14 मार्च 2013, जोधपुर
केन्द्रीय शुष्क क्षेत्र अनुसंधान संस्थान (काजरी), जोधपुर में 14-15 मार्च, 2013 को 'शुष्क पश्चिम भारत में जलवायु सहिष्णु कृषि का लक्ष्य' के शीर्षक से दो दिवसीय कार्यशाला का आयोजन किया गया। यह कार्यशाला भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद की 'जलवायु सहिष्णु पर राष्ट्रीय पहल' (निक्रा) के अंतर्गत की गई।
कार्यशाला का उद्घाटन करते हुए, प्रोफेसर राधेश्याम शर्मा, कुलपति, राजस्थान आयुर्वेद विश्वविद्यालय, जोधपुर ने कहा कि जलवायु परिवर्तन के दौर में ऐसी तकनीकें विकसित किये जाने की आवश्यकता है जो न केवल बेहतर कृषिगत उत्पादन दें बल्कि लोगों की खाद्य एवं पोषण सुरक्षा को भी सुनिश्चित करें। डॉ. एम.एम. रॉय, निदेशक, काजरी ने जानकारी दी कि शुष्क क्षेत्रों में सतत कृषि सुनिश्चित करने के लिए गर्मी के प्रति सहिष्णु किस्मों के विकास के लिए प्रयास जारी हैं। उन्होंने जोर देते हुए कहा कि किसानों को कृषि प्रणाली में फल, वानिकी पौधे और विभिन्न घासें आदि बारहमासी घटक समाहित करने के लिए प्रोत्साहित करने की आवश्यकता है। इस अवसर पर डॉ. शैलेन्द्र कुमार ने जानकारी दी कि जलवायु सहिष्णु तकनीकों की जानकारी और सफलताएं साझा करने तथा हितधारको के समूह का निर्माण करने के लिए ई-प्लेटफार्म का विकास किया जा रहा है।
इस कार्यशाला में विभिन्न अनुसंधान संस्थानों जैसे- काजरी, राष्ट्रीय बीज मसाला अनुसंधान केन्द्र, राष्ट्रीय उष्ट्र अनुसंधान, सरसों अनुसंधान निदेशालय, केन्द्रीय भेड़ एवं ऊन अनुसंधान संस्थान तथा कृषि, बागवानी, पशुपालन, आत्मा, नबार्ड, कृषि विज्ञान केन्द्रों एवं राजस्थान व गुजरात के 18 जिलों की गैर सरकारी संगठनों के हितधारकों को जलवायु परिवर्तन के प्रति जागरूक करने तथा सतत कृषि की जानकारी प्रदान करने के लिए शामिल किया गया। कार्यशाला में कुल 95 विशेषज्ञों तथा अधिकारियों ने भाग लिया।
(स्रोतः काजरी, जोधपुर)
(हिन्दी प्रस्तुतिः एनएआईपी मास मीडिया परियोजना, कृषि ज्ञान प्रबंध निदेशालय, आईसीएआर)
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