5 अगस्त 2025, नई दिल्ली
कृषि विज्ञान के क्षेत्र में एक महान हस्ती और खाद्य सुरक्षा के अग्रदूत, प्रोफेसर एम.एस. स्वामीनाथन की जन्म शताब्दी के उपलक्ष्य में, एम.एस. स्वामीनाथन रिसर्च फाउंडेशन (एमएसएसआरएफ) भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद तथा राष्ट्रीय कृषि विज्ञान अकादमी, कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय तथा भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान के सहयोग से 7 से 9 अगस्त, 2025 तक नई दिल्ली में एम.एस. स्वामीनाथन शताब्दी अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन का आयोजन कर रहा है। "सदाबहार क्रांति - जैव-सुख का मार्ग" विषय पर आधारित इस सम्मेलन में सतत और समतामूलक विकास में प्रोफेसर स्वामीनाथन के आजीवन योगदान को सम्मानित किया जाएगा।
प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी इस कार्यक्रम का उद्घाटन करेंगे और इस महान वैज्ञानिक के सम्मान में केन्द्र सरकार द्वारा जारी एक स्मारक सिक्का तथा डाक टिकट भी जारी करेंगे।

आज नई दिल्ली स्थित एनएएससी कॉम्प्लेक्स में आयोजित एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में इस आयोजन की घोषणा करते हुए, डॉ. एम.एल. जाट, सचिव (डेयर) एवं महानिदेशक (भाकृअनुप) ने भारत को खाद्यान्न की कमी से जूझ रहे देश से खाद्यान्न-अधिशेष राष्ट्र में बदलने में प्रो. स्वामीनाथन की महत्वपूर्ण भूमिका पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा, "प्रो. स्वामीनाथन भारत के एक वीर सपूत थे जिनके कृषि क्षेत्र में क्रांतिकारी नेतृत्व ने देश के हरित परिदृश्य को नया रूप दिया।" डॉ. जाट ने इस बात पर भी ज़ोर दिया कि इस सम्मेलन का उद्देश्य भारतीय कृषि के लिए भविष्य का रोडमैप तैयार करके प्रो. स्वामीनाथन की विरासत को आगे बढ़ाना है, जिससे इस क्षेत्र में महिलाओं की भागीदारी बढ़ाने पर विशेष ध्यान दिया जाएगा।
एमएसएसआरएफ की अध्यक्ष, डॉ. सौम्या स्वामीनाथन ने सम्मेलन के वैश्विक महत्व और दुनिया भर में सतत कृषि के भविष्य को आकार देने में इसकी भूमिका पर ज़ोर दिया।
भाकृअनुप-आईएआरआई के संयुक्त निदेशक (अनुसंधान), डॉ. सी. विश्वनाथन ने भारतीय कृषि पर प्रो. स्वामीनाथन के परिवर्तनकारी प्रभाव पर प्रकाश डाला।
डॉ. अशोक सिंह, सचिव, एनएएएस (फसल विज्ञान), पूर्व निदेशक एवं कुलपति, भाकृअनुप-आईएआरआई ने कहा, "भूखों के लिए भोजन भगवान है, और प्रो. स्वामीनाथन लाखों लोगों के लिए भगवान रहे हैं।"
यह सम्मेलन वैज्ञानिकों, नीति निर्माताओं, विकास पेशेवरों और हितधारकों के लिए सदाबहार क्रांति के सिद्धांतों को आगे बढ़ाने पर विचार-विमर्श करने हेतु एक वैश्विक मंच के रूप में कार्य करेगा।
प्रमुख विषयों में 'जैव विविधता और प्राकृतिक संसाधनों का संरक्षण और सतत उपयोग'; 'जलवायु-अनुकूल और पोषण-संवेदनशील कृषि'; 'समावेशी और प्रौद्योगिकी-संचालित आजीविका समाधान' और 'विकास में युवा, महिलाओं और समुदाय की भागीदारी' शामिल हैं।

यह अंतर्राष्ट्रीय मंच सदाबहार क्रांति के सिद्धांतों को आगे बढ़ाने के लिए विशेषज्ञों, नीति निर्माताओं और हितधारकों को एक साथ लाएगा।
यह आयोजन प्रो. स्वामीनाथन के दूरदर्शी नेतृत्व का उत्सव है और एक स्थायी, समतामूलक और भूख-मुक्त विश्व के निर्माण के लिए सामूहिक प्रतिबद्धता की पुष्टि करता है - एक ऐसा युग जो जैव-सुख की अवधारणा पर आधारित है।
(स्रोत: भाकृअनुप-कृषि ज्ञान प्रबंधन निदेशालय, नई दिल्ली)
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