26 जनवरी, 2024. अल्मोड़ा
75वें गणतंत्र दिवस की पूर्व संध्या पर भारत के अंतरराष्ट्रीय ख्याति प्राप्त गेहूं वैज्ञानिक, डॉ. रवि प्रकाश सिंह को देश के प्रतिष्ठित नागरिक सम्मान पद्मश्री से सम्मानित करने की घोषणा की गई। डॉ. सिंह मेक्सिको स्थित अंतर्राष्ट्रीय मक्का एवं गेहूं सुधार केन्द्र (सीमिट) में एक प्रतिष्ठित वैज्ञानिक तथा इसके प्रमुख भी रहे हैं।
डॉ. सिंह ने मेक्सिको तथा भारत जैसे देशों के साथ-साथ अफ्रीका, एशिया तथा लैटिन अमेरिका जैसे महादेशों में खाद्य उत्पादन एवं पोषण सुरक्षा बढ़ाने के लिए शोध और समाधान विकसित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। उन्होंने अपने सम्पूर्ण शोध कार्यकाल में 550 से भी अधिक गेहूं की किस्मों का विकास किया है। साथ ही पिछले दो दशक के दौरान उनकी टीम ने भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (आईसीएआर) नेटवर्क के माध्यम से भारत में जारी गेहूं की कई किस्मों के विकास में महत्वपूर्ण योगदान दिया है।
उत्तर प्रदेश के एक कृषक परिवार में जन्मे, डॉ. सिंह ने अपनी प्रारंभिक शिक्षा केन्द्रीय विद्यालय तथा स्नातक व स्नातकोत्तर की उच्च शिक्षा, कृषि में, प्रसिद्ध बनारस हिंदू विश्वविद्यालय (बीएचयू), वाराणसी से प्राप्त की। तदुपरांत डॉ. सिंह ने ऑस्ट्रेलिया के प्रतिष्ठित सिडनी विश्वविद्यालय से डॉक्टरेट की उपाधि प्राप्त की। उन्होंने 1983 में अपने पोस्ट-डॉक्टरेट के लिए अंतर्राष्ट्रीय मक्का एवं गेहूं सुधार केन्द्र (सीमिट) में शामिल होने के लिए मैक्सिको चले गए और अगले चार दशक सीमिट से जुड़े रहे। उन्होंने गेहूं की रतुवा रोगरोधी के जीन व उनकी किस्मों के विकास में अभूतपूर्व अनुसंधान किया। डॉ. सिंह अमेरिका की कई प्रतिष्ठित विज्ञान अकादमी तथा भारत की प्रतिष्ठित नेशनल एकेडमी ऑफ एग्रीकल्चरल साइंस (एनएएएस) के फेलो रहे हैं। पूर्व की यह उपलब्धि, डॉ. सिंह को भारत सरकार द्वारा प्रदान की जाने वाली प्रवासी भारतीय सम्मान 2021 से भी अलंकृत किया।
डॉ. लक्ष्मीकांत, निदेशक, विवेकानंद पर्वतीय कृषि अनुसंधान संस्थान (विपकृअनुसं), अल्मोड़ा ने डॉ. सिंह को प्रतिष्ठित पद्मश्री पुरस्कार के लिए घोषणा होने पर खुशी व्यक्त करते हुए कहा कि वर्ष 2010 में डॉ. सिंह के साथ सीमिट में काम करने का अवसर मिला जो अभी भी मेरे लिए प्रेरणा है।
उल्लेखनीय है कि भाकृअनुप-विपकृअनुसं, अल्मोड़ा की गेहूं की दो प्रजातियां; वी एल गेहूं 967 एवं वी एल गेहूं 2014 का विकास डॉ. सिंह के द्वारा विकसित जननद्रव्य से चिन्हित किया गया है।
(स्रोतः भाकृअनुप-विवेकानंद पर्वतीय कृषि अनुसंधान संस्थान, अल्मोड़ा)
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