भाकृअनुप – राष्ट्रीय समेकित नाशीजीव प्रबंध केन्द्र ( NCIPM), नई दिल्ली द्वारा ‘पादप संरक्षण में स्वदेशी तकनीकी ज्ञान की संदर्भगत प्रासंगिकता, पर दो दिवसीय राष्ट्रीय सेमिनार का आयोजन दिनांक 28 – 29 अक्तूबर, 2015 को भाकृअनुप – भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान (IARI), नई दिल्ली के साथ मिलकर नई दिल्ली में किया गया।
डॉ. एस. अय्यप्पन, सचिव, डेयर एवं महानिदेशक, भाकृअनुप ने इस सेमिनार का उद्घाटन करते हुए आईटीके की निगरानी के लिए अलग से एक मंच उपलब्ध कराने की प्रशंसा की। यहां भाकृअनुप नेटवर्क प्रणाली के माध्यम से खेत में तथा साथ ही भण्डारण के तौर पर पादप संरक्षण के लिए वैज्ञानिक तरीके से स्वदेशी तकनीकी ज्ञान का प्रमाणन किया जा सकता है। इन्होंने ग्रामीण लोकगीतों और मुहावरों व कहावतों में छिपे हुए अर्थ के महत्व की ओर भी संकेत किया।
डॉ. जे.एस. सन्धू, उपमहानिदेशक (फसल विज्ञान), भाकृअनुप ने अपने अध्यक्षीय संबोधन में स्वदेशी तकनीकी ज्ञान के प्रमाणन हेतु बहुविषयी परियोजनाओं को बनाते समय प्रमुख क्षेत्रों को प्राथमिकता देने का अनुरोध किया।
डॉ. ए.के. सिंह, उपमहानिदेशक (कृषि विस्तार), भाकृअनुप ने इन गतिविधियों के हब के रूप में तथा कृषि विज्ञान केन्द्रों, अटारी तथा अन्य संगठनों के साथ समन्वय स्थापित करने के लिए एक नोडल एजेन्सी बनाने का अनुरोध किया।
डॉ. त्रिलोचन महापात्र, निदेशक, भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान, नई दिल्ली ने अनुप्रयोग करने से पहले प्रमाणन की जरूरत बताई।
डॉ. जे.पी. शर्मा, संयुक्त निदेशक (प्रसार), भाकृअनुप – भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान, नई दिल्ली ने ज्ञान की स्वर्ण खान के रूप में भारत के प्राचीन धार्मिक तथा धर्म-निरपेक्ष साहित्य की महत्ता बताई।
इससे पहले, डॉ. सी. चट्टोपाध्याय, निदेशक, भाकृअनुप – राष्ट्रीय समेकित नाशीजीव प्रबंध केन्द्र, नई दिल्ली ने सभी अतिथियों का स्वागत किया।
डॉ. सुमित्रा अरोड़ा, प्रधान वैज्ञानिक, भाकृअनुप – राष्ट्रीय समेकित नाशीजीव प्रबंध केन्द्र, नई दिल्ली ने धन्यवाद ज्ञापन प्रस्तुत किया।
इस सेमिनार में स्वदेशी तकनीकी ज्ञान से सराबोर किसानों के अलावा देशभर से इस क्षेत्र के वरिष्ठ एवं युवा पेशेवरों ने बड़ी संख्या में भाग लिया।
(स्रोत : भाकृअनुप – राष्ट्रीय समेकित नाशीजीव प्रबंध केन्द्र ( NCIPM), नई दिल्ली )
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