कृषि और पर्यावरणीय स्थिरता के लिए जैविक एवं अजैविक तनावों को कम करने के लिए नवीन रणनीतियों पर राष्ट्रीय सम्मेलन का आयोजन

कृषि और पर्यावरणीय स्थिरता के लिए जैविक एवं अजैविक तनावों को कम करने के लिए नवीन रणनीतियों पर राष्ट्रीय सम्मेलन का आयोजन

28- 29 फरवरी, 2024, छत्तीसगढ़

भाकृअनुप-राष्ट्रीय जैविक तनाव प्रबंधन संस्थान, रायपुर, छत्तीसगढ़ ने भाकृअनुप-राष्ट्रीय अजैविक तनाव प्रबंधन संस्थान, बारामती, महाराष्ट्र तथा एमिटी विश्वविद्यालय, छत्तीसगढ़, रायपुर के सहयोग से कृषि और पर्यावरण की स्थिरता के लिए जैविक एवं अजैविक तनाव को कम करने के लिए नवीन रणनीतियों पर एक राष्ट्रीय सम्मेलन का आयोजन 28- 29 फरवरी, 2024 को किया।

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मुख्य अतिथि, डॉ. एस. अय्यप्पन, पद्मश्री पुरस्कार विजेता तथा पूर्व सचिव, कृषि अनुसंधान एवं शिक्षा विभाग तथा महानिदेशक, भाकृअनुप ने पौधों के स्वास्थ्य पर ध्यान देने के साथ वन हेल्थ, खाद्य सुरक्षा को आगे बढ़ाने में संस्थान की महत्वपूर्ण भूमिका को रेखांकित किया।

डॉ. पी.के. घोष, निदेशक, भाकृअनुप-एनआईबीएसएम, रायपुर ने किसानों की आय को दोगुना करने के राष्ट्रीय उद्देश्य के अनुरूप किसानों की आय बढ़ाने तथा जोखिम को कम करने के लिए जैविक एवं अजैविक तनावों को समझने के महत्व पर प्रकाश डाला।

डॉ. के. सैमी रेड्डी, निदेशक, भाकृअनुप-एनआईएएसएम ने अजैविक तनाव सूचना प्रणाली के विकास के बारे में बात की और महाराष्ट्र तथा छत्तीसगढ़ में उपेक्षित क्षेत्रों के लिए एनआईएएसएम-केवीके बातचीत की सुविधा प्रदान की।

प्रो. पीयूष के पांडे, कुलपति, एमिटी यूनिवर्सिटी छत्तीसगढ़, रायपुर ने 200,000 छात्रों के नामांकन के साथ विश्वविद्यालय की वैश्विक उपस्थिति और दस स्कूलों में 3,000 छात्रों के साथ छत्तीसगढ़ में इसकी स्थानीय उपस्थिति को रेखांकित किया।

डॉ. एस.एन. पुरी, पूर्व कुलपति, सीएयू, मणिपुर ने स्नातक तथा स्नातकोत्तर छात्र क्षमताओं को मजबूत करने के उद्देश्य से राष्ट्रीय महत्व के डीम्ड विश्वविद्यालयों के रूप में संस्थान तथा एनआईएएसएम की उत्पत्ति पर जोर दिया।

अकादमिक-उद्योग संपर्क पर विशेष सत्र ने उद्योग भागीदारों को उत्पादों का प्रदर्शन करने और दृष्टिकोणों का आदान-प्रदान करने की अनुमति दी। जैविक और अजैविक तनावों को कम करने के लिए नवीन रणनीतियों पर एक पैनल चर्चा में प्रतिष्ठित वक्ता उपस्थित थे। चर्चाओं में कीट एवं रोग नियंत्रण के लिए जैव-कीटनाशकों और उत्तेजक पदार्थों को बढ़ावा देने के महत्व, अजैविक तथा जैविक तनावों के प्रबंधन के लिए एक एकीकृत दृष्टिकोण की आवश्यकता, कई तनाव-सहिष्णु किस्मों की आवश्यकता, जलवायु परिवर्तन को संबोधित करने की आवश्यकता, क्षमता निर्माण और नीतिगत मुद्दे के साथ-साथ जैविक तनाव प्रबंधन में एआई तथा मशीन लर्निंग टूल्स का उपयोग पर प्रकाश डाला गया।

सम्मेलन में 250 से अधिक प्रतिष्ठित वैज्ञानिकों, उद्योग भागीदारों और छात्रों ने भाग लिया।

(स्रोत: भाकृअनुप-नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ बायोटिक स्ट्रेस मैनेजमेंट, रायपुर, छत्तीसगढ़)

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