5 जुलाई, 2023, बीकानेर
भाकृअनुप-राष्ट्रीय उष्ट्र अनुसंधान केन्द्र (एनआरसीसी), बीकानेर ने आज यहां अपना 40वां स्थापना दिवस मनाया।
इस अवसर को चिह्नित करने के लिए 'उष्ट्र डेयरी एवं इको टूरिज्म में उद्यमशीलता के अवसर' पर एक किसान-वैज्ञानिक-हितधारक बैठक का आयोजन किया गया था। समारोह में बीकानेर और राजूवास स्थित भाकृअनुप संस्थानों के वैज्ञानिकों और शिक्षाविदों ने भाग लिया।
मुख्य अतिथि, डॉ. के.एम.एल. पाठक, पूर्व उप महानिदेशक (पशु विज्ञान), भाकृअनुप एवं वीसी डुवासु- ने कहा कि मादा उष्ट्र का दूध मानव स्वास्थ्य के लिए उपयोगी है; उष्ट्र पालकों को इसे बढ़ावा देने के लिए दूध व्यवसाय के रूप में अपनाना चाहिए। उन्होंने उष्ट्रों के लिए चारा संसाधन के रूप में रेंजलैंड को मजबूत करने और गलत धारणाओं और मादा उष्ट्र के दूध के मानव स्वास्थ्य लाभों के बारे में जनता को शिक्षित करने की आवश्यकता पर बल दिया और युवाओं से उष्ट्र-आधारित उद्यमिता के रास्ते अपनाने का आग्रह किया।
डॉ. ए.के. तोमर, भाकृअनुप-सीएसडब्ल्यूआरआई के निदेशक ने एनआरसीसी में विकसित मूल्य वर्धित दुग्ध उत्पादों का जिक्र किया और कहा कि उष्ट्र पालकों को इसे व्यवसाय के रूप में अपनाकर अपनी आय बढ़ानी चाहिए। उन्होंने किसानों को नवाचार करने, नई तकनीक अपनाने तथा मिश्रित खेती करने के लिए प्रोत्साहित किया।
केन्द्रीय ऊन विकास बोर्ड, जोधपुर के कार्यकारी निदेशक, श्री जी.एस. भाटी ने कहा कि किसानों को अपनी आय बढ़ाने तथा उत्पाद बनाने के लिए उष्ट्र के ऊन का उपयोग करने की आवश्यकता की जरूरत है।
राजस्थान राज्य पशुपालन विभाग के डॉ. नवीन मिश्रा ने कहा कि विभिन्न मानव रोगों के लिए मादा उष्ट्र के दूध की उपयोगिता के कारण, राजस्थान राज्य ने उष्ट्र पालकों को वित्तीय सहायता प्रदान करने के लिए एक योजना शुरू की है।
भाकृअनुप-एनआरसीसी के निदेशक, डॉ. अर्तबंधु साहू ने केन्द्र के अस्तित्व के पिछले 40 वर्षों के दौरान उपलब्धियों और विकास के बारे में जानकारी दी। उन्होंने कहा कि मादा उष्ट्र के दूध को आजीविका के साधन के रूप में पालने की जरूरत है, इसके अलावा इसके अन्य उप-उत्पादों जैसे ऊन, चमड़ा और पर्यटन के उपयोग में भी आर्थिक संभावनाएं हैं। डॉ. साहू ने उष्ट्र से जुड़ी उद्यमिता की संभावनाओं के बारे में भी बताया।
मादा उष्ट्र के दूध की खरीद और विपणन से जुड़े विमर्श में तमिलनाडु एवं दूर-दराज के क्षेत्रों सहित, भारत के विभिन्न राज्यों के गैर सरकारी संगठनों/ उद्यमियों और किसानों ने भाग लिया।
एनआरसीसी से बिक्री के लिए 'फ्रीज ड्राइड कैमल मिल्क पाउडर' जारी किया गया और 'ऊंटों के साथ मानवीय व्यवहार' पर एक विस्तार बुलेटिन भी जारी किया गया।
(स्रोत: भाकृअनुप-राष्ट्रीय उष्ट्र अनुसंधान केन्द्र, बीकानेर)
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