फार्म पशुओं में सूअरों को ग्रामीण समुदाय व आदिवासियों के कमजोर वर्गों की आजीविका तथा सामाजिक स्थिति में परिवर्तन लाने की दृष्टि से एक सक्षम आनुवंशिक संसाधन के रूप में प्रलेखित किया गया है। निकोबार द्वीप समूह में निकोबारी सूअर जिसे स्थानीय भाषा में हा-उन कहते हैं, स्थानीय संस्कृति और परंपरा से घनिष्ठ रूप से जुड़ा हुआ है। निकोबारी सूअर अर्ध-वन्य प्रकृति के होते हैं और आदिवासियों द्वारा इनका कोई क्रमबद्ध या वैज्ञानिक प्रबंध नहीं किया जाता है। इस प्रकार आदिवासी इनके पालन की वैज्ञानिक विधियों से परिचित नहीं हैं और इन सूअरों को मुक्त विचरण प्रणाली में पाला जाता था। सामान्यत: सूअरों का पालन वाणिज्यिक उद्देश्यों से नहीं किया जाता था। यह नस्ल निकोबार के स्थानीय पर्यावरण के प्रति अनुकूल रूप से ढली हुई है और अत्यंत निम्न स्तर के प्रबंध पर भी अपना अस्तित्व बनाए रखने में सक्षम है।
वर्तमान में, निकोबारी देसी नस्ल का यह सूअर विलुप्त होने के कगार पर है और इसे संरक्षित किए जाने के उपाय तत्काल किए जाने चाहिए। केन्द्रीय द्वीप कृषि अनुसंधान संस्थान (सीआईएआरआर्इ) पोर्ट ब्लेअर द्वारा इस नस्ल की फार्मिंग विधियों को प्रलेखित करने के प्रयास किए गए हैं। इस नस्ल के प्रबंध तथा पालन की विधियों से संबंधित उपलब्ध आंकड़े सर्वेक्षण रिपोर्ट पर आधारित हैं। इस सूअर के उत्पादक एवं जनन प्रबंधन से संबंधित कुछ वैज्ञानिक आंकड़े भी उपलब्ध हैं। हाल ही में सीआईआरएआई ने 23 एफएओ अनुशंसित माइक्रोसेटेलाइट मार्करों के माध्यम से इस जीनप्ररूप को प्रलेखित किया है। यह पाया गया है कि इस शूकर नस्ल की आनुवंशिक विविधता लार्ज व्हाइट यार्कशायर और सूअर की अन्य यूरोपीय नस्लों की तुलना में बहुत उच्च है।


इस शूकर नस्ल की आनुवंशिक विविधता की क्षमता के प्रलेखन, लक्षण-वर्णन व दोहन के लिए सीआईएआरआई ने हाल ही में अपने मुख्य परिसर में गहन प्रणाली के अंतर्गत इसके प्रजनन स्थान से निकोबारी सूअर उत्पन्न करके उनका रखरखाव किया है।
(स्रोत: सीआईएआरआई पोर्टब्लेयर)
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