23 दिसंबर, 2022, नई दिल्ली
स्वच्छ माटी, स्वस्थ माटी, स्वच्छ उत्पादन एवं स्वस्थ इंसान इस सिद्धांत के आधार पर काम करने की जरूरत है जो आने वाले समय में देश और दुनियाँ के लिए लाभकारी होंगे – श्री तोमर
केन्द्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री, श्री नरेन्द्र सिंह तोमर आज किसान दिवस के शुभ अवसर पर बोलते हुए कहा कि यह दिवस पूर्व प्रधानमंत्री स्व. श्री चौधरी चरण सिंह की जन्म दिवस के अवसर पर प्रत्येक वर्ष 23 दिसंबर को मनाया जाता है। उन्होंने कहा विगत वर्षों में कृषि क्षेत्र में काफी प्रगति हुई है इस प्रगति में किसानों के परिश्रम किसानों की दूर दृष्टि, केन्द्र सरकार एवं राज्य सरकार की नीतियां और हमारे वैज्ञानिकों का समय-समय पर किया गया अनुसंधान इसका निश्चित रूप से बहुत बड़ा योगदान रहा है। श्री तोमर ने कहा कृषि में जो परम्परागत चलन है उसमें बदलाव की जरूरत है, अब किसानों द्वारा मिट्टी की जांच करानी जरूरी है, जिससे उसे उर्वरक का सही उपयोग का पता चल सके साथ ही मृदा में सिंचाई की मात्रा भी जानने में सटीकता हो, जिसके लिए कृषि विज्ञान केन्द्र काफी समय से कार्यरत है। केन्द्रीय मंत्री ने आगे कहा कि प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देने के लिए भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद के मित्रों की सहायता से नई शिक्षा नीति में इस पद्धति को पाठ्यक्रम में जोड़ा गया है जो आने वाले समय में प्राकृतिक खेती को आगे बढ़ाने में मदद करेगा।

श्री कैलाश चौधरी, केन्द्रीय कृषि एवं किसान कल्य़ाण राज्य मंत्री; सुश्री शोभा करंदलाजे, केन्द्रीय कृषि एवं किसान कल्य़ाण राज्य मंत्री ने इस कार्यक्रम में सक्रिय भागीदारी की।

किसान दिवस के इस अवसर पर, डॉ. हिमांशु पाठक, सचिव (डेयर) एवं महानिदेशक (भाकृअनुप) ने बोलते हुए कहा कि परिषद विभिन्न प्रतियोगिता का आयोजन कर इसे खास रूप में प्रस्तुत कर रहा है। उन्होंने कहा कि भाकृअनुप अपने 113 राष्ट्रीय अनुसंधान केन्द्रों, 74 कृषि विश्वविद्यालयों और 731 कृषि विज्ञान केन्द्रों, छः हजार से अधिक कृषि वैज्ञानिकों और पचास हजार से अधिक शोध छात्रों के साथ दुनियां की सबसे बड़ी राष्ट्रीय कृषि प्रणाली है। डॉ. पाठक ने कहा कि भाकृअनुप अपने अनुसंधान एवं विकास के माध्यम से कृषि क्षेत्र में हरित क्रांति, नीली क्रांति, पीली क्रांति तथा रेनबो क्रांति से भारत के विकास में अग्रणी भूमिका निभाई है।
श्री मनोज अहूजा, सचिव, कृषि मंत्रालय, भारत सरकार एवं डॉ. अभिलक्ष लिखी, अतिरिक्त सचिव, कृषि मंत्रालय, भारत सरकार की उपस्थिति के साथ डॉ. वी.पी. चहल, उपमहानिदेशक, भाकृअनुप ने इस अवसर पर धन्यवाद ज्ञापन किया।
(स्रोतः भाकृअनुप-कृषि ज्ञान प्रबंध निदेशालय, पूसा, नई दिल्ली)
केन्द्रीय गोवंश अनुसंधान संस्थान, मेरठ द्वारा किसान दिवस का आयोजन
