श्री नरेंद्र सिंह तोमर, केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री ने आज सरदार वल्लभभाई पटेल कृषि एवं प्रद्योगिकी विश्वविद्य़ालय, मेरठ के अधीन संचालित कृषि विज्ञान केंद्र, मुजफ्फरनगर-द्वितीय एवं शामली के प्रशासनीक भवन का वर्चुअल लोकार्पण कृषि भवन, नई दिल्ली से किया।
मुख्य अतिथि श्री तोमर ने कहा कि वर्तमान परिवेश में हमारे प्रधानमंत्री श्री मोदी जहां एक ओर देश के सर्वांगीण विकास की चिंता कर रहे हैं, वहीं कृषि के क्षेत्र को उन्नत क्षेत्र में बदलने के लिए पूरी तरह प्रयत्नशील है। मोदी जी के नेतृत्व में गत सात वर्षों में अनेक योजनाओं का सृजन किया गया है, फंडिंग बढ़ाई गई है। किसान तकनीक से जुड़ेए महंगी फसलों की ओर आकर्षित हो, फसल विविधीकरण अपनाएं दलहन. तिलहन व बागवानी फसलों की ओर उनका ध्यान रहेए वे सूक्ष्म सिंचाई की ओर जाएं और देश की आवश्यकता में अपना योगदान दें, इस दृष्टि से केंद्र सरकार ने जो योजनाएं बनाई उनका क्रियान्वयन अच्छे से हो रहा है। उन्होंने प्रसन्नता जताई कि उ प्र. के मुख्यमंत्री व कृषि मंत्री सहित पूरी टीम इन योजनाओं पर बेहतर अमल कर रहे हैं और आज उ.प्र. की बेहतर स्थिति को देखकर प्रसन्नता होती है। राज्य में केवीके का पूरा उपयोग करते हुए सहयोग दिया गया है। कृषि अनुसंधान नीचे तक पहुंचाने, अच्छी किस्मों के बीज व आदान किसानों को समय पर उपलब्ध कराने, उत्पादन व उत्पादकता बढ़ाने व बुंदेलखंड सहित वर्षा आधारित क्षेत्रों को भी अच्छी स्थिति में बदलने में उ.प्र. सरकार ने बहुत सफलता पाई है।
श्री तोमर ने कहा कि कृषि अर्थव्यवस्था की रीढ़ के समान है। इसे मजबूत करना हम सबका धर्म व कर्म है। प्रधानमंत्री द्वारा किसानों की आय दोगुनी करने के आह्वान पर सबके सहयोग से इसके सद्परिणाम सामने आ रहे है। इस संबंध में उन्होंने श्रीनगर, कश्मीर में अपने प्रवास के दौरान केसर उत्पादक किसान द्वारा कही गई इस बात का उल्लेख किया कि वहां केंद्र सरकार द्वारा केसर पार्क विकसित किए जाने के कारण उन्हें केसर के एक लाख रुपये प्रति किलो के बजाय दो लाख रुण् प्रति किलो भाव मिल रहे हैं। कुल मिलाकरए केंद्र व राज्यों के सद्प्रयासों से अच्छे परिणाम सामने आने लगे हैं। श्री तोमर ने कहा कि किसानों की आय बढ़ाने के विचार को केंद्र में रखकर योजनाओं-कार्यक्रमों की रचना करना चाहिए। इस संबंध में उन्होंनें प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि-पीएम किसान योजना का जिक्र किया, जिसके तहत गत एक जनवरी को प्रधानमंत्री श्री मोदी द्वारा दसवीं किस्त हस्तांतरित करने सहित अभी तक कुल 1.80 लाख करोड़ रुण् से ज्यादा राशि केंद्र सरकार से किसानों के पास पहुंच चुकी हैए जिसका फायदा किसान व किसानी को प्राप्त हो रहा है। एक लाख करोड़ रू का कृषि इंफ्रास्ट्रक्चर फंडए किसान क्रेडिट कार्ड (केसीसी) जैसी ऐसी कई अनेक योजनाएं है।
