18 मई, 2023, झांसी
श्री नितिन खाड़े, भारतीय प्रशासनिक सेवा तथा संयुक्त सचिव और डॉ. सी.पी. रेड्डी, वरिष्ठ अपर सचिव, भूमि संसाधन विभाग, ग्रामीण विकास मंत्रालय, भारत सरकार ने आज भाकृअनुप-भारतीय चारागाह एवं चारा अनुसंधान संस्थान (आईजीएफआरआई), झांसी का दौरा किया इस दौरे का मकसद रीढ़विहीन चारा कैक्टस, जिसका उपयोग चारा के लिए होता है, से कंप्रेस्ड बायोगैस उत्पादन की संभावना का पता लगाना था।
भाकृअनुप-आईजीएफआरआई, झांसी रीढ़विहीन चारा कैक्टस पर देश में अग्रणी कार्य संस्थान है। इसने वर्षा आधारित स्थितियों के तहत उपयुक्त रीढ़ रहित चारा कैक्टस परिग्रहणों, मानकीकृत कृषि संबंधी प्रथाओं की पहचान की है; कैक्टस-आधारित फीडिंग परीक्षण आयोजित किए, और इसे किसानों के खेतों और गौशालाओं सहित अन्य हितधारकों पर लोकप्रिय बनाया। अब देश में बायोगैस उत्पादन, जैव-खाद, चमड़ा, भोजन आदि जैसे अन्य विविध उपयोगों के लिए कैक्टस के उपयोग की संभावनाएं तलाशी जा रही हैं। इस संबंध में ग्रामीण विकास मंत्रालय की टीम ने भाकृअनुप-आईजीएफआरआई, झांसी का दौरा किया और विभागाध्यक्षों के साथ निदेशक एवं कैक्टस टीम के साथ चर्चा की।
श्री खाड़े ने बताया कि अब ग्रामीण विकास मंत्रालय संबंधित राज्य सरकारों, एनजीओ, भाकृअनुपडीए, अन्य मंत्रालयों, उद्यमियों आदि की साझेदारी में संभावित स्थानों पर कैक्टस-आधारित बायोगैस संयंत्र स्थापित करने की योजना बना रहा है और भाकृअनुप एक नॉलेज पार्टनर के रूप में काम कर रहा है। उन्होंने कहा कि इसी कड़ी में पहली पायलट परियोजना राजस्थान के जयपुर के निकट ग्राम हिंगोनिया में शुरू की जा रही है।
डॉ. अमरेश चंद्रा, निदेशक, भाकृअनुप-आईजीएफआरआई ने रीढ़विहीन कैक्टस की क्षमता के बारे में जानकारी दी। उन्होंने कहा कि भाकृअनुप-आईजीएफआरआई में लगभग 1.5 हैक्टर कैक्टस का पौधा रोपण किया जा रहा है, जो इस गतिविधि के लिए लगभग 1.5 लाख क्लैडोड प्रदान कर सकता है।
टीम ने आईजीएफआरआई रोपण सामग्री का उपयोग करके हिंगोनिया में बायोगैस उत्पादन के लिए 400 हैक्टर क्षेत्र में कैक्टस वृक्षारोपण स्थापित करने के लिए एक रोड मैप पर चर्चा की गई।
टिश्यू कल्चर का उपयोग कर रोपण सामग्री तैयार करने पर भी चर्चा हुई।
(स्रोत: भाकृअनुप-भारतीय चरागाह तथा चारा अनुसंधान संस्थान, झांसी)
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