भाकृअनुप-केमाप्रौसं द्वारा ‘भारत की अर्थव्‍यवस्‍था में मात्स्यिकी के योगदान’ विषय पर आयोजित राष्ट्रीय वैज्ञानिक संगोष्ठी का हुआ समापन

भाकृअनुप-केमाप्रौसं द्वारा ‘भारत की अर्थव्‍यवस्‍था में मात्स्यिकी के योगदान’ विषय पर आयोजित राष्ट्रीय वैज्ञानिक संगोष्ठी का हुआ समापन

11 जुलाई, 2019, कोचिन

भाकृअनुप-केंद्रीय मात्स्यिकी प्रौद्योगिकी संस्थान, कोचिन द्वारा ‘भारत की अर्थव्‍यवस्‍था में मात्स्यिकी के योगदान’ विषय पर हिंदी में आयोजित राष्ट्रीय वैज्ञानिक संगोष्ठी आज संपन्न हुआ।

डॉ. रविशंकर सी. एन., निदेशक ने अपने अध्‍यक्षीय संबोधन में संस्‍थान और राजभाषा कार्यान्‍वयन की उपलब्धियों पर प्रकाश डाला।

डॉ. रविशंकर सी. एन., निदेशक ने अपने अध्‍यक्षीय संबोधन में संस्‍थान और राजभाषा कार्यान्‍वयन

इस अवसर पर निदेशक ने सहाभगियों को शुभकामनाओं के साथ-साथ प्रमाण पत्र भी वितरित किया।

डॉ. टी. के. श्रीनिवास गोपाल, पूर्व निदेशक, भाकृअनुप-केमाप्रौसं, कोचिन ने बतौर मुख्य अतिथि अर्थव्‍यवस्‍था और रोजगार प्रजनन में मात्स्यिकी के योगदान की भूमिका को प्रस्‍तुत किया। साथ ही, हिंदी भाषा में राष्ट्रीय वैज्ञानिक संगोष्ठी के आयोजन के लिए संस्‍थान के निदेशक एवं उप निदेशक (राजभाषा) को बधाई दी।

इस अवसर पर प्रकाशित सारांश पुस्तिका का विमोचन मुख्‍य अतिथि द्वारा किया गया।

डॉ. जे. रेणुका, उप निदेशक (राजभाषा) ने स्वागत संबोधन में कहा कि वैज्ञानिक उपलब्धियों को लक्ष्‍य समूह तक पहुँचाने में भाषाओं का अत्‍यधिक महत्त्व होता है। 

इस संगोष्‍ठी का उद्देश्य वैज्ञानिक विषयों को हिंदी में प्रस्‍तुत करना था।

(स्त्रोत: भाकृअनुप-केंद्रीय मात्स्यिकी प्रौद्योगिकी संस्थान, कोचिन)

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