केंद्रीय मंत्री ने प्रसन्नता जताई कि सभी योजनाओं का लाभ अन्य राज्यों के साथ ही बड़े पैमाने पर उ.प्र. को मिल रहा है। उन्होंने कहा कि पश्चिमी उ. प्र. का यह क्षेत्र गन्ना उत्पादक है जहां एक समय था कि किसान गन्ना तो उगाता था लेकिन भुगतान नहीं होता था, किंतु अब भुगतान के अधिकांश प्रकरण निपटाने में राज्य सरकार ने अच्छी भूमिका का निर्वहन किया है। चीनी की रिकवरी भी श्रेष्ठ हैए जिसका लाभ किसानों को मिल रहा है। पूरे उ.प्र. में सरकारी खरीद के मामले में पहले दुरावस्था थी, कांटे लग जाएं इसके लिए आंदोलन ही होता रहता था, पहले कहां खरीद होती थी, कहीं भी किसानों या राजनीतिक दलों को दिखाई नहीं देता था लेकिन अब उण्प्रण् में किसानों से सरकारी खरीद का भी आंकड़ा बढ़ा है। दलहन व तिलहन की खरीद भी बढ़ाई गई है, जिसका फायदा किसानों की आमदनी की दृष्टि से हो रहा है।
उन्होंने प्रसन्नता व्यक्त की कि उ. प्र. को अग्रणी राज्य बनाने में प्रधानमंत्री श्री मोदी जी का विजन व उनका दृढ़ संकल्पए केंद्र सरकार द्वारा योजनाओं की स्वीकृति व मुख्यमंत्री श्री योगी द्वारा उन सारी योजनाओं का क्रियान्वयन आज उ. प्र. के सारे परिदृश्य को बदल रहा है। प्रधानमंत्री जी द्वारा लगभग महीने भर पहले ही जेवर में एशिया के सबसे बड़े इंटरनेशनल एयरपोर्ट का शिलान्यास किया गया है। इससे पहले प्रधानमंत्री जी ने अलीगढ़ में राजा महेंद्र प्रताप सिंह राज्य विवि का शिलान्यास किया। 700 करोड़ रु की लागत से जनपद मेरठ में मेजर ध्यानचंद खेल विवि की स्थापना का निर्णय भी लिया गया है जिसका प्रधानमंत्री जी ने शिलान्यास किया है, वहीं रीजनल रैपिड ट्रांजिट सिस्टम के तहत यूपी में दिल्ली.गाजियाबाद.मेरठ कॉरिडोर का निर्माण प्रगति पर है। जनपद बागपत में 11 हजार करोड़ रु की लागत वाले ईस्टर्न पेरिफेरल एक्सप्रेस-वे का लोकार्पण भी किया गया, जिससे गौतमबुद्धनगर, गाजियाबाद, बागपत एवं अन्य समीप के जनपदों में विकास को गति मिलेगी। पश्चिमी उ.प्र. को पूर्वी उत्तर प्रदेश से जोड़ने के लिए 594 किलोमीटर लंबे गंगा एक्सप्रेस-वे का निर्माण भी प्रारंभ किया जा रहा है। पश्चिमी उ.प्र. के गाजियाबाद, नोएडा एवं ग्रेटर नोएडा में मेट्रो सेवाएं परिचालित हो रही हैं तथा आगरा में मेट्रो परियोजना निर्माणधीन हैं वहीं मेरठ में मेट्रो रेल परियोजना के क्रियान्वयन की कार्यवाही भी की जा रही है। ईस्टर्न एवं वेस्टर्न डेडिकेटेड फ्रेट कॉरिडोर, दोनों पश्चिमी उत्तर प्रदेश से होकर गुजर रहे हैं, फिल्म सिटीए टॉय पार्क, हेरिटेज सिटी, एपैरल पार्क, हैण्डीक्राफ्ट पार्क, लॉजिस्टिक पार्क आदि परियोजनाएं भी विकसित की जा रही हैं।
