केन्द्रीय मंत्री श्री परशोत्तम रुपाला ने पश्चिम बंगाल में भाकृअनुप-सीबा के काकद्वीप अनुसंधान केन्द्र का किया दौरा

केन्द्रीय मंत्री श्री परशोत्तम रुपाला ने पश्चिम बंगाल में भाकृअनुप-सीबा के काकद्वीप अनुसंधान केन्द्र का किया दौरा

11 जनवरी, 2024, काकद्वीप

श्री केन्द्रीय मत्स्य पालन, पशुपालन एवं डेयरी मंत्री परशोत्तम रुपाला ने आज भाकृअनुप-केन्द्रीय खाराजल जीवपालन संस्थान (सीबा) के काकद्वीप अनुसंधान केन्द्र का दौरा किया।

Union Minister Shri Parshottam Rupala visits Kakdwip Research Centre of ICAR-CIBA in West Bengal  Union Minister Shri Parshottam Rupala visits Kakdwip Research Centre of ICAR-CIBA in West Bengal

मंत्री ने केन्द्र द्वारा विकसित प्रौद्योगिकियों को आगे बढ़ाने के महत्व पर प्रकाश डाला तथा कृषक समुदाय के बीच इस क्षेत्र में हुई तकनीकी प्रगति को लोकप्रिय बनाने की आवश्यकता की सिफारिश की। उन्होंने खारे पानी की जलीय कृषि को समर्थन देने के लिए कम लागत वाले चारे के विकास का आग्रह किया।

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श्री रुपाला ने मछली और शेलफिश हैचरी, फ़ीड मिल, मछली अपशिष्ट प्रसंस्करण इकाई का दौरा किया और केन्द्र में की जा रही गतिविधियों की समीक्षा की। यात्रा के दौरान कम लागत वाले फीड उत्पादन और केन्द्र में विकसित विभिन्न जलीय कृषि फीड, मछली अपशिष्ट के पुनर्चक्रण तथा मूल्य वर्धित उत्पाद सीबा-प्लैंकटन प्लस और सीबा-हॉर्टी प्लस के विकास में किए गए तकनीकी नवाचारों का प्रदर्शन किया गया।

सुश्री नीतू कुमारी प्रसाद, संयुक्त सचिव (समुद्री मत्स्य पालन) और डॉ. एल नरसिम्हा मूर्ति, मुख्य कार्यकारी प्रभारी तथा वरिष्ठ कार्यकारी निदेशक, राष्ट्रीय मत्स्य विकास बोर्ड, यात्रा के दौरान केन्द्रीय मंत्री के साथ थे।

काकद्वीप अनुसंधान केन्द्र के प्रमुख, डॉ. देबासिस डे ने अनुसंधान केन्द्र में बुनियादी सुविधाओं के लिए चल रही अनुसंधान गतिविधियों और विकसित प्रौद्योगिकियों आदि के बारे में जानकारी दी। उन्होंने प्रजातियों के विविधीकरण एवं क्षेत्रीय स्तर पर चल रहे प्रजनन एवं कैप्टिव परिपक्वता के लिए महत्वपूर्ण प्रार्थक मछली और शेलफिश प्रजातियां, जैसे- हिल्सा (तेनुअलोसा इलिशा) बंगाल ब्रीम (एकेंथोपाग्रस लॉन्गिस्पिनिस), नाइट गोबी (स्टिग्माटोगोबियस सैडानुंडियो), टेड मुलेट (लिजा टेड), स्पेकल्ड झींगा (पेनियस मोनोसेरोस), ऑरेंज मड केकड़ा (स्काइला ओलिवेसिया) आदि की गतिविधियों के बारे में भी बताया।

(स्रोत: भाकृअनुप-केन्द्रीय खाराजल जीवपालन संस्थान, चेन्नई)

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