2 जून, 2025, पूर्वी चम्पारण
केन्द्रीय कृषि मंत्री, श्री शिवराज सिंह चौहान ने पिपराकोठी कृषि विज्ञान केन्द्र में अपने संबोधन में कहा कि विकसित कृषि संकल्प अभियान प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी के नेतृत्व में “विकसित भारत” के संकल्प की एक सशक्त कड़ी है, जिसका उद्देश्य किसानों को आत्मनिर्भर बनाना, आधुनिक तकनीकों से जोड़ना और कृषि को लाभकारी पेशा बनाना है। उन्होंने कहा कि वर्तमान चुनौतियों को देखते हुए कृषि में विविधीकरण को बढ़ावा देने वाली तकनीकी प्राकृतिक खेती, कृषि में ड्रोन का उपयोग, पशुपालन, डेयरी एवं मत्स्य पालन इत्यादि, प्रमुख विषयों पर कृषकों को जानकारी देने के लिए यह अभियान बहुत उपयोगी साबित होगा। इस अभियान के तहत इन सभी विषयों पर किसानों के साथ चर्चा होगी और उनकी जिज्ञासाओं का उपयुक्त समाधान भी संबंधित विषय विशेषज्ञों द्वारा किया जायेगा। इस अभियान का त्वरित लाभ किसानों को आगामी खरीफ की फसलों पर होगा।
श्री चौहान ने कहा कि सभी संबंधित हितधारकों के साथ मिलकर क्रियान्वित किया जाने वाला यह अभियान विकसित भारत के लिए चलाए जा रहे "लैब टू लैंड " कार्यक्रम में सार्थक योगदान देगा तथा उसको सशक्त बनाएगा। अपने वक्तव्य में उन्होंने कहा की हमारा मूल मंत्र है — “एक देश – एक कृषि – एक टीम”। जहाँ कृषि वैज्ञानिक, अधिकारी और किसान भाई-बहन एक साथ मिलकर भारत को “विकसित भारत – 2047” की ओर ले जाएंगे।
केन्द्रीय कृषि मंत्री ने बताया कि आदरणीय प्रधानमंत्री जी के नेतृत्व में हम किसानो को वैज्ञानिको से जोड़ रहे हैं हमारे वैज्ञानिक प्रयोगशाला से निकलकर गाँव में किसानों के बीच में जा रहे हैं और साथ में अब खेतों में किसानों के साथ बैठकर उनकी समस्या के समाधान के लिए जी जान एक कर देंगे। माननीय कृषि मंत्री ने कहा, “मुझे ख़ुशी हुई कि चम्पारण का मर्चा चूड़ा की सुगंध अद्भुत है। इसके उत्पादन के लिए बड़े स्तर पर हमारे वैज्ञानिक अनुसन्धान करेंगे। उन्होंने कहा कि बिहार में मक्का का उत्पादन तेज़ी से बढ़ रहा और मक्के के दाम भी अच्छे मिल रहे हैं। यह सब प्रधानमंत्री जी की नीति का परिणाम है कि मक्का का उपयोग अभी एथेनोल बनाने में भी हो रहा है। उन्होंने यह भी बताया कि बिहार की लीची का नाम लेते ही मुँह में पानी आ जाता है लेकिन किसानों ने बताया कि लीची 48 घंटे में ख़राब हो जाती है इसलिए कम दाम पर बेचना पड़ता है। मैंने वैज्ञानिकों को कहा है कि लीची अधिक समय तक ख़राब न हो साथ ही आई ए एफ फंड का उपयोग कर कोल्ड स्टोरेज बनाया जाए, जिससे किसानों को लीची रखने की सुविधा मिल सके। चंपारण के किसानों से वार्तालाप के दौरान यह पता चला कि शिमला मिर्च की खेती कर छह लाख रुपये तक मुनाफ़ा कमाया जा सकता है। चंपारण की बतौर उनके शब्दों में “मेरा परम सौभाग्य है की आज मुझे इस पवित्र भूमि चम्पारण पर आने का अवसर प्राप्त हुआ है | यह वही ऐतिहासिक भूमि है जहाँ राष्ट्रपिता महात्मा गाँधी ने किसानों पर हो रहे अत्याचारों से उन्हें बचाया था” |
आज बिहार के 432 तथा झारखंड के 235 गाँवों में अभियान संचालित किया गया। इसमें 1259 वैज्ञानिकों एवं कृषि विशेषज्ञों के कुल 161 दलों ने भाग लिया। वैज्ञानिकों ने किसानों से सीधा संवाद स्थापित कर उन्हें खेत की मिट्टी की गुणवत्ता के आधार पर उर्वरक प्रबंधन, जैविक खेती की विधियाँ, वर्षा आधारित खेती के उपाय, तथा कृषि यंत्रों के बेहतर उपयोग की जानकारी दी।
इस पांचवां दिन के अभियान से 61495 किसानों को लाभ हुआ। किसानों को विशेष रूप से कृषि यंत्रीकरण से उत्पादन लागत में कमी के उपाय, कृषक उत्पादक संगठन, मिट्टी स्वास्थ्य कार्ड के आधार पर पोषक तत्वों का संतुलित प्रयोग के माध्यम से सामूहिक विपणन और मूल्य संवर्धन क्षेत्रों के बारे में विस्तार से बताया गया।
इस अवसर पर मोतिहारी सांसद सह पूर्व केन्द्रीय कृषि मंत्री, श्री राधा मोहन सिंह जी ने भी किसानों को संबोधित करते हुए कहा कि यह अभियान किसानों के जीवन में सकारात्मक बदलाव लाने की दिशा में एक निर्णायक कदम है। उन्होंने क्षेत्र के किसानों से अपील की कि वे इस अभियान का भरपूर लाभ उठाएं और आधुनिक कृषि नवाचारों को अपनाकर अपनी आय को दोगुना करें।
इस कार्यक्रम को केन्द्रीय जल शक्ति मंत्री, श्री राज भूषण चौधरी, बिहार सरकार कस गन्ना उद्योग मंत्री, श्री कृष्णनंदन पासवान, माननीय कुलपति, डॉ .राजेंद्र प्रसाद केंद्रीय कृषि विश्वविद्यालय, डॉ पुन्यब्रत सुबिमलेंदु पाण्डेय, स्थानीय विधायक गण, निदेशक अटारी, डॉ. अंजनी कुमार, सचिव कृषि विभाग, बिहार सरकार, श्री संजय कुमार अग्रवाल तथा अन्य पदाधिकारियों भी इस कार्यक्रम में शामिल हुए।
(स्रोतः भाकृअनुप-कृषि प्रौद्योगिकी अनुप्रयोग अनुसंधान संस्थान, पटना, जोन- IV)
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