1 जून, 2023, कोलकाता/ चिनसूरा
गैर-पारंपरिक क्षेत्रों में आर्किड की खेती को प्रोत्साहन देने और पूर्वी भारत के पारंपरिक क्षेत्रों में गहनता के लिए, भाकृअनुप-कृषि प्रौद्योगिकी अनुप्रयोग अनुसंधान संस्थान (अटारी), कोलकाता और भाकृअनुप-नेशनल रिसर्च सेंटर ऑन ऑर्किड, सिक्किम के बीच एक समझौता ज्ञापन (एमओयू) पर आज हस्ताक्षर किए गए।
डॉ. प्रदीप डे, निदेशक, भाकृअनुप-अटारी, कोलकाता और डॉ. एस.पी. दास, निदेशक, भाकृअनुप-एनआरसीओ, सिक्किम और अपने संबंधित संगठनों की ओर से समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए।
इस समझौता ज्ञापन के अनुसार, भाकृअनुप-अटारी, कोलकाता के नियंत्रणाधीन क्षेत्र में काम कर रहे विभिन्न केवीके के विषय विशेषज्ञ तकनीकी विचार-विमर्श/ विचार-मंथन सत्र/ प्रचार प्रौद्योगिकी सहित अन्य सहयोग के क्षेत्र के अलावा उन्नत प्रबंधन प्रथाओं के व्यवहारिक प्रशिक्षण में भाग लेंगे।
चयनित केवीके में "मॉडल आर्किड की खेती सह प्रदर्शन इकाई" की स्थापना और 'बैकयार्ड आर्किड खेती उद्यम को बढ़ावा देने के माध्यम तथा भाकृअनुप-अटारी, कोलकाता एवं भाकृअनुप-एनआरसीओ, सिक्किम के बीच इस केन्द्रित साझेदारी से क्षेत्र के कैक्टस उत्पादकों को लाभ होगा।
केवीके हुगली, चिनसुरा में "पश्चिम बंगाल के गैर-पारंपरिक क्षेत्रों में आर्किड की खेती को बढ़ावा देने" पर एक इंटरैक्टिव बैठक-सह-कार्यशाला भी आयोजित की गई। डॉ. डे ने उल्लेख किया कि उष्णकटिबंधीय ऑर्किड, पूर्वी भारत के इस अपरंपरागत हिस्से में, फूलों की खेती में लगे किसानों की लाभ अर्जन में सुधार के अलावा, एक उज्वल पारिस्थितिकी तंत्र बनाने के लिए लंबा रास्ता तय करेगा। उन्होंने आशा व्यक्त की कि आस-पास के महानगरों में एक आश्वस्त बाजार के साथ, अर्ध-शहरी क्षेत्रों में आर्किड की खेती से कृषक समुदाय की आजीविका में वृद्धि होगी और ऑर्किड उत्पादकों के लिए धन उपलब्ध कराने के लिए एमआईडीएच योजनाओं और एटीएमए योजनाओं के माध्यम से बागवानी विभाग की भागीदारी की मांग की।
डॉ. दास ने उल्लेख किया कि सभी प्रकार के डेंड्रोबियम कल्टीवेटर की शुरुआत इस क्षेत्र में इसके पूर्ण विकास में मदद करेगी। उन्होंने ऑर्किड में रोग प्रबंधन के महत्व के बारे में भी बताया।
श्री एस. भकत, उप बागवानी निदेशक, हुगली, पश्चिम बंगाल सरकार ने अपने संबोधन में इस नेक काम के लिए पूर्ण समर्थन देने का वादा किया।
डॉ. एफ.एच. रहमान, प्रधान वैज्ञानिक, भाकृअनुप-अटारी, कोलकाता ने भी इस अवसर पर बात की।
(स्रोत: भाकृअनुप-कृषि प्रौद्योगिकी अनुप्रयोग अनुसंधान संस्थान, कोलकाता)
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