13 सितम्बर 2023, नई दिल्ली
भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद ने डॉ. एस.के. चौधरी, उप-महानिदेशक (एनआरएम) को की अध्यक्षता में प्राकृतिक खेती के तहत, अनुसंधान और क्षेत्र विस्तार का अवलोकन, इसमें तेजी लाने और निगरानी करने के लिए एक समिति का गठन किया। समिति प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देने के लिए मानक प्रोटोकॉल का मार्गदर्शन करेगी साथ ही इसे सुव्यवस्थित भी करेगी। इस समिति की पहली बैठक आज यहां आयोजित की गई।
डॉ. चौधरी ने अपनी प्रारंभिक टिप्पणी में इस बात पर प्रकाश डाला कि विज्ञान सभी के लिए खुला है और प्राकृतिक खेती पर शिक्षा और विस्तार कार्यक्रमों को मजबूत करने के अलावा विभिन्न कृषि पारिस्थितिकी में अनुसंधान प्रयोगों की समीक्षा करने और उन्हें नया आकार देने की आवश्यकता है।
डॉ. यू.एस. गौतम, उप-महानिदेशक (कृषि विस्तार) और समिति के सदस्य ने 425 केवीके द्वारा किए गए प्रशिक्षण और प्रदर्शनों पर प्रकाश डाला और समय-सीमा के साथ केवीके के लिए कार्य योजना तैयार करने के अलावा राज्य स्तरीय निगरानी समिति पर जोर दिया।
डॉ. नीलम पटेल, नीति आयोग की वरिष्ठ सलाहकार और सदस्य ने खाद्य सुरक्षा और स्थिरता के मुद्दों को एक साथ संबोधित करने की आवश्यकता पर जोर दिया और कहा कि भारत दुनिया भर में कृषि पारिस्थितिकी प्रथाओं को बढ़ावा देने में अग्रणी भूमिका निभा सकता है।
डॉ. सी.के. टिंबडिया, कुलपति, गुजरात प्राकृतिक खेती और जैविक कृषि विश्वविद्यालय, गुजरात तथा सदस्य ने उल्लेख किया कि विश्वविद्यालय, प्रमुख किसानों द्वारा प्रलेखित सफल प्रथाओं के आधार पर प्राकृतिक खेती पर शिक्षा और अनुसंधान कार्यक्रम चला रहा है।
श्री फ्रैंकलिन खोबुंग, संयुक्त सचिव (एनआरएम/ आरएफएस) और सदस्य ने बताया कि भारत में प्राकृतिक खेती की वृहद संभावनाएं हैं, लेकिन अभी तक इसका दोहन नहीं किया जा सकता है, क्योंकि इसके लिए अनुसंधान और विस्तार बैकअप की आवश्यक होती है।
डॉ. बलजीत सहारन, प्रोफेसर (माइक्रोबायोलॉजी) और सदस्य ने राय दी कि प्राकृतिक खेती प्रथाओं को अनुकूलित करने की आवश्यकता है और प्राकृतिक खेती अनुसंधान के लिए एक अलग बजट प्रावधान पर जोर दिया।
डॉ. डी.वी. रायडू, वरिष्ठ सलाहकार, आरवाईएसएस, आंध्र प्रदेश सरकार और समिति के सदस्य ने आंध्र प्रदेश समुदाय-प्रबंधित प्राकृतिक खेती के अनुभव साझा किए।
डॉ. राजबीर सिंह, सहायक महानिदेशक (एएएफसीसी) और समिति के सदस्य सचिव ने भारत में प्राकृतिक खेती अनुसंधान, शिक्षा एवं विस्तार गतिविधियों को सुव्यवस्थित करने में समिति की महत्वपूर्ण भूमिका के बारे में जानकारी दी।
समिति ने डॉ. एन. रविशंकर, परियोजना समन्वयक एवं राष्ट्रीय पीआई, जैविक खेती पर एआईएनपी, भाकृअनुप-आईआईएफएसआर, डॉ. एस.के. शर्मा, सहायक महानिदेशक (एचआरएम) और डॉ. आर.आर. बर्मन, सहायक महानिदेशक (कृषि विस्तार) द्वारा दी गई प्रस्तुति के आधार पर अनुसंधान, शिक्षा और विस्तार गतिविधियों की समीक्षा की।
इसके द्वारा किए गए कार्यों की समीक्षा के आधार पर, समिति ने सहयोग एवं ज्ञान तथा जानकारी साझा करने के माध्यम से अनुसंधान, शिक्षा और विस्तार प्रयासों को और मजबूत करने का सुझाव दिया।
बैठक में एनआरएम प्रभाग, भाकृअनुप के प्रधान वैज्ञानिकों और कृषि एवं किसान कल्याण विभाग के संयुक्त सचिव (आईएनएम) के प्रतिनिधियों ने भी भाग लिया। भाकृअनुप-आईआईएफएसआर के निदेशक और सहयोजित सदस्य, डॉ. सुनील कुमार ने धन्यवाद प्रस्ताव दिया।
(स्रोत: भाकृअनुप, नई दिल्ली का एनआरएम प्रभाग)
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