लक्षद्वीप में समुद्री सजावटी झींगा मछली के कैप्टिव प्रसार की खोज: भाकृअनुप-एनबीएफजीआर की नवीन प्रौद्योगिकी विकास

लक्षद्वीप में समुद्री सजावटी झींगा मछली के कैप्टिव प्रसार की खोज: भाकृअनुप-एनबीएफजीआर की नवीन प्रौद्योगिकी विकास

लक्षद्वीप, अरब सागर में फैले देश का एकमात्र कोरल एटोल है जिसमें 10 बसे हुए द्वीप हैं। स्थानीय समुदाय का प्रमुख आय स्रोत टूना मछली पकड़ना और नारियल आधारित उप-उत्पाद तैयार करना है। यहां अतिरिक्त/वैकल्पिक आय के लिए, विशेष रूप से महिलाओं के लिए, बहुत सीमित गुंजाइश है। इस मुद्दे को हल करने के लिए भाकृअनुप-नेशनल ब्यूरो ऑफ फिश जेनेटिक रिसोर्सेज, लखनऊ ने अगत्ती द्वीप में समुद्री सजावटी जीवों के लिए एक सुविधा स्थापित की है, जिसमें समुद्री सजावटी अकशेरूकीय और सामुदायिक जलीय कृषि इकाइयों के लिए जर्मप्लाज्म संसाधन केन्द्र शामिल है, जिसका रखरखाव स्थानीय महिलाओं द्वारा किया जा रहा है जो समुद्री सजावटी जीवों (मछली, झींगा, और समुद्री एनीमोन) को विपणन योग्य आकार तक बढ़ाकर वैकल्पिक आय का सृजन किया जा सके (सौजन्य: डीबीटी, टीएसपी: भाकृअनुप-एनबीएफजीआर और सीएमएलआरई)।

Exploring Captive propagation of marine ornamental shrimps at Lakshadweep: Technology innovation by the ICAR-NBFGR Exploring Captive propagation of marine ornamental shrimps at Lakshadweep: Technology innovation by the ICAR-NBFGR Exploring Captive propagation of marine ornamental shrimps at Lakshadweep: Technology innovation by the ICAR-NBFGR Exploring Captive propagation of marine ornamental shrimps at Lakshadweep: Technology innovation by the ICAR-NBFGR

इस प्रकार विभिन्न द्वीपों पर किए गए खोजपूर्ण सर्वेक्षणों ने तीन नई झींगा प्रजातियों की खोज के साथ अनदेखी जैव विविधता का खुलासा किया। इसके अलावा, कैप्टिव स्थितियों के तहत बीज उत्पादन तकनीक को विश्व स्तर पर पहली बार दो संभावित समुद्री सजावटी झींगा, थोर हैनानेन्सिस और एंकिलोकारिस ब्रेविकार्पलिस के लिए मानकीकृत किया गया और बढ़ाया गया है।

भाकृअनुप-राष्ट्रीय मत्स्य आनुवंशिक संसाधन ब्यूरो (एनबीएफजीआर) ने स्थानीय समुदाय को समुद्री सजावटी मछली पालन पर एक महीने का "हैंड्स-ऑन लर्निंग" प्रशिक्षण दिया। कुल 82 द्वीप वासियों (77 महिलाओं) को समुद्री सजावटी बालियों पर सामुदायिक जलीय कृषि के पहलुओं में प्रशिक्षित किया गया था। इस प्रौद्योगिकी अपनाने के एक भाग के रूप में, सामुदायिक जलीय कृषि इकाइयों में मछली पालन के लिए लाभार्थियों को कैप्टिव-ब्रेड झींगा बीजों की आपूर्ति की जा रही है। यहां प्रशिक्षित महिलाएं युवा झींगों को विपणन योग्य आकार तक पालने में शामिल हैं। इस पहल से आजीविका वृद्धि और देशी जैव विविधता के संरक्षण को बढ़ावा मिलेगा। यह एक अनूठा उद्यम है, जहां तकनीकी उपयोग के माध्यम से स्वदेशी जीवों के संरक्षण और सामाजिक विकास को एक साथ आगे बढ़ाया जाता है।

इस संस्थान ने अगत्ती द्वीप में चार सामुदायिक एक्वाकल्चर इकाइयों की स्थापना की है तथा अन्य को सहयोग किया है, जहां 45 महिला लाभार्थियों द्वारा सजावटी झींगा मछली को सफलतापूर्वक विपणन योग्य आकार में बढ़ाया। साथ ही एक माह के कैप्टिव युवा ब्रीड को हितग्राहियों को आपूर्ति की जाएगी, जहां उनके द्वारा 2.5 से 3 माह की अवधि तक उनका पालन-पोषण किया जाएगा। इस तरह विपणन योग्य आकार के झींगा मछली को 175 रु. से 200 रु. प्रति  इकाई विक्रय मूल्य के साथ बाजार में ले जाया जाता है।  यहां, लक्षद्वीप में रहने वाले भाकृअनुप-एनबीएफजीआर के परियोजना कर्मी नियमित रूप से पालन करने वाली इकाइयों के कामकाज की निगरानी करते हैं और लाभार्थियों को तकनीकी जानकारी प्रदान करते हैं।

यह समुद्री सजावटी जीवों की सामुदायिक जलीय कृषि के लिए अभिनव दृष्टिकोण, देश में एक नई पहल, आय के वैकल्पिक स्थायी स्रोत के रूप में द्वीप वासियों, विशेष रूप से महिलाओं, के आजीविका विकास में रास्ते खोलेगी।

(स्रोत: भाकृअनुप-राष्ट्रीय मत्स्य आनुवंशिक संसाधन ब्यूरो, लखनऊ)

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