सब्जियों के बीज ज्यादातर आकार में छोटे होते हैं। बेहतर देखभाल के लिए उन्हें पहले नर्सरी की क्यारियों में बोया जाता है और फिर खेतों में प्रत्यारोपित किया जाता है। कुछ सब्जियों को अपनी शुरुआती विकास अवधि के दौरान विशेष देखभाल की आवश्यकता होती है। अच्छी पैदावार के लिए गुणवत्तापूर्ण रोपण सामग्री या सब्जी के अंकुरों का उत्पादन महत्त्वपूर्ण है। खेती के बारे में किसानों के स्वदेशी और अभिनव विचारों के कारण बिष्णुपुर जिला, मणिपुर को राज्य का एक सब्जी केंद्र माना जाता है। बढ़ती आबादी को खिलाने के लिए यह जरूरी है कि किसान उन्नत प्रौद्योगिकियों का अभ्यास करके विभिन्न फसलों की उत्पादकता को बढ़ाएँ। स्वदेशी और वैज्ञानिक तकनीकी ज्ञान का एकीकरण गुणवत्तापूर्ण रोपण सामग्री के उत्पादन को बढ़ाने और सब्जियों की बढ़ती मांग को पूरा करने में मदद कर सकता है। सब्जी उत्पादन में कम निवेश होने से शुद्ध लाभ बढ़ेगा।
कुंबी तेराखा गाँव, बिष्णुपुर जिला के स्वर्गीय एन. कामदेबो सिंह के पुत्र श्री निंगथौजम इंगोचा सिंह बतौर अभिनव किसान अपने 0.5 हेक्टेयर भूमि में विभिन्न सब्जी-फसलों के पारंपरिक और वैज्ञानिक खेती के एकीकरण का अभ्यास कर रहा है। बीज की बुवाई के बाद नर्सरी के क्यारियों को ढँकने के लिए नालीदार जस्ती चादर का उपयोग करके सब्जी नर्सरी के उत्थापन का उनका विचार अभिनव है।
उनके द्वारा विकसित विधि:
- सबसे पहले, कम उपयोग किए गए कृषि क्षेत्र को नर्सरी साइट के रूप में चुना जाता है और जुताई से पहले सफाई के दरम्यान ढ़ेले, खूँटी-ठूँठी और अन्य अवांछित सामग्री हटा दी जाती है।
- कुदाल की मदद से नर्सरी की क्यारियों को हाथों से जुताई द्वारा तैयार किया जाता है। चयनित भूमि की उपलब्धता के अनुसार नर्सरी की क्यारियों का आकार अलग-अलग होता है।
- अच्छी तरह से विघटित खेतों की खाद (पशु का गोबर) और नदी के तल की रेत (अर्थात 1मीटर2 बीज की क्यारी में 3 किलो खेती लायक खाद और 2 किलो रेत को मिलाया जाता है। साथ ही, 1 किलो खेती की खाद बीज की बुवाई के बाद बीजों के ऊपर छिड़कने के लिए रखा जाता है।) को बारीकी से मिलाया जाता है।
- बीजों की बुवाई से पहले बीजों की क्यारियों को ठीक से समतल किया जाता है। लगभग 8 सेमी की दूरी पर लाइनों को लकड़ी की छड़ी का उपयोग करके बीजों की ऊपरी परत पर चिह्नित किया जाता है और समुचित विकास के लिए बीजों को लाइनों में बोया जाता है।
- बीजों को बुवाई के बाद खेतों की खाद की पतली परत से ढँक दिया जाता है और रोजकेन की मदद से पानी दिया जाता है।
- बाद में, बीजों की क्यारियों को नालीदार जस्ती चादर से ढँक दिया जाता है जो मिट्टी के तापमान को बढ़ाने के साथ-साथ मिट्टी की नमी को बनाए रखने में मदद करते हैं।
- अंकुरण से पहले पानी की आवृत्ति को कम करने के लिए बीजों की क्यारियों में फिर से तब तक पानी नहीं दिया जाता है जब तक बीज अंकुरित नहीं हो जाते।
- बीजों के अंकुरण के बाद 'नालीदार जस्ती चादर' को हटा दिया जाता है और भविष्य में पुन: उपयोग के लिए रख लिया जाता है।
इस नवाचार के विकास का मुख्य उद्देश्य सब्जी उत्पादन के दौरान निवेश लागत को कम करना था। टाट के बोरे और तिनके आदि की तुलना में नालीदार जस्ती चादरों द्वारा सब्जी नर्सरी क्यारियों को ढँकने के कई फायदे हैं। अन्य सामग्रियों से ढँकने की तुलना में जस्ती नालीदार चादर का स्थायित्व लंबे समय तक होता है; इसलिए यह नवाचार खेती की लागत को कम करते हुए लाभ को अधिकतम कर सकता है।
यह नवाचार बीजों के तेजी से अंकुरण, मिट्टी की नमी को बनाए रखने और तापमान में वृद्धि करने में मदद करता है और अन्य सामग्रियों की तुलना में बीजों के अंकुरण से पहले पानी की आवृत्ति को भी कम करता है। श्री सिंह उच्च गुणवत्ता वाली सब्जी पौध का उत्पादन कर रहे हैं और स्थानीय बाजारों और पड़ोसियों को बेच रहे हैं। कुछ चयनित सब्जी नर्सरियों का आर्थिक प्रभाव और लाभ लागत अनुपात है:
हरी फूलगोभी (ब्रॉकोली) |
किस्म ग्रीन मैजिक |
बी: सी अनुपात = 2.66:1 |
पत्ता गोभी |
किस्म रेयरबॉल |
बी: सी अनुपात = 4.25:1 |
फूलगोभी |
किस्म स्वेता |
बी: सी अनुपात = 2.86:1 |
प्याज |
किस्म प्रेमा |
बी: सी अनुपात = 5.76:1 |
टमाटर |
किस्म अमिताभ |
बी: सी अनुपात = 2.16:1 |
श्री सिंह उच्च मूल्य सब्जी उत्पादन पर कृषि विज्ञान केंद्र, बिष्णुपुर द्वारा आयोजित विभिन्न कार्यक्रमों में भाग लेते रहे हैं। विभिन्न बागवानी फसलों के अभिनव विचारों और वैज्ञानिक प्रौद्योगिकी के एकीकरण से उन्होंने वर्ष 2018-19 के दौरान अपने सब्जी खेत से 5.25 लाख रुपए की शुद्ध आय अर्जित कर चुके हैं। हाल ही में श्री सिंह ने एक दो पहिया खरीदा था। अपने खेती के उद्यम से अपने परिवार के सभी खर्चों का प्रबंधन करते हुए अब वे एक आरामदायक जीवन जी रहे हैं। उनकी सफलता से प्रेरित होकर कई बेरोजगार युवाओं और किसानों ने केवीके, बिष्णुपुर द्वारा दी जा रही खेती के अभिनव तरीकों और सलाह पर रुचि दिखाई।
(स्त्रोत: कृषि विज्ञान केंद्र, बिष्णुपुर, मणिपुर)
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