भाकृअनुप-केन्द्रीय गोवंश अनुसंधान संस्थान, मेरठ द्वारा दिनांक 16 से 22 दिसंबर तक प्रक्षेत्र दिवस मनाने के उपरांत आज ‘किसान दिवस’ का आयोजन “पशुपालन की चुनौतियाँ व वैज्ञानिक विधियों द्वारा उन्नत पशुपालन” की थीम पर झिटकरी गाँव में किया गया। कार्यक्रम का आयोजन भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद के कृषि विस्तार संभाग, नई दिल्ली द्वारा वित्तपोषित फार्मर फर्स्ट (Farmer First) प्रोग्राम के अंतर्गत शोध परियोजना के आलोक में "टिकाऊ डेरी एवं कृषि व्यवसाय हेतु उपयुक्त तकनीकों के प्रयोग द्वारा कृषक आजीविका में सुधार” के अंतर्गत किया गया।

इस अवसर पर, श्री विजय पाल सिंह तोमर, राज्यसभा सांसद, मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित थे। संस्थान के निदेशक, डॉ उमेश सिंह ने मुख्य अतिथि का स्वागत किया एवं संस्थान के कार्यक्रमों व उपलब्धियों के बारे में बताया।
कार्यक्रम के दौरान सांसद ने स्व. श्री चौधरी चरण सिंह की तस्वीर पर माल्यार्पण के साथ-साथ वृक्षारोपण भी किया तथा संस्थान द्वारा प्रकाशित वैज्ञानिक तकनीकियों की प्रचार सामग्री का भी विमोचन किया। मुख्य अतिथि ने भाकृअनुप-केन्द्रीय गोवंश अनुसंधान संस्थान के वैज्ञानिकों और किसानों को संबोधित किया और सरधना क्षेत्र के किसानों को कृषि एवं पशुपालन से संबन्धित वैज्ञानिक तकनीकी जानकारी प्राप्त कर उसका समावेश दिन-प्रतिदिन के पशु प्रबंधन में करने के लिए जागरूक किया।
कार्यक्रम के दौरान विशेषज्ञों द्वारा किसानों को पशुपालन से संबन्धित नवीनतम तकनीकी जानकारी दी गयी तथा उन्नत पशुपालन हेतु दवाइयाँ जैसे - आंतरिक एवं बाह्य परजीवियों के लिए दवाएं, कैल्शियम, खनिज मिश्रण व प्रशिक्षण किट आदि का वितरण किया गया।
कार्यक्रम का संचालन फार्मर फर्स्ट परियोजना के प्रधान अन्वेषक एवं प्रधान वैज्ञानिक, डॉ. सुरेश कुमार डबास ने किया। डॉ. डबास ने किसानों को देशी गोवंश की विभिन्न नस्लों के विकास हेतु संस्थान के प्रयासों के बारे में जानकारी दी व पशु प्रजनन के लिए वैज्ञानिक दृष्टिकोण को अपनाने की आवश्यकता पर बल दिया।
इस कार्यक्रम को सफल बनाने में संस्थान के वैज्ञानिक, डॉ नेमी चंद, डॉ. जितेन्द्र कुमार सिंह, डॉ. नरेश प्रसाद, डॉ. मेघा पांडे और श्रीमती सरमेश आर्य का महत्वपूर्ण योगदान रहा। साथ ही संदीप कुमार, आशीष मलिक और प्रमोद ने बढ़-चढकर भागीदारी की।
श्री अशोक सिरोही, पूर्व प्रधान एवं समाज सेवी, प्रगतिशील किसान, गाँव झिटकरी द्वारा धन्यवाद प्रस्ताव के उपरांत कार्यक्रम का समापन हुआ।
यहां कार्यक्रम में, 250 से अधिक किसानों ने भाग लिया।
भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान (आईएआरआई), नई दिल्ली द्वारा “किसान दिवस एवं स्वच्छता अभियान” कार्यक्रम आयोजित
भारतीय कृषि एवं कृषकों के उत्थान में पूर्व प्रधानमंत्री स्व. श्री चौधरी चरण सिंह जी के अद्वितीय योगदान एवं उनके स्मरण हेतु देश भर में हर साल 23 दिसंबर को राष्ट्रीय किसान दिवस के रूप में मनाया जाता है। जिन्होंने भारतीय किसानों के जीवन को बेहतर बनाने के लिए कई नीतियों की शुरुआत की। भाकृअनुप-भारतीय कृषि अनुसन्धान संस्थान, नई दिल्ली के निदेशक, डॉ. अशोक कुमार सिंह के मार्गदर्शन में आज “किसान दिवस एवं स्वच्छता अभियान” का आयोजन सुज्जानपुर आखाडा, गाज़ियाबाद (उ.प्र.) के आस-पास के गांवों के किसानों के साथ किया गया।

