भाकृअनुप-एनआईबीएसएम ने शिक्षाविद एवं उद्योग जगत के बीच बैठक का किया आयोजन

भाकृअनुप-एनआईबीएसएम ने शिक्षाविद एवं उद्योग जगत के बीच बैठक का किया आयोजन

2 जून, 2023, रायपुर

भाकृअनुप-राष्ट्रीय जैविक तनाव प्रबंधन संस्थान (एनआईबीएसएम), रायपुर ने आज यहां अपनी पहली शिक्षाविद एवं उद्योग जगत के साथ बैठक का आयोजन किया।

शिक्षाविद एवं उद्योग जगत की बैठक एक ऐसा मंच था जहां शिक्षाविद (प्रोफेसर, शोधकर्ता, विद्वान) और उद्योग के पेशेवर ज्ञान का आदान-प्रदान करने, सहयोग के अवसरों पर चर्चा करने और शिक्षा और उद्योग के बीच की खाई को पाटने के लिए एक साथ आते हैं।

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डॉ. पी.के. चक्रबर्ती, पूर्व सदस्य, एएसआरबी और मुख्य वैज्ञानिक सलाहकार धानुका एग्रीटेक ने कहा कि बैठक का मुख्य उद्देश्य अकादमिक और उद्योग को बातचीत करने, अंतर्दृष्टि साझा करने तथा पारस्परिक लाभ के लिए सहयोग को बढ़ावा देने के लिए एक महत्वपूर्ण मंच प्रदान करना है। उन्होंने आह्वान किया कि देश की प्रगति के लिए सार्वजनिक-निजी भागीदारी जरूरी है। डॉ. चक्रवर्ती ने कृषि के क्षेत्र में अधिक परिष्कृत प्रौद्योगिकियों को, नवाचार में, सरकार के साथ सहयोग करने तथा समर्थन करने के लिए उद्योगों के निजी खिलाड़ियों से अधिक भागीदारी का आग्रह किया।

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परिचयात्मक टिप्पणी में, डॉ. पी.के. घोष, निदेशक, भाकृअनुप-एनआईबीएसएम ने किस्मों के मूल्यांकन में सहयोग और अनुबंध अनुसंधान के लिए तैयार प्रौद्योगिकियों के बारे में जानकारी दी, पूर्व-नस्ल सामग्री, डीएसआर प्रौद्योगिकियों को साझा करने, अंतिम-उपयोगकर्ता की विशेषता, विशेषज्ञता, और उद्योग के पेशेवरों के साथ अंतर्दृष्टि पर आधारित विशिष्ट किस्मों के विकास के बारे में शिक्षाविद अपने शोध निष्कर्षों को साझा कर सकते हैं।

डॉ. एस.के. मल्होत्रा, पूर्व कृषि आयुक्त एवं वर्तमान निदेशक, भाकृअनुप-कृषि ज्ञान प्रबंध निदेशालय ने इस बात पर जोर दिया कि उपलब्ध प्रौद्योगिकियों के व्यावसायीकरण के लिए उद्योग जगत एवं अकादमिक जगत के बीय सहयोग सर्वोपरि है जिससे किसानों को तत्काल लाभ मिल सके।

उद्योग के प्रतिनिधियों ने अपने उत्पाद प्रोफाइल पर प्रस्तुतियां दीं और आगे व्यावसायीकरण के लिए एनआईबीएसएम प्रौद्योगिकियों के साथ साझेदारी करने की पेशकश की।

शिक्षाविद एवं उद्योग जगत ने नीतिगत निहितार्थों और अकादमिक अनुसंधान के व्यावहारिक कार्यान्वयन पर चर्चा की सुविधा प्रदान की। यह संवाद उद्योग की जरूरतों और सामाजिक चुनौतियों के साथ अनुसंधान के परिणामों को संरेखित करने में मदद करेगा।

(स्रोत: भाकृअनुप-राष्ट्रीय जैविक तनाव प्रबंधन संस्थान, रायपुर)

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