केन्द्रीय मत्स्य पालन, पशुपालन एवं डेयरी मंत्री ने समुद्री मछली स्टॉक स्थिति पर भाकृअनुप-सीएमएफआरआई के अध्ययन का अनावरण किया

केन्द्रीय मत्स्य पालन, पशुपालन एवं डेयरी मंत्री ने समुद्री मछली स्टॉक स्थिति पर भाकृअनुप-सीएमएफआरआई के अध्ययन का अनावरण किया

30- 31 अगस्त, 2023, कन्याकुमारी और विझिंजम

केन्द्रीय मत्स्य पालन, पशुपालन एवं डेयरी मंत्री, श्री परशोत्तम रुपाला ने 31 अगस्त, 2023 को कन्याकुमारी, तमिलनाडु में 'सागर परिक्रमा चरण VIII' के दौरान भाकृअनुप-केन्द्रीय समुद्री मत्स्य अनुसंधान संस्थान (सीएमएफआरआई) द्वारा एक अध्ययन रिपोर्ट "भारत की समुद्री मछली स्टॉक स्थिति 2022" का अनावरण किया।

Union Minister of Fisheries, Animal Husbandry and Dairying unveils ICAR-CMFRI’s study on Marine Fish Stock Status  Union Minister of Fisheries, Animal Husbandry and Dairying unveils ICAR-CMFRI’s study on Marine Fish Stock Status

'भारत की समुद्री मछली स्टॉक स्थिति 2022' शीर्षक वाली रिपोर्ट से पता चलता है कि भारत का समुद्री मछली स्टॉक स्वस्थ और टिकाऊ है। अध्ययन के अनुसार, 2022 में मूल्यांकन किए गए 135 मत्स्य स्टॉक में से 91.1% को स्वस्थ माना गया, जो समुद्री मत्स्य पालन की स्थिरता को बनाए रखने के भारत के प्रयासों में एक मील का पत्थर साबित हुआ है। रिपोर्ट में अस्थिर प्रथाओं के पर्याप्त कमी पर भी प्रकाश डाला गया है, जिसमें केवल 4.4% स्टॉक, के मछली पकड़ने से, संकट का सामना करना पड़ रहा है।

श्री रुपाला ने भाकृअनुप-सीएमएफआरआई के 'समुद्री शैवाल खेती में अच्छे प्रबंधन अभ्यास' प्रकाशन का भी विमोचन किया। भाकृअनुप-सीएमएफआरआई ने समुद्री शैवाल की खेती के क्षैतिज विस्तार के उद्देश्य से 23,950 हेक्टेयर को कवर करने वाले 333 संभावित समुद्री शैवाल की खेती के क्षेत्रों की पहचान की गई है। भारत में प्रति वर्ष 9.88 मिलियन टन गीले वजन की समुद्री शैवाल के उत्पादन की क्षमता रखता है, जबकि वर्तमान उत्पादन प्रति वर्ष केवल 52,107 टन गीले वजन का है। समुद्री शैवाल की खेती से शुष्क भार के आधार पर एक वर्ष में 13.28 लाख रु. प्रति हैक्टर तक का राजस्व प्राप्त करने की क्षमता है।

30 अगस्त 2023 को श्री रुपाला ने भाकृअनुप-सीएमएफआरआई, केरल के विझिंजम क्षेत्रीय केन्द्र का दौरा किया। मंत्री ने लाखों अर्ध-वयस्क को रखने में सक्षम बड़े पिंजरों पर ध्यान केन्द्रित करते हुए अपतटीय केज कल्चर पर जोर दिया। श्री रुपाला ने अपतटीय जल क्षेत्र में विस्तार की आवश्यकता पर भी जोर दिया।

श्री रुपाला ने भाकृअनुप-सीएमएफआरआई से उन्नत पिंजरों के लिए अनुसंधान एवं विकास प्रयासों का नेतृत्व करने और पीपीपी मोड का उपयोग करके तटीय राज्यों में फिनफिश के लिए बीज उत्पादन प्रौद्योगिकियों का विस्तार करने का आग्रह किया। उन्होंने पर्ल ऑयस्टर उत्पादन की क्षमता पर भी प्रकाश डाला और भाकृअनुप-सीएमएफआरआई से उत्पादन बढ़ाने में सक्रिय भूमिका निभाने का आग्रह किया।

(स्रोत: भाकृअनुप-केन्द्रीय समुद्री मत्स्य अनुसंधान संस्थान, कोच्चि)

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