इस अवसर पर, स्व. श्री चौधरी चरण सिंह के स्मरणीय कार्यों व संकल्पों की चर्चा के साथ-साथ कृषकों को सामायिक फसलों के प्रबंधन की विभिन्न तकनीकों की जानकारी, पूसा संस्थान के विशेषज्ञों द्वारा दी गयी। साथ ही गेहूं एवं अन्य सब्जियों के विभिन्न कीट एवं रोगों के प्रबंधन, एकीकृत कृषि प्रणाली एवं पराली प्रबंधन हेतु पूसा संस्थान द्वारा विकसित ‘पूसा डीकंपोजर’के उपयोग कि विस्तृत जानकारी दी गई। ‘पूसाडीकंपोजर’ धान के त्वरित क्षरण के लिए आईएआरआई द्वारा विकसित कवक का एक माइक्रोबियल कंसोर्टियम है जो 20-25 दिनों में पुआल को खाद में परिवर्तित कर देता है। वर्ष 2021 में पूसा डीकम्पोजर को दिल्ली सहित देश के विभिन्न राज्यों में 13,420 हेक्टेयर में अपनाया गया है।
कार्यक्रम के मुख्य अतिथि के रूप में, डॉ. रवीन्द्रनाथ पडारिया, संयुक्त निदेशक (प्रसार) तथा कार्यक्रम के अध्यक्ष, श्री अनिल गौतम, सदस्य जिला पंचायत उपस्थित रहे।
श्री अनिल गौतम, सदस्य जिला पंचायत, ने किसानों को संबोधित करते हुए किसानों को वैज्ञानिक तरीके से खेती करने तथा पूसा संस्थान से जुड़ने का आग्रह किया ।
इस कार्यक्रम में, डॉ. निर्मल चंद्रा, प्रधान वैज्ञानिक (प्रभारी, कैटैट); डॉ. जे पी सिंह, प्रधान वैज्ञानिक (कीट विज्ञान); डॉ. एम.एस. सहारन, प्रधान वैज्ञानिक (पादप रोग विज्ञान); डॉ. राज सिंह, अध्यक्ष (सस्य विज्ञान); डॉ. सुनील पब्बी, अध्यक्ष (सूक्ष्म जीव संभाग) तथा डॉ. एन.वी. कुंभारे, प्रधान वैज्ञानिक एवं प्रभारी एटिक उपस्थित रहे।
इस अवसर पर अखाड़ा एवं आस-पास के गाँवों के लगभग 300 किसानों ने भाग लिया। यहां, “किसान दिवस” के शुभ अवसर पर आधुनिक तकनीकों के उपयोग एवं उन्नतशील कृषि को प्रोत्साहन करने हेतु 10 नवोन्मेषी किसानों को सम्मानित भी किया गया।
केवीके, भाकृअनुप-भारतीय पशु चिकित्सा अनुसंधान संस्थान, इज्जतनगर, बरेली द्वारा किसान सम्मान दिवस के अवसर पर फसल अवशेष प्रबंधन के अन्तर्गत मेला एवं प्रदर्शनी का आयोजन
कृषि विज्ञान केन्द्र, भाकृअनुप-भारतीय पशुचिकित्सा अनुसंधान संस्थान, इज्जतनगर, बरेली द्वारा किसान सम्मान दिवस के अवसर पर फसल अवशेष प्रबन्धन परियोजना के अन्तर्गत बहेड़ी विकास खण्ड के श्री सलीग राम, एस.वी.एम. इंटर कॉलेज में एक दिवसीय किसान मेले का आयोजन किया गया। इस अवसर पर आयोजित किसान गोष्ठी को संबोधित करते हुये मेले के मुख्य अतिथि, डॉ॰ महेश चन्द्र, संयुक्त निदेशक प्रसार शिक्षा ने मेले में बड़ी संख्या में आये किसान भाइयों तथा ग्रामीण महिलाओं का स्वागत करते हुये कहा कि भारतीय पशुचिकित्सा अनुसंधान संस्थान, इज्जतनगर स्थित यह कृषि विज्ञान केन्द्र बरेली जनपद के किसानों कि एक लम्बे समय से सेवा करता आ रहा है। उन्होने कृषि के क्षेत्र में उत्कृष्ट कार्य कर रही महिलाओ को भी सम्मानित करने का सुझाव दिया। आज के इस मेले के माध्यम से फसल अवशेष प्रबन्धन का संदेश घर-घर तक जाए और अधिक से अधिक किसान भाई को एक मिशन के रूप में लेकर इस समस्या को समाप्त करने में सहयोग दें तो भूमि और पर्यावरण की स्थिति को सुधारने में समय नहीं लगेगा।


