विशाखापट्टनम, 11 जून 2011
डॉ. एस. अय्यप्पन, सचिव, डेयर एवं महानिदेशक, भा.कृ.अनु.प. ने आज भा.कृ.अनु.प. की वेबसाइट पर आन लाइन इंडियन जर्नल आफ फिशरीज की शुरुआत की। महानिदेशक महोदय ने विशाखापट्टनम में केंद्रीय समुद्री मात्स्यिकी अनुसंधान संस्थान-केंद्रीय मात्स्यिकी प्रौद्योगिकी संस्थान केंद्र-सह-कार्यालय परिसर के नए विंग का उद्घाटन भी किया। डॉ अय्यप्पन ने क्षेत्रीय केंद्र, सीएमएफआरआई की समुद्री जीव संवर्ध्दन की प्रयोगशाला को राष्ट्र को समर्पित किया।
डॉ. अय्यप्पन ने अपने उद्बोधन में दोनों केंद्रों के वैज्ञानिकों और स्टॉफ के प्रयत्नों और योगदान की सराहना की। उन्होंने सीएमएफआरआई द्वारा आरम्भ ओपन सी केज कल्चर सरीखी नई प्रौद्योगिकी द्वारा देश में मछली उत्पादन को बढ़ाने पर भी जोर दिया तथा सीआईएफटी द्वारा पेंगसियस जैसी नई मत्स्य प्रजाति के प्रसंस्करण की सराहना की जिससे पेंगसियस के उत्पादक किसानों के लाभ में वृद्धि हुई। डॉ. अय्यप्पन ने मत्स्य से उच्च मूल्य के उत्पाद तैयार करने पर जोर दिया। ये भा.कृ.अनु.प. द्वारा शीघ्र आरम्भ की जाने वाली राष्ट्रीय कृषि उद्यमशीलता परियोजना का केंद्र बिंदु होंगे।
डॉ. बी. मीनाकुमारी, उपमहानिदेशक (मात्स्यिकी) ने जोर देकर कहा कि रोजगार सृजन के साथ ही आय सृजन के लिए मात्स्यिकी क्षेत्र अत्यंत सशक्त है। उन्होंने कहा कि भारत के पूर्वी तट पर मत्स्य अनुसंधान के लिए विशाखापट्टनम में सीएमएफआरआई और सीआईएफटी केंद्रं प्रमुख हैं। उन्होंने सीएमएफआरआई की ग्रीन मुसेल स्पेट उत्पादन और ग्रीसी गु्रपर बू्रड स्टॉक के रखरखाव और सीआईएफटी द्वारा मत्स्य बंदरगाहों की स्वच्छ और स्वास्थ्यकारी परिस्थितियां बनाने की उपलब्धियों को उजागर किया।
(स्रोतः एनएआईपी सब-प्रोजेक्ट मास-मीडिया मोबिलाइजेशन, डीकेएमए और सीआईएफटी)
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