राष्ट्रीय कृषि अनुसंधान परिषद क्षेत्रीय समिति की बैठक का उद्घाटन

राष्ट्रीय कृषि अनुसंधान परिषद क्षेत्रीय समिति की बैठक का उद्घाटन

8 जून 2012, पालमपुर

reg-committee-meeting-palampur-08-06-2012-5_1.jpgश्री जी.एच. मीर, कृषि मंत्री, जम्मू और कश्मीर सरकार, ने पहाड़ी कृषि की समस्याओं से निपटने के प्रयासों की आवश्यकता पर बल दिया। वे चौधरी सरवन कुमार हिमाचल प्रदेश कृषि विश्वविद्यालय, पालमपुर में मुख्य अतिथि के रूप में भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद की क्षेत्रीय समिति-I की बैठक का उद्घाटन कर रहे थे। श्री मीर ने कहा कि पहाड़ी राज्यों में खेती मुख्यत: वर्षा पर आधारित है इसलिए मिट्टी संरक्षण, गुणवत्ता बीज उत्पादन और सूखा प्रतिरोधी फसल किस्मों के विकास के लिए ठोस प्रयास किए जाने की आवश्यकता है।

प्रोफेसर वी.एल. चोपड़ा, पूर्व सचिव डेयर और महानिदेशक, आईसीएआर, सम्मानित अतिथि, ने कहा कि आठ क्षेत्रीय समितियों का गठन देश के विभिन्न कृषि जलवायु क्षेत्रों की विशेष कृषि समस्याओं का समाधान करने के लिए किया गया था। बेहतर परिणाम के लिए, इन बैठकों द्वारा संबंधित क्षेत्रों के लिए व्यवहार्य समाधान प्रस्तुत किए जाने चाहिए।

डॉ. एस. अय्यप्पन, सचिव, डेयर और महानिदेशक, आईसीएआर, ने में कहा कि भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद की क्षेत्रीय बैठक के संदर्भ में यह पहली ऐसी बैठक है जिसमें आगामी 12वीं पंच वर्षीय योजना में पर्वतीय कृषि के विकास के लिए चर्चा एवं विचार–विमर्श द्वारा ध्यान केंद्रित किया जा रहा है। उन्होंने पर्वतीय राज्यों के प्रमुख क्षेत्र जैसे बागवानी, संरक्षित खेती एवं फूलों की खेती, मांस उत्पादन, कृषि वानिकी, उच्च, मध्य और कम पर्वतीय क्षेत्रों के लिए जलवायु परिवर्तन और प्रौद्योगिकियों के विकास पर अध्ययन को अधिक महत्व देने की जरूरत पर बल दिया। इस क्षेत्र के समृद्ध संसाधनों को ध्यान में रखते हुए, उन्होंने क्षेत्र की महत्वपूर्ण फसलों जैसे केसर, आलू, अखरोट और बासमती चावल के जर्मप्लाज्म होने की मौजूदगी पर भी जोर दिया।

डॉ. एच.पी. सिंह, उप महानिदेशक, बागवानी, आईसीएआर ने कहा कि क्षेत्र में बेमौसम सब्जियों की खेती में काफी वृद्धि हुई है और भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद बागवानी के विकास के लिए अपनी इस सहायता को जारी रखेगा।

डॉ. एस. के. शर्मा, मेजबान विश्वविद्यालय के कुलपति ने कहा कि यह बैठक आईसीएआर 

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संस्थानों, राज्य कृषि विश्वविद्यालयों और कृषि विभागों, पशुपालन एवं मत्स्य पालन, जम्मू एवं कश्मीर, उत्तराखंड और हिमाचल प्रदेश के बीच एक प्रभावी संपर्क और समन्वय को गढ़ने की कोशिश करेगी। कुलपति ने आशा व्यक्त की कि भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद कृषि के क्षेत्र में उच्च शिक्षा और सतत कृषि उत्पादन और उत्पादकता को बढ़ावा देने के लिए वैज्ञानिक और तकनीकी समर्थन व जानकारी लगातार प्रदान करता रहेगा।

reg-committee-meeting-palampur-08-06-2012-3_1.jpgडॉ. पी.के. मिश्रा, निदेशक, केन्द्रीय मृदा एवं जल संरक्षण अनुसंधान और प्रशिक्षण संस्थान, देहरादून, ने हिमालय के संवेदनशील पारिस्थितिकी तंत्र के संदर्भ में इस बैठक को महत्वपूर्ण बताया।

मुख्य अतिथि ने नए प्रकाशनों के साथ सेब की एक किस्म जारी की और उद्घाटन समारोह के दौरान एस के कृषि विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी कश्मीर विश्वविद्यालय, श्रीनगर के वैज्ञानिकों को प्रशंसा प्रमाण पत्र प्रदान किया।

भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद के कृषि वैज्ञानिक, राज्य कृषि विश्वविद्यालयों के कुलपति, कृषि और संबंधित क्षेत्रों के निदेशक एवं जम्मू और कश्मीर राज्य के वरिष्ठ कृषि अधिकारी, सीएसके हिमाचल प्रदेश कृषि विश्वविद्यालय, उत्तराखंड और हिमाचल प्रदेश, पालमपुर ने बैठक में भाग लिया।

(स्रोत: केन्द्रीय मृदा एवं जल संरक्षण अनुसंधान और प्रशिक्षण संस्थान, देहरादून)

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