21 जनवरी, 2019
खाद्य और कृषि संगठन ने 21 से 25 जनवरी – 2019 तक अपने एक नोडल केंद्र भाकृअनुप-केंद्रीय मात्स्यिकी प्रौद्योगिकी संस्थान, कोचीन में प्रयोगशालाओं और रोगाणुरोधी प्रतिरोध निगरानी प्रणाली के लिए एफएओ आकलन उपकरण (FAO-ATLASS) पर ‘मत्स्य और पशु रोगाणुरोधी प्रतिरोध (INFAAR) के लिए भारतीय नेटवर्क के प्रधान जाँचकर्ताओं हेतु मूल्यांकनकर्ता प्रशिक्षण’ का आयोजन किया।
डॉ. जे. के. जेना, उप महानिदेशक (मात्स्यिकी) ने मुख्य अतिथि के तौर पर 21 जनवरी, 2019 को अपने उद्घाटन भाषण में कहा कि AMR प्रबंधन की कुंजी के रूप में मत्स्य और पशु क्षेत्रों में बीमारियों की निगरानी की आवश्यकता है। उन्होंने पिछले दो दशकों से बीमारियों के कारण भारत में प्रमुख निर्यात वस्तु के रूप में पहचाने जाने वाले झींगा के उत्पादन के बुरी तरह प्रभावित होने के तथ्यों को भी साझा किया।
डॉ. सी. एन. रविशंकर, निदेशक, भाकृअनुप-सीआईएफटी ने अपने अध्यक्षीय भाषण में, त्वरित निगरानी और मत्स्य पालन और पशु क्षेत्रों में रोगाणुरोधी प्रतिरोध (एंटीमाइक्रोबियल) के मूल्यांकन की आवश्यकता को रेखांकित किया। उन्होंने कालानुक्रमिक परिप्रेक्ष्य में मत्स्य विकास के लिए संस्थान के योगदान पर लंबाई के बारे में भी चर्चा की।
प्रशिक्षण कार्यक्रम ने मत्स्य और पशु विज्ञान के विभिन्न भाकृअनुप अनुसंधान संस्थानों के INFAAR परियोजना से जुड़े लगभग 20 परियोजना जाँचकर्ताओं द्वारा भागीदारी दर्ज की।
(स्रोत: भाकृअनुप-केंद्रीय मात्स्यिकी प्रौद्योगिकी संस्थान, कोचीन)
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