7 नवम्बर 2012, नई दिल्ली
प्रोफेसर एम.एस. स्वामीनाथन, संसद सदस्य (राज्य सभा) और अध्यक्ष, एम.एस. स्वामीनाथन रिसर्च फाउंडेशन ने "पशुधन, अनुसंधान और विकास" पर अंतर्राष्ट्रीय पशुधन अनुसंधान संस्थान (इलरी)-भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (आईसीएआर) की भागीदारी वार्ता का उद्घाटन किया। उन्होंने उद्घाटन भाषण देते हुए भारत और अन्य देशों में पशुधन के क्षेत्र में विकास के लिए आईसीएआर और इलरी की सराहना की। प्रोफेसर स्वामीनाथन ने दोनों संस्थानों के बीच भागीदारी को मजबूत करने के लिए चार मुद्दों पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि लगातार सामने आ रही चुनौतियों को ध्यान में रखते हुए पशुधन में जैव विविधता और आनुवंशिक संसाधनों के संरक्षण पर ध्यान देने की आवश्यकता है। साथ ही पोषण, जलवायु परिवर्तन और मानव संसाधन विकास ऐसे अन्य मुद्दे हैं जिस पर तत्काल व अग्रिम कार्रवाई किए जाने की आवश्यकता है। प्रोफेसर स्वामीनाथन ने एकीकृत फसल-पशुधन खेती प्रणाली के विकास और भारतीयों के पोषण स्तर में वृद्धि करने के लिए प्राकृतिक रूप से जैव पुष्टीकृत खाद्य को अपनाने का परामर्श दिया।
डॉ. जिमी स्मिथ, महानिदेशक, इलरी ने पशुधन क्षेत्र में आईसीएआर के प्रयासों की सराहना की और सहयोगी पहल द्वारा अनुसंधान व विकास के मजबूत होने की आशा व्यक्त की। उन्होंने कहा कि पशुधन उत्पादों की अधिक मांग के कारण श्वेत क्रांति हुई। ये पशुधन उत्पाद लोगों के पोषण स्तर में सुधार लाते हैं।
डॉ. के.एम.एल. पाठक, उप महानिदेशक, पशु विज्ञान, आईसीएआर ने भारत में ग्रामीण परिवारों में पशुधन के महत्व तथा कृषि क्षेत्र के सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) में इसकी लगभग 27 प्रतिशत की भागीदारी पर एक संक्षिप्त प्रस्तुति दी। उन्होंने कहा कि बीते वर्षों में पशुधन एक पृथक क्षेत्र बनकर उभरा है इसलिए इसे कृषि के सहायक क्षेत्र के स्थान पर मुख्य क्षेत्र का दर्जा दिए जाना चाहिए। डॉ. पाठक ने कहा कि देश में खुशहाली लाने के लिए पशुधन क्रांति लाए जाने की आवश्यकता है।
इससे पूर्व, डॉ. पूर्वी मेहता भट्ट, प्रमुख, इलरी-एशिया क्षेत्र ने गणमान्य अतिथियों का स्वागत किया और इलरी-आईसीएआर भागीदारी वार्ता के मुख्य बिन्दुओं पर प्रकाश डाला। सरकारी अधिकारियों, अनुसंधान संस्थानों, उद्योगों और स्वयंसेवी संगठनों की प्रस्तुति से इतर तीन विषयपरक सत्रों में छोटी डेयरी और पशुपालक, पशु स्वास्थ्य, चारा व पोषण पर भी चर्चा की जाएगी।
इस एक दिन के कार्यक्रम में आईसीएआर, इलरी, सीजीआईएआर संस्थानों, सरकारी विभागों के वरिष्ठ विशेषज्ञ और अधिकारियों सहित स्वयंसेवी संगठनों, सहकारी समितियों तथा उद्योगों के प्रतिनिधियों ने भाग लिया।

(स्रोतः एनएआईपी मास मीडिया परियोजना, कृषि ज्ञान प्रबंध निदेशालय, आईसीएआर)
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