विशिष्ट अतिथि, श्री अंरिंदर सिंह, ब्लॉक प्रमुख, बहेड़ी विकास खण्ड ने किसानों को किसान सम्मान दिवस की शुभकामनायें देते हुये बताया कि हम इस धरती को अपनी माँ के समान पूजते हैं और यही हमारे जीवन यापन के लिए अन्न-जल का मुख्य स्रोत है। इसलिये इसकी उर्वरता को बनाये रखना हम सभी की जिम्मेदारी है।
श्री छत्रपाल सिंह, पूर्व विधायक के प्रतिनिधि, श्री सुरेश चन्द्र गंगवार ने कृषि विज्ञान केन्द्र के वैज्ञानिकों द्वारा फसल अवशेष प्रबंधन के सम्बन्ध कृषको को दी गई जानकारी को अत्यधिक उपयोगी बताते हुए सरकार की विभिन्न योजनाओं में कृषि यंत्रो को क्रय करने के साथ-साथ अन्य सभी योजनाओं का अधिक से अधिक लाभ उठाने के लिये प्रोत्साहित किया।
तकनीकी सत्र में, डॉ अखिलेश, वरिष्ठ वैज्ञानिक पशु औषधि विभाग ने पशुओं में होने वाली विभिन्न बीमारियों के संबंध में विस्तार से जानकारी देते हुए बताया कि यदि हम पशुओ के व्यवहार को नियमित रूप से देखते रहे और उनकी बीमारियों को आरंभिक अवस्था में ही पकड़ ले तो कम लागत में बहुत आसानी से उनका उपचार कराया जा सकता है । उन्होने थनैला एवं संक्रामक रोगो के बारे में कृषको के प्रश्नों के उत्तर भी दिये। डॉ. शशिकांत गुप्ता, पशु पुनरुत्पादन विभाग ने पशुओं के गर्भधारण संबंधी समस्याओं एवं उनके निवारण के संबंध में जानकारी प्रदान की। श्री आर.एल. सागर, विषय विशेषज्ञ ने फसल अवशेषों को जलाने से होने वाले नुकसान और इसके खेत में ही प्रबन्धन से होने वाले फायदों के सम्बन्ध में, श्री राकेश पाण्डे ने फसल अवशेष प्रबन्धन के यन्त्रों तथा विभिन्न परिस्थितियों में उनके उपयोग करने के तरीकों तथा सुश्री वाणी यादव ने फसल अवशेष प्रबन्धन के मृदा पर पड़ने वाले प्रभावों के सम्बन्ध में जानकारी दी।
मुख्य अतिथि, श्री अमरिंदर सिंह एवं संयुक्त निदेशक, डॉ महेश चंद्र ने फसल अवशेष प्रबंधन क्षेत्र में उत्कृष्ट कार्य कर रहे प्रगतिशील कृषको को सम्मानित किया तथा सांस्कृतिक कार्यक्रमों के माध्यम से संदेश देने वाले 15 छात्र छात्राओं को भी सम्मानित किया। श्री रंजीत सिंह, बागवानी विशेषज्ञ ने स्व. श्री चौधरी चरण सिंह के जीवनवृत पर प्रकाश डाला एवं कार्यक्रम का संचालन किया।
इस अवसर पर मेले में फसल अवशेष प्रबंधन विषय पर प्रदर्शनी का भी आयोजन किया जिसमे महिला समूहो तथा छात्र छात्राओं ने कृषि एवं विज्ञान संबंधी अपने मॉडल भी प्रस्तुत किए जिसकी सभी उपस्थित अतिथियों ने सराहना की। उक्त किसान सम्मान समारोह एवं किसान मेले में लगभग 782 किसानों, कृषक महिलायों एवं छात्र छात्राओं ने भागीदारी की।
इसके अतिरिक्त, कृषि विज्ञान केंद्र के विशेषज्ञों व भारतीय पशु चिकित्सा अनुसंधान संस्थान की टीम ने कृषि विभाग, बरेली द्वारा विल्वाफार्म पर आयोजित किसान सम्मान दिवस में प्रतिभागिता दर्ज की जिसमे एक पशु विज्ञान प्रदर्शिनी में एक स्टाल लगाया गया जिस पर बड़ी संख्या में किसानो ने जानकारी प्राप्त की साथ ही कृषि विज्ञान केन्द्र एवं संस्थान के वैज्ञानिको ने किसान मेले में फसल उत्पादन तथा पशु पालन संबंधी जानकारी प्रदान की। इस कार्यक्रम में लगभग 950 किसानों तथा किसान महिलाओं ने भागीदारी की।
(Source: Respective Institutes)
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