उत्तर-पूर्वी पर्वतीय क्षेत्र के लिए भाकृअनुप अनुसंधान परिसर, मेघालय द्वारा 4 – 6 मार्च, 2016 को इम्फाल, मणिपुर में ‘ग्लोबल जलवायु अवरोध के युग में खाद्य एवं पोषणिक सुरक्षा के लिए कृषि बागवानी एवं सम्बद्ध अनुसंधान के एकीकरण’ पर राष्ट्रीय सेमिनार आयोजित किया गया।
श्री ओ. इबोबी सिंह, मणिपुर के माननीय मुख्यमंत्री ने दिनांक 4 मार्च, 2016 को सेमिनार का उद्घाटन करते हुए कहा कि किसानों द्वारा अपने कृषि तथा बागवानी उत्पादों की उत्पादकता में बढ़ोतरी करने की जरूरत है। इन्होंने वैज्ञानिकों से राज्य में उत्पादकता को अधिकतम करने के तरीके तलाशने का आह्वान किया। माननीय मुख्यमंत्री ने इस बात पर बल दिया कि संबंधित विभाग, अनुसंधान संस्थान, केन्द्रीय कृषि विश्वविद्यालय और एजेन्सियों द्वारा राज्य में कृषि की सर्वाधिक वैज्ञानिक और टिकाऊ विधियों की ओर विशेष ध्यान दिया जाना चाहिए।
अपने अध्यक्षीय संबोधन में डॉ. एस.वी. नचान, निदेशक, उत्तर-पूर्वी पर्वतीय क्षेत्र के लिए भाकृअनुप अनुसंधान परिसर, उमियाम ने कृषि उपज के टिकाऊपन में मानव संसाधन सहित हिमालयन इकोसिस्टम के विभिन्न संसाधनों के एकीकरण की महत्ता बताई। इन्होंने स्थान विशिष्ट प्रौद्योगिकियां विकसित करने के महत्व पर बल दिया।
उद्घाटन समारोह के दौरान, चावल की एक उच्च उपजशील किस्म आरसी मनिफो-13 को मुख्य अतिथि ने जारी कियाजिसे उत्तर-पूर्वी पर्वतीय क्षेत्र के लिए भाकृअनुप अनुसंधान परिसर, मणिपुर द्वारा विकसित किया गया है।
इससे पूर्व, डॉ. एन. प्रकाश, संयुक्त निदेशक, उत्तर-पूर्वी पर्वतीय क्षेत्र के लिए भाकृअनुप अनुसंधान परिसर, मणिपुर ने स्वागत भाषण दिया।
डॉ. एच. रहमान, उपमहानिदेशक (पशु विज्ञान), भाकृअनुप दिनांक 6 मार्च, 2016 को आयोजित समापन समारोह के मुख्य अतिथि थे। डॉ. रहमान ने कहा कि सेमिनार में विभिन्न सत्रों में की गईं सिफारिशें उत्तर-पूर्वी क्षेत्र की कृषि समस्याओं को सुलझाने में एक बुनियाद तथा रोडमैप बनेंगी।
डॉ. के.के. कटोच, कुलपति, सीएसके हिमाचल प्रदेश कृषि विश्वविद्यालय, पालमपुर तथा समारोह के विशिष्ट अतिथि ने संरक्षित कृषि को अपनाकर प्राकृतिक संसाधनों का संरक्षण करने की महत्ता बताई।
डॉ. एस.के. मित्रा, अध्यक्ष, उष्णकटिबंधीय तथा उपोष्णकटिबंधीय फल, इंटरनेशनल सोसायटी ऑफ हार्टिकल्चरल साइन्सिज, बेल्जियम तथा समारोह के विशिष्ट अतिथि ने उत्तर-पूर्वी क्षेत्र में खाद्यान्न कटाई उपरांत नुकसान कम करने की जरूरत बताई।
राष्ट्रीय सेमिनार में एक प्रदर्शनी व किसान मेले का आयोजन भी किया गया जिसमें 500 से भी अधिक किसानों ने भाग लिया।इस सेमिनार में देश के विभिन्न भागों से विभिन्न संगठनों के 400 से भी अधिक प्रतिनिधियों ने भाग लिया और अपने अनुसंधान निष्कर्षों को प्रस्तुत किया।
(स्रोत : उत्तर-पूर्वी पर्वतीय क्षेत्र के लिए भाकृअनुप अनुसंधान परिसर, इम्फाल, मणिपुर)
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