भाकृअनुप-सीएसडबाल्यूआरआई अविकानगर ने अनुसूचित जनजाति उपयोजना के तहत भेड़पालन इकाई का वितरण तथा किसान-वैज्ञानिक संवाद का किया आयोजन

भाकृअनुप-सीएसडबाल्यूआरआई अविकानगर ने अनुसूचित जनजाति उपयोजना के तहत भेड़पालन इकाई का वितरण तथा किसान-वैज्ञानिक संवाद का किया आयोजन

10 मार्च, 2024, अविकानगर

भाकृअनुप-केन्द्रीय भेड़ एवं ऊन अनुसन्धान संस्थान (सीएसडब्ल्यूआरआई), अविकानगर की अनुसूचित जनजाति उपयोजना (ट्राइबल सब प्लान) के अंतर्गत डूंगरपुर जिला के दोवड़ा, सीमलवाड़ा, सागवाड़ा, आसपुर, झोथरी एवं सिदड़ी खैरवाड़ा ग्राम पंचायत के भेड़पालक आदिवासी लाभार्थि किसानो के लिए भेड़पालन इकाई का वितरण तथा उनके लिए किसान-वैज्ञानिक संगोष्ठी का आज आयोजन किया गयाl

मुख्य अतिथि, श्री चुन्नीलालजी गरासिया, सांसद, राज्यसभा ने कार्यक्रम की अध्यक्षता की। उन्होंने जिले के किसानो को संस्थान की उन्नत तकनिकीयों तथा भेड़-बकरी एवं खरगोश की विभिन्न नस्लों को अपनाकर आजीविका सृजन में सक्षम बनने का निवेदन किया। भारत सरकार द्वारा किसानों की आर्थिक तरक्की के लिए चलाई जा रही योजनाओं से लाभान्वित होते हुए अपने बच्चों के कौशल विकास बढ़ाने के लिए प्रेरित कियाl

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श्री उमेश डामोर, विधायक, आसपुर विधानसभा, श्रीमती गोदावरी देवी परमार, सरपंच सिदड़ी खैरवाड़ा पंचायत, डॉ. जी. गणेश सोनावणे, नोडल अधिकारी, टीएसपी तथा विभिन्न पंचायतों के जन प्रतिनिधि यहां विशिष्ट अतिथि के रूप में उपस्थित रहेl

भाकृअनुप-सीएसडबाल्यूआरआई अविकानगर ने अनुसूचित जनजाति उपयोजना के तहत भेड़पालन इकाई का वितरण तथा किसान-वैज्ञानिक संवाद का किया आयोजन

श्री डामोर ने आदिवासी किसानो को नई जेनरेशन के दैनिक आवश्यकता की पुर्ति हेतु उनके कौशल विकास आधारित प्रशिक्षण को आगे बढ़ाने का निवेदन किया। उन्होंने विभिन्न सरकार द्वारा जारी योजनाओं से जुड़कर अपने पैतृक कार्य को आगे बढ़ाने का आग्रह भी किया।

डॉ. अरुण कुमार तोमर, निदेशक (सीएसडब्ल्यूआरआई) ने उपस्थित आदिवासी किसानों से क़ृषि व पशुपालन के माध्यम से विभिन्न उत्पादों के निर्माण के साथ अपनी आजीविका सृजन द्वारा आत्मनिर्भर बन कर राष्ट्र के विकास में सहयोग करने का आग्रह किया। 

अतिथियों द्वारा 50 आदिवासी महिला व पुरुष किसानों को 106 नर और मादा भेड़ के अलवा रोजमर्रा का समान प्रदान किया गया। कार्यक्रम में 200 से अधिक आदिवासी पुरुष एवं महिला किसानों के साथ-साथ युवाओं ने शिरकत की।

(स्रोतः भाकृअनुप-केन्द्रीय भेड़ एवं ऊन अनुसन्धान संस्थान, अविकानगर)

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