14 अप्रैल, 2023, लखनऊ
डॉ. हिमांशु पाठक, सचिव (डेयर) एवं महानिदेशक (भाकृअनुप) ने आज भाकृअनुप-राष्ट्रीय मत्स्य आनुवंशिक संसाधन ब्यूरो (एनबीएफजीआर), लखनऊ में राष्ट्रीय मछली संग्रहालय और भंडार गृह राष्ट्र को समर्पित किया।
डॉ. पाठक ने भाकृअनुप-एनबीएफजीआर के वैज्ञानिकों और कर्मचारियों के साथ बातचीत करते हुए नवीन विचारों के साथ आने का आह्वान किया ताकि विज्ञान और प्रौद्योगिकी के उपयोग के माध्यम से हमारे किसानों और मछुआरों के सामने आने वाले मुद्दों और चुनौतियों का समाधान किया जा सके।
महानिदेशक ने लाइव फिश जर्मप्लाज्म रिसोर्स सेंटर, फार्म और हैचरी तथा गंगा एक्वेरियम सहित विभिन्न सुविधाओं का दौरा किया। उन्होंने लाइव फिश जर्मप्लाज्म रिसोर्स सेंटर के तालाबों में प्राथमिकता वाली मछली प्रजातियों के फिंगरलिंग्स भी जारी किए। जलीय कृषि फार्म में ड्रोन प्रौद्योगिकी के अनुप्रयोग का भी प्रदर्शन किया गया।
डॉ. जे.के. जेना, उप महानिदेशक (मत्स्य विज्ञान), डॉ. यू.के. सरकार, निदेशक भाकृअनुप-एनबीएफजीआर, लखनऊ और लखनऊ में भाकृअनुप संस्थानों के निदेशक इस अवसर पर उपस्थित थे।
डॉ. हिमांशु पाठक ने भाकृअनुप-एनबीएफजीआर में राष्ट्रीय मछली संग्रहालय और भंडार गृह की स्थापना की उत्पत्ति और महत्व पर प्रकाश डाला और कहा कि यह अत्याधुनिक सुविधा टैक्सनॉमिस्ट और अन्य शोधकर्ताओं के लिए बेहद मददगार होगी।
डॉ. सरकार ने देश के जलीय आनुवंशिक संसाधनों के प्रमुख विषयगत क्षेत्रों में महत्वपूर्ण उपलब्धियों की सराहना की।
इस अवसर पर गणमान्य व्यक्तियों ने संस्थान के प्रकाशन का विमोचन भी किया।
भाकृअनुप-एनबीएफजीआर को राष्ट्रीय जैव विविधता प्राधिकरण (एनबीए), भारत सरकार द्वारा जैविक विविधता अधिनियम, 2002 की धारा 39 के तहत मछली जर्मप्लाज्म संसाधनों के लिए नोडल रिपॉजिटरी एजेंसी के रूप में भी नामित किया गया था और संस्थान ने एक राष्ट्रीय मछली संग्रहालय और भंडार गृह की स्थापना करके अपनी स्थिति को और मजबूत किया है।
नव विकसित संग्रहालय अनुसंधान तथा आम जनता के लिए मीठे पानी, समुद्री और खारे पानी के वातावरण के फ़िनफ़िश और शेलफ़िश वाउचर नमूनों को प्रदर्शित करता है। मछली के रूपात्मक विशेषताओं को व्यापक रूप से समझने के लिए संग्रहालय में रेडियोग्राफिक सुविधा है। संग्रहालय में वर्तमान में भारत में पाई जाने वाली 1200 फ़िनफ़िश प्रजातियों और 250 मोलस्का प्रजातियों के नमूने हैं और इसका उद्देश्य भविष्य में भारत के सभी फ़िनफ़िश और शेलफ़िश संसाधनों के वाउचर नमूने रखना है। संग्रहालय में डीएनए और ऊतक भंडार में वाणिज्यिक/ प्राथमिकता वाली मछली प्रजातियों से संबंधित 19000 ऊतक प्रविष्टियां हैं। रिपॉजिटरी में मछली के शुक्राणु का क्रायोबैंक है और 31 मछली प्रजातियों के लिए क्रायोप्रिजर्वेशन तकनीक विकसित की गई है। यहां स्थापित माइक्रोबियल रिपॉजिटरी का उद्देश्य मछली तथा सार्वजनिक स्वास्थ्य अनुसंधान और विकास के लिए महत्वपूर्ण जलीय पशु रोगजनकों को संग्रहित और संरक्षित करना है। नेशनल रिपॉजिटरी ऑफ फिश सेल लाइन्स (एनआरसी) जो 81 सेल लाइन एक्सेस के साथ दुनिया का सबसे बड़ा फिश सेल लाइन का संग्रह है, रिपॉजिटरी में भी स्थित है। इस राष्ट्रीय सुविधा के संबंध में देश के विभिन्न हिस्सों से 27 प्रशिक्षुओं के साथ एकीकृत मछली वर्गीकरण और फिनफिश और शेलफिश के सिस्टमैटिक्स पर पांच दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम का भी उद्घाटन किया गया।
(स्रोत: भाकृअनुप-राष्ट्रीय मत्स्य आनुवंशिक संसाधन ब्यूरो, लखनऊ)
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