1 जुलाई, 2025, गोवा
दक्षिण गोवा के कैनाकोना ब्लॉक स्थित गाँवोंग्रेम गाँव में विज्ञान, प्रौद्योगिकी एवं उद्योग केन्द्र में आज कृषि-पारिस्थितिकी पर्यटन पर एक दिवसीय कार्यशाला का आयोजन किया गया। यह कार्यक्रम ऊर्जा एवं संसाधन संस्थान द्वारा भाकृअनुप-केन्द्रीय तटीय कृषि अनुसंधान संस्थान, नाबार्ड और गोवा पर्यटन विकास निगम (जीटीडीसी) के सहयोग से, भारत सरकार के विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग के समता, सशक्तिकरण एवं विकास (एसईईडी) प्रभाग द्वारा वित्त पोषित एक परियोजना के तहत संयुक्त रूप से आयोजित किया गया था।

कार्यशाला का उद्देश्य ग्रामीण समुदायों के लिए कृषि-पारिस्थितिकी पर्यटन को एक व्यवहार्य और स्थायी आजीविका के अवसर के रूप में प्रस्तुत करना था। कार्यक्रम में भाकृअनुप-सीसीएआरआई, नाबार्ड-गोवा और जीटीडीसी के विशेषज्ञों द्वारा संचालित तकनीकी सत्रों का आयोजन किया गया, जिसमें कृषि-पारिस्थितिकी पर्यटन मॉडल, एकीकृत कृषि पद्धतियों और पर्यटन को कृषि के साथ समन्वित करने के अवसरों पर ध्यान केंद्रित किया गया।
कार्यशाला का एक प्रमुख आकर्षण किसानों और हितधारकों द्वारा गाँवोंग्रेम को जलवायु-अनुकूल कृषि, प्रकृति-आधारित पर्यटन और समुदाय-संचालित विकास पर केंद्रित एक आदर्श कृषि-पारिस्थितिकी पर्यटन गाँव के रूप में विकसित करने का संयुक्त प्रस्ताव था।
कार्यक्रम का समापन कृषि-पारिस्थितिकी कृषि पद्धतियों के प्रदर्शन के साथ एक क्षेत्रीय दौरे के साथ हुआ, जिसके बाद स्थानीय किसानों के साथ संवादात्मक चर्चा हुई। कार्यशाला ज्ञान के आदान-प्रदान और सहयोगात्मक योजना के लिए एक महत्वपूर्ण मंच के रूप में कार्य करती है।

किसान संघ-जन विकास विविध कार्यकारी सहकारी सेवा संस्थान मर्याजित के सदस्यों सहित कुल 35 प्रगतिशील किसानों ने कार्यक्रम में भाग लिया, साथ ही भाग लेने वाले संगठनों के अधिकारियों और विशेषज्ञों ने भी भाग लिया।
यह पहल गोवा में गाँवोंग्रेम को स्थायी ग्रामीण परिवर्तन का एक आदर्श मॉडल बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।
(स्रोत: भाकृअनुप-केन्द्रीय तटीय कृषि अनुसंधान संस्थान, गोवा)
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