जलजीव पालन में जीनोमिक्सअ पर दूसरी अंतर्राष्ट्री य संगोष्ठीस (ISGA-II)

जलजीव पालन में जीनोमिक्सअ पर दूसरी अंतर्राष्ट्री य संगोष्ठीस (ISGA-II)

भाकृअनुप – केन्‍द्रीय मीठा जलजीव पालन संस्‍थान (CIFA), भुबनेश्वर द्वारा जलजीव पालन में जीनोमिक्‍स पर दूसरी अंतर्राष्‍ट्रीय संगोष्‍ठी (ISGA-II) का आयोजन दिनांक 28 – 30 जनवरी, 2016 को भुबनेश्वर में किया गया। इस संगोष्‍ठी का आयोजन एसोसिएशन ऑफ एक्‍वाकल्‍चरिस्‍ट्स, भुबनेश्वर तथा एशियन फिशरीज सोसायटी, भारतीय शाखा, मंगलौर के साथ मिलकर किया गया।

2nd international Symposium on Genomics in Aquaculture (ISGA-II) 2nd international Symposium on Genomics in Aquaculture (ISGA-II)

डॉ. जे.के. जेना, उपमहानिदेशक (मात्स्यिकी विज्ञान), भाकृअनुप एवं अध्‍यक्ष, एएफएसआईबी ने मुख्‍य अतिथि के रूप में अपने संभाषण में वैज्ञानिक समुदाय और हितधारकों के बीच सार्थक वैज्ञानिक विचार-विमर्श और पारस्‍परिकता के लिए एक साझा मंच उपलब्‍ध कराने की आवश्‍यकता बताई। डॉ. जेना ने देश में जलजीव पालन जीनोमिक्‍स अनुसंधान की योजना तथा क्रियान्‍वयन के लिए समुचित सिफारिशें करने पर बल दिया।

डॉ. पी. जयशंकर, निदेशक ने बताया कि भाकृअनुप – केन्‍द्रीय मीठा जलजीव पालन संस्‍थान  चयनित नस्‍ल की मत्‍स्‍य को उत्‍पन्‍न करने और जीनोमिक संसाधनों को सृजित करने की दिशा में अनुसंधान कार्य में संलग्‍न है।

प्रो. पी.पी. माथुर, कुलपति, केआईआईटी विश्‍वविद्यालय, भुबनेश्वर एवं समापन समारोह के अध्‍यक्ष ने बताया कि किस प्रकार मत्‍स्‍य जीनोमिक्‍स,  मानव तथा अन्‍य पशु जीनोमिक परियोजनाओं की अनुसंधान प्रगतिसे लाभान्वित हो सकता है।

विदेशों से प्रतिष्ठित वैज्ञानिकों; भाकृअनुप के मात्स्यिकी अनुसंधान संस्‍थानों के निदेशकों, वैज्ञानिकों तथा छात्रों; राष्‍ट्रीय मात्स्यिकी विकास बोर्ड के प्रतिनिधियों; जैव प्रौद्योगिकी विभाग के वैज्ञानिकों; तथा प्रसिद्ध सेवानिवृत्‍त मात्स्यिकी वैज्ञानिकों ने इस संगोष्‍ठी में भाग लिया।

संगोष्‍ठी में निम्‍नलिखित सिफारिशें की गईं :  

 

  • सम्‍पूर्ण जीनोम अनुक्रमण परियोजना को प्रारंभ करने से पहले उद्देश्‍यों, गुणों तथा प्रजातियों का प्राथमिकीकरण;
  • चयन की सटीकता को बढ़ाने तथा जीनोमिक चयन को सहायता प्रदान करने के लिए फिनोमिक्‍स पर विशेष बल देने के लिए आनुवंशिक मार्करों द्वारा उत्‍कृष्‍ट चयनित प्रजनन कार्यक्रम को सहयोग दिया जाए;
  • जैव सूचना प्रणाली विशेषज्ञों के पूल में वृद्धि करने की जरूरत है और जैव सूचनाप्रणाली पर आद्यतन प्रशिक्षण कार्यक्रमों का आयोजन संस्‍थान में किया जाना चाहिए;
  • प्रकाशन से पहले संगणात्‍मक जीवविज्ञान कार्य और इन सिलिकोकार्य के प्रमाणन के लिए बुनियादी सुविधा विकास;
  • संगोष्‍ठी में जीनोमिक्‍स पर नवोन्‍मेषी तथा नवीन विचारों के लिए सर्वश्रेष्‍ठ प्रारंभिक कैरियर अनुसंधानकर्मी प्रतिस्‍पर्धा;
  • गैर उन्‍नत में से उन्‍नत किस्‍मों की पहचान के लिए ऑन फार्म आमाप (BIOCHEMICAL)  प्रणाली का विकास;
  • अनुसंधान समस्‍या के समाधान हेतु फार्म खाद्य मछली के साथ-साथ मॉडल मछली के रूप में जेब्रा फिश पर कार्य;
  • पीपीपी मोड में उद्योगों के साथ सहयोग करके पराजीनियों के माध्‍यम से दवा अथवा विटामिन के उत्‍पादन हेतु डिजाइनर मछली का विकास;
  • जीनोमिक्‍स के क्षेत्र में कोर समूह विकसित करने हेतु अंतर्राष्‍ट्रीय एवं राष्‍ट्रीय संस्‍थानों के साथ नेटवर्किंग;
  • अंतिम प्रयोक्‍ताओं (किसानों, हितधारकों/उद्योगों) के लिए मूलभूत अनुसंधान और प्रौद्योगिकी विकास का कार्य साथ-साथ किया जाना चाहिए;
  • जीनोमिक युग में आईपीआर को भारत में मजबूती प्रदान की जाए।

  

(स्रोत: भाकृअनुप – केन्‍द्रीय मीठा जलजीव पालन संस्‍थान (CIFA), भुबनेश्वर)

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