श्री कैलाश चौधरी, केंद्रीय राज्य मंत्री, कृषि एवं किसान कल्याण ने कहा कि केवीके, मेरठ के अन्तर्गत दोनों प्रशासनिक भवन आस-पास के क्षेत्र के लिए काफी उपयोगी होगा। उन्होंने कहा कि ड्रोन तकनीक के द्वारा कीटनाशक का छिड़काव भाकृअनुप-केवीके के माध्यम से संभव हो पाया है, साथ ही केवीके के द्वारा कृषि को उन्नत बनाकर युवाओं को इस क्षेत्र में आकर्षित करना है। बीज से बाजार, प्राकृतिक खेती और किसानों की आमदनी बढ़ाने पर केंद्रीय मंत्री द्वारा जोर दिया गया।
डॉ. संजीव कुमार बालियान, केंद्रीय राज्य मंत्री, मत्स्य पालन, पशु पालन एवं डेयरी ने कहा कि सीमांत और छोटे किसानों की आय पशुपालन पर आधारित है जिसे उन्नत बनाने के लिए केवीके का योगदान और बढ़ जाता है। श्री बालियान ने जोर देते हुए कहा कि वैज्ञानिकों द्वारा तैयार की गई उन्नत बीज की किस्मों ने उत्पादकता को बढ़ाया है एवं किसान को समृद्ध किया है। गन्ने की प्रजाती CO 0238 90 % से अधिक क्षेत्रफल पर उगाई झ रही है। यह सफलता भाकृअनुप-केवीके द्वारा संभव हो पाई है।
श्री सूर्य प्रताप शाही, कृषि एवं कृषि शिक्षा मंत्री, उत्तर प्रदेश ने कहा कि केवीके ने कृषि के साथ-साथ पशुपालन एवं दुग्ध उत्पादन को उन्नत बनाने में महत्वपूर्ण योगदान दिया है। उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार के द्वारा उर्वरकों पर दिये जाने वाले सब्सिडी ने किसानों की आय को बढ़ाय़ा है।
डॉ. त्रिलोचन महापात्र, सचिव (डेयर) एवं महानिदेशक (भाकृअनुप) ने कहा कि केवीके कृषि एवं किसानों के लिए काफी महत्वपूर्ण है। कृषकों को उन्नत जानकारी प्रदान करने में केवीके का नवनिर्मित प्रशासनिक भवन एक अहम भूमिका निभाएगा। पश्चिमी उत्तर प्रदेश में बहुतायत क्षेत्र में गेंहूं, धान व गन्ने की खेती होती है इसे विविधीकरण करने की ज़रुरत है साथ ही देश की राजधानी से जुड़े होने के कारण यह व्यवसायीकरण की आपार संभावनाएं हैं।
डॉ. अशोक कुमार सिंह, उप-महानिदेशक (कृषि विस्तार), भाकृअनुप ने कहा कि उत्तर प्रदेश में 89 केवीके हैं, उन्होने कहा कि किसानों को प्रशिक्षण और तकनीकी प्रदाबन करने तथा नए उद्द्यम के विकास जैसे एकीकृत कृषि प्रणाली, नर्सरी, पॉल्ट्री आदि के विकास में केवीके ने महत्त्वपूर्ण योगदान दिया है।
डॉ. आर. के. मित्तल, कुलपति, सरदार वल्लभभाई पटेल कृषि एवं प्रोद्योगिकी विश्वविद्यालय, मेरठ ने केवीके के प्रशासनिक भवन का निर्माण कृषकों के ज्ञान को समृद्ध करेगा, साथ ही आय को बढ़ाने में योगदान देगा। कृषि विश्वविद्यालय, मेरठ के अधीन 20 कृषि विज्ञानं केंद्र कार्यरत हैं और इन्हें और मजबूत किया जाएगा।
डॉ. पी. के. सिंह, निदेशक (प्रसार), सरदार वल्लभभाई कृषि एवं प्रोद्योगिकी विश्वविद्यालय, मेरठ ने धन्यवाद ज्ञापन करते हुए कहा कि ये वर्ष काफी महत्वपूर्ण है क्योंकि हम आजादी का अमृत होत्सव मना रहे है, इसलिए प्रशासनिक भवल का लोकार्पण और भी महत्वपर्ण हो जाता है।
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