित करने के लिए खरीद एवं आयात के माध्यम से दालों का स्टॉक बनाए रखती है। उन्होंने कहा कि लंबे समय तक भंडारण की स्थिति से संग्रहीत दालों की मात्रा और गुणवत्ता में कमी आ सकती है और इन मापदंडों और दालों की भंडारण स्थितियों के बीच एक मजबूत संबंध स्थापित करने की आवश्यकता है।
डॉ गुइटे ने दालों के भंडारण प्रोटोकॉल पर उचित जानकारी की कमी के कारण देश को होने वाले आर्थिक नुकसान पर जोर दिया। उन्होंने टिप्पणी की कि दालों की मिलिंग आउट-टर्न और खरीद मानदंडों पर सीआईपीएचईटी के पहले के अध्ययन से विभाग को कच्ची और मिल्ड दालों की खरीद में काफी मदद मिली है। उन्होंने कहा कि जहां तक दालों के भंडारण का सवाल है, इसमें मौजूदा अध्ययन एक मील के पत्थर के रूप में परिलक्षित होगा।
बैठक में 10 नामित केन्द्रों के प्रमुख जांचकर्ताओं की परियोजना टीम ने भाग लिया और डॉ. आर.के. विश्वकर्मा, भाकृअनुप-सिफ़ेट, लुधियाना के नेतृत्व में, डॉ. महेश कोठारी, निदेशक योजना और निगरानी, एमपीयूएटी, उदयपुर, भाकृअनुप के कृषि इंजीनियरिंग प्रभाग के अधिकारी तथा उपभोक्ता मामले विभाग, भारत सरकार उपस्थित थे।
(स्रोत: भाकृअनुप-केन्दीय कटाई उपरान्त अभियांत्रिकी एवं प्रौद्योगिकी संस्थान, लुधियाना)
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