16वीं कृषि विज्ञान कांग्रेस कोच्चि में शुरू हो रही है
10 अक्टूबर, 2023 कोच्चि
केन्द्रीय मत्स्य पालन, पशुपालन एवं डेयरी मंत्री, श्री परशोत्तम रुपाला ने कहा कि बढ़ती खाद्य मांग, पर्यावरणीय गिरावट और जलवायु परिवर्तन से उत्पन्न चुनौतियों को देखते हुए, वैज्ञानिक नवाचारों के माध्यम से कृषि-खाद्य प्रणालियों को टिकाऊ उद्यमों में बदलने की तत्काल आवश्यकता है। वह आज यहां 16वीं कृषि विज्ञान कांग्रेस (एएससी) का उद्घाटन करने के बाद बोल रहे थे।
श्री रुपाला ने कहा कि कृषि वैज्ञानिकों को कृषि उत्पादन प्रक्रिया में अधिक मशीनीकरण लाने और कृषि में महिलाओं के लिए विशेष कृषि उपकरणों को विकसित करने और लोकप्रिय बनाने का प्रयास करना चाहिए।
मंत्री ने सागर परिक्रमा ड्राइव के दौरान अपने अवलोकन को साझा किया कि समुद्री और अंतर्देशीय जल प्रदूषण ने जलीय जीवन तथा तटीय पारिस्थितिकी को गंभीर रूप से प्रभावित किया है। उन्होंने वैज्ञानिकों से इस खतरनाक खतरे से निपटने के लिए स्थायी और स्थायी समाधान खोजने का आह्वान किया।
अपने उत्साह को साझा करते हुए, केन्द्रीय मंत्री ने इस बात पर प्रकाश डाला कि पोक्कली चावल जैसे पारंपरिक कृषि उत्पादों को बढ़ावा देने की जरूरत है और पोक्कली किसानों के लिए लाभप्रदता सुनिश्चित करने के लिए उपाय किए जाने चाहिए। उन्होंने आग्रह किया कि फसल कटाई के बाद होने वाले नुकसान को कम करना उत्पादन को बढ़ावा देने के बराबर है और इसे उन्नत तकनीकी हस्तक्षेपों पर ध्यान केन्द्रित करके हासिल किया जा सकता है।
श्री रुपाला ने आगे कहा कि भारत की कृषि का भविष्य काफी हद तक इस बात पर निर्भर करता है कि संचित वैज्ञानिक ज्ञान को व्यावसायिक सफलता में कैसे परिवर्तित किया जा सकता है।
मंत्री ने कार्यक्रम के साथ-साथ आयोजित होने वाले कृषि एक्सपो का भी उद्घाटन किया, जो सार्वजनिक और निजी क्षेत्र के अनुसंधान संस्थानों, विश्वविद्यालयों, कृषि-उद्योगों, विस्तार एजेंसियों तथा गैर सरकारी संगठनों की नवीन कृषि प्रौद्योगिकियों को प्रदर्शित करता है। मंत्री ने कृषि विज्ञान में उत्कृष्टता के लिए डॉ. बी.पी. पाल पुरस्कार, डॉ. ए.बी. जोशी मेमोरियल लेक्चर पुरस्कार और कई अन्य एनएएएस पुरस्कार प्रदान किये गये।
डॉ. हिमांशु पाठक, सचिव (डेयर) एवं महानिदेशक (भाकृअनुप) ने अध्यक्षीय संबोधन दिया। उन्होंने कांग्रेस के नाम प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का संदेश पढ़ा। डॉ. पाठक ने कहा कि भारत की खाद्यान्न मांग 2033 तक बढ़कर 340- 355 मीट्रिक टन हो जाएगी। उन्होंने कहा कि जीनोमिक्स और जीनोम संपादन पर शोध कृषि तथा वस्तुओं में तकनीकी सफलताओं के लिए मुख्य फोकस होगा जहां पारंपरिक प्रजनन वांछित परिणाम नहीं दे सकता है।
श्री पी. प्रसाद, कृषि मंत्री, केरल सरकार ने पारिस्थितिकी तंत्र और पर्यावरण के स्वास्थ्य को बरकरार रखते हुए देश के सभी नागरिकों के लिए भोजन और पोषण सुरक्षा सुनिश्चित करने पर जोर दिया। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि केरल सरकार द्वारा हाल ही में शुरू की गई 'पोशाक समृद्धि' योजना इस लक्ष्य में योगदान देगी।
मंत्री ने यह भी कहा कि अब कार्बन तटस्थ विकास मार्गों की ओर मुड़ने और उत्पादन बढ़ाने के लिए नई प्रौद्योगिकियों पर ध्यान केन्द्रित करने का समय आ गया है, उन्होंने कहा कि फसल कटाई के बाद के क्षेत्र पर भी तत्काल ध्यान देने की जरूरत है।
कृषि विज्ञान कांग्रेस (एएससी) के उद्घाटन में सांसद हिबी ईडन और भाकृअनुप के उप-महानिदेशक, डॉ. जे.के. जेना सम्मानित अतिथि थे।
प्रोफेसर पंजाब सिंह ने डॉ. ए.बी. जोशी मेमोरियल व्याख्यान दिया। इस अवसर पर एनएएएस के सचिव, डॉ. डब्ल्यू.एस. लाकड़ा और भाकृअनुप-सीएमएफआरआई के निदेशक, डॉ. ए. गोपालकृष्णन ने बात की।
राष्ट्रीय कृषि विज्ञान अकादमी (एनएएएस) द्वारा आयोजित, एएससी ऐसी सिफारिशें पेश करेगा जो कृषि क्षेत्र को अधिक स्थिरता के पथ पर आगे बढ़ने में मदद करेंगी। अग्रणी कृषि अर्थशास्त्री, वैज्ञानिक, उद्यमी और अन्य हितधारक आधुनिक वैज्ञानिक उपकरणों और प्रथाओं के अनुप्रयोगों, जलवायु कार्रवाई, जीनोमिक्स में प्रगति, आईपीआर नीति आदि पर चर्चा में शामिल होंगे।
भारत और विदेश से 1500 से अधिक प्रतिनिधि चार दिवसीय कार्यक्रम में भाग ले रहे हैं, जो पहली बार केरल में हो रहा है और भाकृअनुप-केन्द्रीय समुद्री मत्स्य अनुसंधान संस्थान, कोच्चि द्वारा आयोजित किया जा रहा है।
(स्रोत: भाकृअनुप-केन्द्रीय समुद्री मत्स्य अनुसंधान संस्थान, कोच्चि)
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