29 सितम्बर, 2023, लखनऊ
भाकृअनुप-राष्ट्रीय केला अनुसंधान केन्द्र, तिरुचिरापल्ली, तमिलनाडु, भाकृअनुप-भारतीय गन्ना अनुसंधान संस्थान और मैसर्स जैन इरिगेशन सिस्टम्स लिमिटेड, जलगांव, महाराष्ट्र ने आज भाकृअनुप-आईआईएसआर, लखनऊ में "केला उत्पादन और मूल्य संवर्धन में हालिया तकनीकी प्रगति" पर एक राष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन किया।
श्री मनोज कुमार सिंह, भारतीय प्रशासनिक अधिकारी, कृषि उत्पादन आयुक्त, उत्तर प्रदेश सरकार कार्यशाला के मुख्य अतिथि थे। उन्होंने किसानों को अच्छी सिंचाई सुविधा और मिट्टी की उर्वरता के बारे में जानकारी दी, जो केले की खेती के लिए उपयुक्त है। श्री सिंह ने यह भी बताया कि उत्तर प्रदेश सरकार गुणवत्तापूर्ण रोपण सामग्री उत्पादन के लिए भाकृअनुप-एनआरसी केले के साथ-साथ मेसर्स जेआईएसएल, महाराष्ट्र जैसी निजी फर्मों के सहयोग से उत्तर प्रदेश में एक टिशू कल्चर सुविधा स्थापित करने की भी योजना बना रही है और कृषक समुदाय को खरीद मूल्य में सब्सिडी के साथ इसके वितरण की सुविधा प्रदान करेगी।
डॉ. वी.बी. पटेल, सहायक महानिदेशक (फल और रोपण फसल), भाकृअनुप समारोह के सम्मानित अतिथि थे। उन्होंने किसानों को केले के साथ फसल विविधीकरण अपनाने की सलाह दी क्योंकि यह उत्पाद बेहतर कीमत की गारंटी देता है। कटाई के बाद केले में मूल्य संवर्धन उद्यमिता विकास के लिए बेहतर और व्यापक रास्ते खोलता है।
सीआईएसएच, लखनऊ के निदेशक, डॉ. दामोदरन ने किसानों को इसके प्रभावी प्रबंधन के लिए बायोकंट्रोल एजेंट फ्यूसीकॉन्ट का उपयोग करके ग्रैंड नैन पर नए उभरते फ्यूजेरियम विल्ट रोग के डर के बिना केले की खेती के लिए प्रोत्साहित किया।
जेआईएसएल के श्री. के.बी. पाटिल ने ड्रिप सिंचाई में स्वचालन के महत्व को दोहराया, जिससे मैनुअल ड्रिप सिंचाई की तुलना में 30% पानी और 20% उर्वरक और 20% अधिक उपज की बचत होती है। उन्होंने किसानों को ठंड से होने वाले नुकसान और बीमारियों से बचने के लिए जून-जुलाई महीने में रोपाई करने की सलाह दी।
भाकृअनुप-राष्ट्रीय केला अनुसंधान केन्द्र के निदेशक, डॉ. सेल्वाराजन ने किसानों की आय दोगुनी करने में संस्थान द्वारा हासिल की गई उपलब्धियों पर जोर दिया। उन्होंने जलवायु अनुकूल केले की किस्म 'कावेरी सबा' के विकास का संकेत दिया, जो नमक और सूखा-सहिष्णु दोनों है। डॉ. सेल्वाराजन ने केले की खेती के लिए संस्थान में उपलब्ध सूक्ष्म पोषक मिश्रण ‘केला शक्ति’ के महत्व पर जोर दिया।
कार्यशाला में उत्तर प्रदेश के विभिन्न हिस्सों से लगभग 250 किसानों ने भाग लिया।
(स्रोत: भाकृअनुप-राष्ट्रीय केला अनुसंधान केन्द्र, तिरुचिरापल्ली)
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