भाकृअनुप-सिफरी ने किया अगरतला में मत्स्य उत्पादन सुधार कार्यशाला का आयोजन

भाकृअनुप-सिफरी ने किया अगरतला में मत्स्य उत्पादन सुधार कार्यशाला का आयोजन

भाकृअनुप-केंद्रीय अंतःस्थलीय मात्स्यिकी अनुसंधान संस्थान, बैरकपुर, कोलकाता ने 4 से 5 जनवरी, 2019 तक त्रिपुरा के अगरतला में “ओपन-वॉटर फिशरीज के प्रबंधन” पर एक परस्पर संवादात्मक कार्यशाला का आयोजन किया। कार्यशाला का आयोजन मत्स्य निदेशालय, मत्स्य विभाग, त्रिपुरा सरकार के सहयोग से किया गया था।

श्री नरेंद्र चंद्र देबबर्मा, मत्स्य पालन मंत्री, त्रिपुरा सरकार ने मुख्य अतिथि के तौर पर अपने उद्घाटन भाषण में, राज्य में मछली पालन क्षेत्र के लाभकारी होने में त्रिपुरा के नागरिकों के मछली खाने की आदत को रेखांकित किया। उन्होंने बड़े पैमाने पर आम लोगों को लाभान्वित करने के लिए प्राकृतिक जल निकायों से मछली उत्पादन में सुधार के लिए सिफरी के हस्तक्षेप की भी मांग की।

 Workshop to Improve Fish Production organised by ICAR-CIFRI at Agartala  Workshop to Improve Fish Production organised by ICAR-CIFRI at Agartala

श्री जी. आर. दास, टी सी एस, मत्स्य पालन निदेशक, त्रिपुरा सरकार और कार्यशाला के संयुक्त संयोजक, ने अपने स्वागत भाषण में, त्रिपुरा के धान के खेतों में अत्यधिक पौष्टिक और स्वादिष्ट मत्स्य की अनुपलब्धता के बारे में भाकृअनुप-सिफरी के वैज्ञानिकों के साथ अपनी चिंताओं को व्यक्त किया।

डॉ. बी. के. दास, निदेशक, भाकृअनुप-सिफरी, बैरकपुर और कार्यशाला के संयोजक ने मत्स्य पालन विभाग, त्रिपुरा सरकार द्वारा स्थानीय वरीयता वाले विविध मछली प्रजातियों के बीज उत्पादन के ऊपर ध्यान देने पर जोर दिया। उन्होंने राज्य में जल मत्स्यपालन के प्रबंधन के लिए प्रौद्योगिकी बैकस्टॉपिंग के संदर्भ में हर आवश्यक सहायता का आश्वासन भी दिया।

कार्यशाला का मुख्य उद्देश्य त्रिपुरा में मत्स्य संस्कृति में सुधार के लिए विभिन्न विशेषज्ञों के विचारों का आदान-प्रदान और उन पर चर्चा के साथ सलाह देना था। कार्यशाला के दौरान मुख्य ध्यान सरल और कम लागत वाली प्रौद्योगिकियों (जैसे पेन और केज मत्स्यपालन) और दिशा-निर्देशों (मछली भंडार में वृद्धि) पर था, जो मछली उत्पादन में सुधार के लिए डंबूर जलाशय, बड़ी झीलों, बैराज, दलदली क्षेत्रों और त्रिपुरा की नदियों में लोकप्रिय हो।

श्री रामेश्वर दास, आई एफ एस (IFS), सचिव (मत्स्यपालन), त्रिपुरा सरकार ने परस्पर संवादात्मक-सह-पूर्ण सत्र के दौरान वैज्ञानिकों और विभागीय अधिकारियों से त्रिपुरा में केज (मछली पालने का पिंजरा) जलीय कृषि अभ्यास बनाने के लिए गंभीरता से सोचने का आग्रह किया, जो देश के अन्य राज्यों में प्रचलित है।

भाकृअनुप संस्थानों के वैज्ञानिकों तथा मत्स्य महाविद्यालय और राज्य सरकार के अधिकारियों ने कार्यशाला में भाग लिया।

(स्रोत: भाकृअनुप-केंद्रीय अंतःस्थलीय मात्स्यिकी अनुसंधान संस्थान, बैरकपुर, कोलकाता)

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