7 दिसंबर, 2023, सिरुमलाई हिल्स, डिंडीगुल
तमिलनाडु के डिंडीगुल जिले की सिरुमलाई पहाड़ियों में "सिरुमलाई" एक जीआई टैग वाला केले की खेती तथा कीट एवं रोग प्रबंधन पर एक कार्यशाला का आयोजन आज भाकृअनुप-राष्ट्रीय केला अनुसंधान केन्द्र (एनआरसीबी), तिरुचिरापल्ली तथा बागवानी विभाग, तमिलनाडु सरकार द्वारा संयुक्त रूप से किया गया।
मुख्य अतिथि, डॉ. आर. सेल्वाराजन, निदेशक, भाकृअनुप-एनआरसीबी ने एफपीओ की स्थापना पर जोर दिया जो सिरुमलाई पहाड़ी केले के कायाकल्प के लिए मार्ग प्रशस्त करेगा। उन्होंने टिशू कल्चर प्लांटलेट्स, सिंचाई और फर्टिगेशन में स्वचालन, ऑन-लाइन ट्रेडिंग और सिरुमलाई केला पंचामिर्थम को एक अलग व्यापार चिह्न प्राप्त करने के लिए एसोसिएशन द्वारा किए जाने वाले प्रयासों जैसी वर्तमान प्रगति पर विचार-विमर्श किया।
डिंडीगुल के बागवानी उप-निदेशक, श्री जे. पेरुमलसामी ने अपने स्वागत संबोधन के दौरान सिरुमलाई हिल में केले की खेती की एक झलक तथा उसमें आने वाली बाधाओं की ओर ध्यान आकृष्ट किया।
सिरुमलाई पंचायत अध्यक्ष, श्री कविरासु ने अपने विशेष अतिथि संबोधन में सिरुमलाई केले के औषधीय गुणों के बारे में बताया। उन्होंने कहा कि इस सुगंधित किस्म को उभरते कीटों और बीमारियों से बचाने के लिए गुणवत्तापूर्ण रोपण सामग्री का उपयोग एक पूर्व-आवश्यकता है जिसके लिए उन्होंने भाकृअनुप-एनआरसीबी से तकनीकी सहायता मांगी।
उन्होंने सिरुमलाई केले की खेती को एक टिकाऊ एवं लाभदायक उद्यम बनाने के लिए सिरुमलाई केले के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य पर भी जोर दिया।
भाकृअनुप-एनआरसीबी ने केला उत्पादन प्रौद्योगिकी, मूल्य संवर्धन तथा कृषि-व्यवसाय ऊष्मायन पर पत्रक के साथ-साथ ब्यूवेरिया बेसियाना का तरल जैव-फॉर्मूलेशन भी वितरित किया जो केले के तने और कॉर्म वीविल से सुरक्षा प्रदान करता है।
कार्यशाला में लगभग 60 किसानों ने भाग लिया तथा इससे लाभान्वित हुए।
(स्रोत: भाकृअनुप-राष्ट्रीय केला अनुसंधान केन्द्र, तिरुचिरापल्ली)
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