21 मार्च, 2024, पुडुचेरी
भाकृअनुप-कृषि विज्ञान केंद्र 2024 में अपना स्वर्ण जयंती वर्ष मना रहे हैं। पहला केवीके भाकृअनुप द्वारा 21 मार्च, 1974 को पुडुचेरी में स्थापित किया गया था। स्वर्ण जयंती समारोह का उद्घाटन आज यहां किया गया।
मुख्य अतिथि, डॉ. शरत चौहान, भारतीय प्रशासनिक अधिकारी, मुख्य सचिव, पुडुचेरी सरकार ने पिछले कुछ वर्षों में महत्वपूर्ण उपलब्धियों के लिए कृषि प्रशासकों, वैज्ञानिकों और कृषक समुदाय को बधाई दी। उन्होंने चावल, गेहूं, चीनी और बाजरा जैसी मुख्य फसलों के अब तक के सबसे अधिक निर्यात पर प्रकाश डाला।
डॉ. हिमांशु पाठक, सचिव (डेयर) एवं महानिदेशक (भाकृअनुप) ने अपने वीडियो संबोधन में कहा कि केवीके द्वारा प्रौद्योगिकियों के हस्तांतरण से देश में खाद्यान्न उत्पादन और बागवानी उत्पादन बढ़ाने में मदद मिली है। उन्होंने यह भी कहा कि केवीके को जमीनी स्तर पर किसानों के लिए प्रौद्योगिकी हस्तांतरण, क्षमता निर्माण, बाजार की जानकारी और कौशल विकास के लिए एक व्यापक केन्द्र के रूप में काम करना चाहिए।
डॉ. उदम सिंह गौतम, उप-महानिदेशक (कृषि विस्तार), भाकृअनुप ने प्रशिक्षण और कौशल विकास की मदद से किसानों को सफल उद्यमी बनने में सहायता करने के लिए केवीके के प्रयासों पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि केवीके को महज एक प्रशिक्षण संस्थान से एकल खिड़की कृषि ज्ञान और क्षमता विकास केंद्र में बदल दिया गया है। उप-महानिदेशक ने केवीके से किसानों को कौशल, तकनीकी ज्ञान, बीज और रोपण सामग्री से लैस करने का आग्रह किया।
डॉ. ए.के. सिंह, कुलपति, रानी लक्ष्मीबाई केन्द्रीय कृषि विश्वविद्यालय, झाँसी ने किसानों को तकनीकी सहायता लागू करने और स्थानांतरित करने के लिए केवीके नेटवर्किंग के महत्व पर जोर दिया। उन्होंने केवीके से जमीनी स्तर पर स्टार्ट-अप और उद्यमिता के माध्यम से जिला स्तर पर कृषि-व्यवसाय को बढ़ावा देने का आग्रह किया।
डॉ. एस.के. सिंह, उप-महानिदेशक (बागवानी), भाकृअनुप ने कहा कि केवीके की अवधारणा पूरे कृषि क्षेत्र में अद्वितीय है। उन्होंने किसानों को अधिक मुनाफा कमाने वाले कृषि उद्यमी बनने पर जोर दिया।
श्री ए. नेदुनचेझियान, भारतीय प्रशासनिक सेवा, सचिव (कृषि), पुडुचेरी सरकार ने कहा कि भारत सरकार किसानों की आय दोगुनी करने के लिए प्रगतिशील कदम उठाने के लिए जनता और केवीके के लाभ के लिए प्रौद्योगिकियों का लाभ उठाने पर जोर देती है।
डॉ. वी. गीतालक्ष्मी, कुलपति, तमिलनाडु कृषि विश्वविद्यालय, कोयंबटूर ने किसानों को तकनीक-प्रेमी बनाने और उन्हें कृषि 2.0 अपनाने में मदद करने में केवीके के प्रयासों पर प्रकाश डाला। उन्होंने देश की बढ़ती जनसंख्या और कम होती भूमि एवं जल संसाधनों जैसी कृषि चुनौतियों पर काबू पाने के लिए केवीके से हस्तक्षेप की मांग की। डॉ. गीतालक्ष्मी ने जलवायु परिवर्तन और कृषि पद्धतियों पर इसके प्रभाव पर चिंता व्यक्त की।
डॉ. आर.आर. बर्मन और डॉ. आर.के. सिंह, सहायक महानिदेशक (कृषि विस्तार) भाकृअनुप, और डॉ. एस. वसंतकुमार, निदेशक, कृषि एवं किसान कल्याण, पुडुचेरी भी उपस्थित रहे।
इस कार्यक्रम में अटारी के निदेशकों, प्रमुखों और केवीके के अन्य स्टाफ सदस्यों ने भाग लिया।
(स्रोत: भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद)
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