भाकृअनुप - कृषि प्रौद्योगिकी अनुप्रयोग अनुसंधान संस्थान, जोधपुर द्वारा कृषि विज्ञान केन्द्रों के नोडल अधिकारियों के लिए तिलहन और तेलताड़ (एनएमओओपी) राष्ट्रीय मिशन के तहत दो दिवसीय (29-30 जुलाई, 2016) प्रशिक्षण कार्यक्रम का आयोजन किया गया।
डॉ. आई.वाई.एल.एन. मूर्ति, निदेशक, आईसीएआर- आईआईओआर, हैदराबाद व कार्यक्रम के मुख्य अतिथि ने कहा कि कृषि अनुसंधान के क्षेत्र में राष्ट्रीय कृषि अनुसंधान प्रणाली सबसे बड़ी प्रणाली है तथा राज्य कृषि विश्वविद्यालयों और आईसीएआर के बीच के अंतर को कम करने की आवश्यकता है।
डॉ एस.के. सिंह, निदेशक, अटारी, जोधपुर ने समूह (क्लस्टर) प्रदर्शन कार्यक्रम के लिए कृषि विज्ञान केन्द्र के साथ तिलहन से संबंधित आईसीएआर के प्रमुख अनुसंधान संस्थानों की संयुक्त भागीदारी पर बल दिया। उन्होंने जोर देकर कहा कि कृषि विज्ञान केन्द्र भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद द्वारा विकसित प्रौद्योगिकियों को किसानों के खेतों तक पहुंचाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। डॉ. सिंह ने कहा कि भारतीय कृषक समुदाय में 80 प्रतिशत छोटे और सीमांत किसान हैं। किसानों के लाभ के लिए इस तरह के राष्ट्रीय स्तर के कार्यक्रम क्लस्टर मोड में लागू किये जा रहे हैं। उन्होंने यह भी कहा कि कृषि के लिए बीज एक महत्वपूर्ण आदान है जिसके लिए उन्होंने केवीके से गुणवत्तापूर्ण बीजों के उत्पादन के लिए आग्रह किया। इसमें किसानों के साथ भागीदारी मोड तथा साधारण बीजों को उन्नत किस्मों व बीजों से प्रतिस्थापित करने के अनुपात को बढ़ाने पर जोर दिया।
इस प्रशिक्षण कार्यक्रम का उद्देश्य तिलहनी फसलों की उत्पादकता एवं उत्पादन को बढ़ावा देना था। केवीके के नोडल अधिकारी राजस्थान और गुजरात में क्लस्टर मोड में प्रदर्शित हो रहे प्रमुख तिलहनी फसलों की खेती से संबंधित अधिकाधिक जानकारियां प्राप्त करेंगे।
इस प्रशिक्षण कार्यक्रम में राजस्थान और गुजरात से 20 केवीके नोडल अधिकारियों ने भाग लिया।
(स्रोतः भाकृअनुप – अटारी, जोधपुर)
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