मिथुन में गांठ त्वचा रोग (एलएसडी) की तैयारी पर इंटरैक्टिव बैठक आयोजित

मिथुन में गांठ त्वचा रोग (एलएसडी) की तैयारी पर इंटरैक्टिव बैठक आयोजित

21 जून, 2023

भाकृअनुप-राष्ट्रीय मिथुन अनुसंधान केन्द्र (एनआरसीएम), नागालैंड द्वारा आज "मिथुन में गांठदार त्वचा रोग (एलएसडी) की तैयारी" पर एक ऑनलाइन चर्चा और इंटरैक्टिव बैठक आयोजित की गई।

मुख्य अतिथि, डॉ. अमरीश कुमार त्यागी, सहायक महानिदेशक, (पशु पोषण एवं शरीर विज्ञान) ने पशु रोगों की रोकथाम तथा नियंत्रण के महत्व पर बात की। उन्होंने देश में एलएसडी के चल रहे प्रकोप पर चर्चा के लिए एक मंच प्रदान करने में संस्थान के प्रयासों की भी सराहना की।

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गोवंश में गांठदार त्वचा रोग की स्थिति, भारत में शमन रणनीतियों और रोग के आर्थिक महत्व के बारे में भाकृअनुप-निवेदी, बैंगलोर के निदेशक, डॉ. बलदेव राज गुलाटी ने जानकारी दी। वक्ता ने बीमारी की जनसांख्यिकी और इसके आर्थिक प्रभाव पर प्रकाश डाला।

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डॉ. टी.के. भट्टाचार्य, निदेशक, भाकृअनुप-राष्ट्रीय अश्व अनुसंधान संस्थान, हिसार, हरियाणा ने एलएसडी के लिए एक समजात वैक्सीन के विकास पर एक प्रस्तुति दी, जो बीमारी को नियंत्रित करने और रोकने में अत्यधिक प्रभावी साबित हुई है। उम्मीद है कि यह टीका जल्द ही व्यावसायिक तौर पर उपलब्ध होगा।

इससे पहले, भाकृअनुप-एनआरसीएम के निदेशक, डॉ. गिरीश पाटिल ने स्वागत संबोधन दिया।

डॉ. निरंजन मिश्रा, प्रधान वैज्ञानिक, भाकृअनुप-एनआईएचएसएडी, भोपाल ने एलएसडी के लिए विभिन्न नैदानिक तकनीकों को प्रस्तुत किया, जिसमें रोग की प्रगति और इसके निहितार्थ को समझने के लिए जीनोटाइपिक लक्षण वर्णन के महत्व पर जोर दिया गया। उन्होंने वर्तमान प्रकोप में प्रचलित एलएसडीवी उपभेदों के विभिन्न प्रकारों का भी प्रदर्शन किया।

प्रतिभागियों ने मिथुन पालने वाले राज्यों, जैसे- अरुणाचल प्रदेश, नागालैंड, मणिपुर तथा मिजोरम में एलएसडी की स्थिति के बारे में गहन चर्चा की। एनआरसीएम के निदेशक ने कहा कि मिथुन में एलएसडी की वर्तमान स्थिति अज्ञात है, और तैयारी के हिस्से के रूप में एक कार्य योजना तैयार की जाएगी। इसके अतिरिक्त, संबंधित राज्य पशु चिकित्सा विभागों ने अपने-अपने राज्यों में आने वाली समस्याओं और चुनौतियों पर चर्चा की। पड़ोसी देशों से सीमा पार पशु रोगों के आगमन और उद्भव को नियंत्रित करने और रोकने के लिए रणनीतियों और संचालन प्रक्रियाओं की आवश्यकता पर विस्तृत चर्चा की गई।

कार्यक्रम में 80 से अधिक प्रतिभागियों ने शिरकत की, जिनमें विभिन्न भाकृअनुप संस्थानों के वैज्ञानिक, केरल पशु चिकित्सा विश्वविद्यालय के कुलपति, देश भर के विशेषज्ञ; जलुकी, नागालैंड के पशु चिकित्सा, निदेशक तथा कॉलेज के संकाय सदस्य और विभिन्न राज्य के मिथुन पालन से जुड़े पशु चिकित्सक शामिल थे।

(स्रोत: भाकृअनुप-राष्ट्रीय मिथुन अनुसंधान केन्द्र, नागालैंड)

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