देहरादून, 03 अप्रैल 2011
डॉ. के. डी. कोकाटे, उपमहानिदेश, कृषि विस्तार की अध्यक्षता में आज कृषि विज्ञान केंद्र, देहरादून की समीक्षा बैठक सम्पन्न हुई। इस बैठक में उपमहानिदेशक मात्स्यिकी, डॉ. बी. मीना कुमारी, कुलपति, जी. बी. पंत कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय, पंतनगर, डॉ. बी. एस. बिष्ट और क्षेत्रीय परियोजना निदेशक, क्षेत्र 4, कानपुर, डॉ. ए. के. सिंह भी उपस्थित थे।
बैठक में कृषक समुदाय के उत्थान और विकास तथा कृषि विज्ञान केंद्र, देहरादून की इसे सुदृढ़ करने में भूमिका आदि विभिन्न विषयों पर विस्तार से चर्चा हुई।
इस दौरान डॉ. के. डी. कोकाटे, उपमहानिदेश, कृषि विस्तार ने गणमान्य अतिथियों और वैज्ञानिकों की टीम के साथ हरबर्तपुर के निकट आसनबाग गांव में कृषक के खेतों का दौरा किया और सब्जियों की खेती के बारे में किसानों से बातचीत की। उन्होंने केवीके फार्म पर सब्जियों, गेहूं और अन्य प्रदर्शनों को देखा और लीची तथा आम के बागानो में सूक्ष्म सिंचाई सुविधाओं के प्रयोग का भी सुझाव दिया।
डॉ. एस. एस. सिंह, कार्यक्रम समन्वयक ने केवीके, देहरादून में जारी गतिविधियों के बारे में संक्षिप्त जानकारी दी। इसके साथ ही उन्होंने इस बात की सराहना करते हुए कहा कि यह बड़े हर्ष का विषय है कि यहां के किसानों को उच्च गुणवत्ता की रोपण सामग्री उपलब्ध हो रही है क्योंकि इस जिले में बागवानी क्षेत्र के विकास को बढ़ावा देने के लिए यह बेहद जरूरी है। उन्होंने किसानों की आवश्यकताओं के अनुरूप कार्यशैली पर बल दिया तथा साथ ही इलेक्ट्रॉनिक परामर्श सेवा को मददगार बताते हुए कृषि के क्षेत्र में दूरवर्ती किसानों को साथ जोड़ने और कृषि क्षेत्र के प्रगति की जानकारी देने के लिए जिले के सेवा प्रदाताओं का दस्तावेज तैयार करने और जिले में चालू राज्य केंदीय योजनाओं के एकत्रण का निर्देश दिया। उपमहानिदेशक मात्स्यिकी ने केवीके फार्म के छोटे तालाबों में मात्स्यिकी क्षमता के मूल्यांकन का सुझाव भी दिया।
उन्होंने समन्वित कृषि प्रणाली के सुदृढ़ता के लिए मिल-जुल कर कार्य करने का संकेत देते हुए कहा कि स्थानिक किस्मों का मूल्याकन करके कृषक समुदाय में वितरित किया जाना चाहिए और बड़े पैमाने पर कृषकों को तकनीकी जानकारी दी जानी चाहिए। उन्होंने केवीके, देहरादून में पॉली टनल में गोभी, बंदगोभी, खीरा, प्याज, बैंगन आदि सब्जियों की पौध उगाने के कार्य की सराहना की। कृषि, बागवानी और संबंधित क्षेत्रों के संपूर्ण विकास के लिए कुछ क्रियान्वयन किए जाने वाले गांवों का चयन करने के लिए सामूहिक प्रयत्नों की आवश्यकता पर जोर दिया, जहां वैज्ञानिक निरंतर दौरे कर सके। उन्होंने कृषि विज्ञान केंद्र, देहरादून को आवंटित परियोजनाओं के लिए बधाई दी तथा इन्हें सफलतापूर्वक पूरा करने के निर्देश दिए।
(स्रोत : एनएआईपी सब-प्रोजेक्ट मास-मीडिया मोबिलाइजेशन, डीकेएमए और केवीके, देहरादून)
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