13 जनवरी, 2024, बीकानेर
अंतरराष्ट्रीय कैमलिड्स वर्ष 2024 के उपलक्ष्य में भाकृअनुप-राष्ट्रीय उष्ट्र अनुसंधान केन्द्र (एनआरसीसी), बीकानेर तथा फाउंडेशन फॉर इकोलोजिकल सिक्यूरिटी (एनजीओ) के संयुक्त तत्वावधान में आज ‘शुष्क् पारिस्थितिकी और उष्ट्र: संरक्षण एवं स्थिरता’ विषय पर कार्यशाला का आयोजन किया गया। इस कार्यक्रम में उष्ट्र संरक्षण के भावी परिदृश्य तथा चरागाह अभाव पर गहन मंथन किया गया।
मुख्य अतिथि, डॉ. प्रवीण मलिक, सीईओ, एग्रीनोवेट इंडिया लिमिटेड, रा.कृ.वि. परिसर, नई दिल्ली ने कहा कि पशुचारणता एवं चरागाह संरक्षण के लिए जरूरी सभी पहलुओं को जोड़ने की आवश्यकता है, ताकि पशुओं से मिलने वाले उत्पाद एवं इनकी गुणवत्ता को बढ़ावा मिल सके तथा पशुपालकों को इसका आर्थिक लाभ भी मिल सके।
डॉ. आर्तबन्धु साहू, निदेशक (एनआरसीसी) ने उष्ट्र को एक वातावरणीय मित्र पशु के रूप में देखे जाने, बदलते परिदृय में तमाम चुनौतियों के बावजूद इसकी बहुआयामी उपयोगिताओं को तलाशने एवं उष्ट्र व्यवसाय में उद्यमिता की प्रबल संभावनाएं के पक्षों को सदन के समक्ष उभारा। डॉ. साहू ने उष्ट्र की सीमित होती संख्या के पीछे चरागाह की समुचित व्यवस्था का अभाव होना बताया। उन्होंने संयुक्त राष्ट्र द्वारा वर्ष 2024 को ‘अंतरराष्ट्रीय कैमलिड्स वर्ष’ घोषित किये जाने के संदर्भ में उष्ट्र प्रजाति से संबन्धित ज्वलंत मुदृदों पर सबका ध्यान आकृष्ट किया।
डॉ. पी.के. राउत, प्रधान वैज्ञानिक, सचिव (डेयर) एवं महानिदेशक (भाकृअनुप) कार्यालय, नई दिल्ली ने पशुपालकों के सामाजिक व आर्थिक मुद्दों के समाधान हेतु पारिस्परिक वार्ता एवं इनके मानकीकरण की बात कही।
डॉ. इल्से, लोकहित पशु-पालक संस्थान, सादड़ी, डॉ. एन.डी. यादव, पूर्व अध्यक्ष एवं डॉ. जे.पी. सिंह, प्र. वैज्ञानिक (से.नि.), काजरी, बीकानेर ने कार्यशाला में विषयगत व्याख्यान प्रस्तुत किया।
इस कार्यशाला में 50 से अधिक उष्ट्र पालकों, किसानों, उद्यमियों, घुमन्तु समुदाय के प्रतिनिधियों, विषय-विशेषज्ञों, वैज्ञानिकों, आदि सहभागी बने।
(स्रोतः भाकृअनुप-राष्ट्रीय उष्ट्र अनुसंधान केन्द्र, बीकानेर)
फेसबुक पर लाइक करें
यूट्यूब पर सदस्यता लें
X पर फॉलो करना X
इंस्टाग्राम पर लाइक करें